गुजरात: दलित उप-सरपंच की पीट-पीटकर हत्या, दो हफ्ते पहले पुलिस से सुरक्षा मांगी थी

गुजरात के बोताद ज़िले का मामला. मृतक की पत्नी गांव की सरपंच हैं. मृतक के बेटे ने बताया कि गांव के उच्च जाति के कुछ लोग इस बात को पचा नहीं पा रहे थे कि दलित गांव के सरपंच बन रहे हैं.

(फोटो साभार: India Rail Info/VIC Lines)

गुजरात के बोताद ज़िले का मामला. मृतक की पत्नी गांव की सरपंच हैं. मृतक के बेटे ने बताया कि गांव के उच्च जाति के कुछ लोग इस बात को पचा नहीं पा रहे थे कि दलित गांव के सरपंच बन रहे हैं.

(फोटो साभार: India Rail Info/VIC Lines)
(फोटो साभार: India Rail Info/VIC Lines)

बोताद: गुजरात के बोताद ज़िले के एक गांव के उप-सरपंच की छह लोगों ने लाठियों और लोहे की पाइपों से कथित तौर पर पीट-पीट कर बुधवार को हत्या कर दी.

यह घटना उस समय हुई जब पीड़ित अपनी मोटरसाइकिल से रणपुर-बरवाला सड़क से गुजर रहे थे. पुलिस ने यह जानकारी दी.

मालूम हो कि मृतक की पत्नी गांव की सरपंच हैं.

मरने से पहले पीड़ित मानजीभाई सोलंकी ने अपने एक संबंधी को फोन पर दिए गए बयान में दावा किया कि पहले उनकी बाइक में एक कार ने टक्कर मार दी और इसके बाद उस कार में सवार पांच से छह लोगों ने उनकी जमकर पिटाई की थी.

आरोप है कि हमलावर उच्च जाति के क्षत्रिय समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. सोलंकी का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वह लगभग बेहोशी की स्थिति में हैं.

कुछ दिन पहले ही पीड़ित और उनकी पत्नी ने पुलिस से सुरक्षा मांगी थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के उप-सरपंच मानजीभाई सोलंकी खुद की सुरक्षा के लिए दो हफ्ते पहले पुलिस को एक पत्र भी लिखा था.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मानजीभाई के बेटे तुषार सोलंकी ने बताया कि बोताद जिले के रणपुर तालुका के जलीला गांव के पास मानजीभाई की बाइक को एक कार ने टक्कर मारी थी और कार में बैठे पांच से छह लागों ने उन्हें लाठियों और लोहे की पाइप से बुरी तरह से पीटा. अहमदाबाद के एक अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई.

पुलिस के अनुसार, घटना बरवाला-रणपुर स्टेट हाइवे पर जलीला गांव से तकरीबन 1.5 किलोमीटर दूर दिन में दो बजे हुआ. मानजीभाई चरंकी गांव से अपने घर लौट रहे थे, जो कि उनके घर से पांच किलोमीटर दूर है.

बोताद संभाग के डिप्टी एसपी आरएन नकुम ने बताया, ‘हमने जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक पुलिस टीम अहमदाबाद भेजी है. घटनास्थल की जांच से प्रथमदृष्टया ऐसा पता चलता है कि पीड़ित के परिवार ने जो कहा है, वो सही है.’

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बोताद एसपी हर्षद मेहता ने बताया, ‘छह जून को मानजीभाई उनके दफ्तर आए थे. उन्होंने अपने लिए निजी सुरक्षाकर्मियों की मांग की थी, हालांकि बुधवार तक उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान नहीं दी जा सकी थी.’

रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में एक महीने के भीतर यह तीसरी घटना है जब किसी दलित की हत्या की गई और इसमें कथित तौर पर उच्च जाति के लोगों का नाम आया है.

मानजीभाई के परिवार का दावा है कि उन्होंने कई बार पुलिस से सुरक्षा देने की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बुधवार को हुए हमले से पहले उन पर चार बार हमला किया जा चुका था. उनके बेटे तुषार सोलंकी ने बताया कि इससे पहले पिछले साल तीन मार्च को उनको चाकू मारा गया था.

दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले अहमदाबाद में नवसर्जन नाम के एनजीओ के अरविंद मकवाना ने बताया कि 2018 में हुए हमले के बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा मिली, लेकिन दो महीने बाद 17 मई 2018 को सुरक्षा हटा ली गई.

बोताद एसपी हर्षद मेहता ने बताया, ‘मानजीभाई पर साल 2010, 2011, 2016 और 2018 में हमला हो चुका था और हर हमले के संबंध में पुलिस ने केस दर्ज किया था. मानजीभाई पर हुए हमलों में जो हमलावर शामिल थे परिवार ने उनकी हत्या के लिए उन हमलावरों को ही जिम्मेदार ठहराया है.’

मेहता, ‘इन सभी मामलों में आरोपी एक ही हैं. साल 2018 में हुई मानजीभाई पर हमले की घटना में शामिल इन आरोपियों को जमानत मिल चुकी थी.’

मानजीभाई के बेटे ने बताया, ‘पिछले 20 साल से मेरे परिवार के लोग गांव का सरपंच चुने जा रहे हैं. अभी मेरी मां सरपंच हैं और पिता उप-सरपंच थे. साल 2010 से मेरे पिता और उच्च जाति के काठी दरबार समुदाय के लोगों के बीच विवाद था. दरबार समुदाय (क्षत्रिय) के लोग इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि दलित गांव के सरपंच बन रहे हैं.’