बजट से पहले वित्त मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 47 के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए राज्य ने शराबबंदी लागू की थी. इसके चलते राज्य को जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई केंद्र सरकार करे.
नई दिल्लीः गुजरात सरकार ने राज्य में शराब की बिक्री पर रोक की वजह से राज्य को सालाना 15,000 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मुआवजा मांगा है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने शराबबंदी के चलते राज्य को एक्साइज और वैट सहित मदों में राजस्व नहीं मिलने की वजह से लगभग 15 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के लिए हर्जाना मांगा है.
बजट से पहले वित्त मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में उपमुख्यमंत्री पटेल ने यह मुद्दा उठाया. यह बैठक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने आयोजित की थी.
नितिन पटेल ने कहा कि गुजरात के समकक्ष जो राज्य हैं, उन्हें शराब बिक्री से एक्साइज-वैट सहित करों की मद में 12 से 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है, गुजरात को नहीं मिलता.
उन्होंने कहा कि संविधान के आर्टिकल 47 के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए गुजरात ने शराबबंदी की व्यवस्था को स्वीकार कर लागू किया. इसके चलते राज्य को जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई केंद्र सरकार करे.
इस बैठक में पटेल ने कहा कि गुजरात आर्थिक अनुशासन वाला प्रगतिशील राज्य है. बीते 20 साल में ओवरड्राफ्ट नहीं लेना पड़ा, न ही कभी अल्पकालिक ऋण लेने की नौबत आई. उन्होंने कहा कि गुजरात को अधिक प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार को अधिक ग्रांट देना चाहिए.
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मिलने वाली ग्रांट को बढ़ाने का भी आग्रह किया.
पटेल ने कहा, ‘पीने योग्य पानी की पर्याप्त सप्लाई की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने बड़े पंपिंग स्टेशनों के अलावा पीने के पानी के लिए उचित नेटवर्क तैयार किया है.’
उन्होंने बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए पेंशन के अलावा आंगनवाड़ी कामगारों और मिड डेल मील योजनाओं के कर्मचारियों के लिए मानदेय बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया. इस बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग भी शामिल थे.