डीआरआई ने अदालत को बताया, अडानी समूह जांच में बाधा पहुंचाने की कोशिश कर रहा

डीआरआई इंडोनेशिया से 2011 से 2015 के बीच कोयला आयात के दौरान 29,000 करोड़ रुपये के कथित ओवर-वैल्यूएशन की जांच कर रहा है.

गौतम अडानी. (फोटो: पीटीआई)

डीआरआई इंडोनेशिया से 2011 से 2015 के बीच कोयला आयात के दौरान 29,000 करोड़ रुपये के कथित ओवर-वैल्यूएशन की जांच कर रहा है.

गौतम अडाणी. (फोटो: पीटीआई)
गौतम अडाणी. (फोटो: पीटीआई)

मुंबईः डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) ने 13 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर हलफनामें में कहा कि अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) अपने खिलाफ चल रही जांच में बाधा डाल रहा है.

बॉम्बे हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कारोबारी गौतम अडानी की कंपनी पर जांच में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था उन सभी लेटर ऑफ रोगाटोरी (एलआर) को खारिज कर दिया जाए जो उनके खिलाफ जांच के लिए सिंगापुर समेत अन्य देशों को जारी किए गए हैं.

दरअसल, एलआर एक देश से दूसरे देश में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत एक औपचारिक अनुरोध है. इस संधि के तहत दूसरे देश में स्थापित कंपनी की जानकारी हासिल की जाती है.

पिछले साल एईएल ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें एजेंसी द्वारा जारी किए गए सभी एलआर को खत्म करने का अनुरोध किया गया था.

एईएल ने अपने खिलाफ सिंगापुर सहित अन्य देशों से जारी उन सभी एलआर को खारिज करने की मांग की थी, जो उनके खिलाफ कथित रूप से इंडोनेशियाई कोयला निर्यात के मामले की जांच के संबंध में हासिल किए गए थे.

मालूम हो कि अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ इंडोनेशिया के कोयले के आयात में ओवर वैल्यूएशन ((बढ़ा चढ़ाकर राशि दिखाना)) के आरोप में जांच की जा रही है.

हाईकोर्ट ने सितंबर 2018 में एईएल पर अंतरिम रोक लगाई थी. इसकी जांच रुकने पर डीआरआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने अब हाईकोर्ट को इस महीने के अंत तक मामले का फैसला करने का निर्देश दिया है.

डीआरआई के हलफनामे के मुताबिक, एईएल ने बॉम्बे हाईकोर्ट को एलआर के जारी करने पर सवाल उठाया था क्योंकि सिंगापुर की अदालत ने अडानी समूह के खिलाफ सबूत जुटाने वाले दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए भारत के अनुरोध को अनुमति दी थी.

डीआरआई 40 कंपनियों की जांच कर रही है, जिनमें अडानी के अलावा अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की दो कंपनियां, एस्सार समूह की दो फर्म और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियां शामिल हैं.

इंडोनेशिया से 2011 और 2015 के बीच कोयला आयात के दौरान 29,000 करोड़ रुपये के कथित ओवर-वैल्यूएशन की जांच चल रही है.