किसान संगठन ने सरकार को सूखे को लेकर दी चेतावनी, समयपूर्व कदम उठाने की मांग की

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि साफ तौर पर हम एक ऐसी स्थिति देख रहे हैं जो राष्ट्रीय आपदा में बदल सकती है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा कि साफ तौर पर हम एक ऐसी स्थिति देख रहे हैं जो राष्ट्रीय आपदा में बदल सकती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)
प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली:  देशभर के 200 से अधिक किसान संगठनों के गठबंधन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने देश के बड़े हिस्से में लगातार दूसरे साल सूखा पड़ने की संभावना को लेकर चिंता जारी की है.

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा 20 जून को जारी चेतावनी के अनुसार, शुरुआती दिनों में मानसून ने धीमी शुरुआत की है और लंबे समय बाद बारिश में 43 फीसदी की कमी देखी गई.

आईआईटी गांधीनगर द्वारा सूखे को लेकर जारी की जाने वाली चेतावनी के अनुसार, पिछले कुछ मानसून के कमजोर होने और इस साल भी कमजोर मानसून होने के कारण पहले से ही करीब 46 फीसदी सूखे का सामना कर देश को और भी मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है.

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा, ‘साफ तौर पर हम एक ऐसी स्थिति देख रहे हैं जो राष्ट्रीय आपदा में बदल सकती है.’

एआईकेएससीसी ने देश के अधिकतर जलाशयों में पानी के कम स्तर की ओर भी ध्यान दिलाया. सामान्य से 83 फीसदी कमी के साथ आंध्र प्रदेश में हालात जहां बेहद खराब हैं वहीं, महाराष्ट्र के जलाशयों में पानी का स्तर सामान्य से 68 फीसदी कम तो तमिलनाडु में सामान्य से 41 फीसदी कम है.

एआईकेएससीसी ने कहा, ‘देशभर में पानी के संकट को लेकर बड़ी संख्या में ऐसी खबरे आ रहीं हैं जिसके कारण लोग गांवों से पलायन कर रहे हैं, खड़ी बागवानी करने से बच रहे हैं, पशुओं की मौते हो रही हैं और पानी के बंटवारे को लेकर स्थानीय स्तर पर झगड़े हो रहे हैं. इससे प्राकृति रूप से बुआई प्रभावित हुई है.’

2018 की तुलना में इस साल 14 जून तक खरीफ की बुआई में 9 फीसदी की कमी आई है. दलहन फसलों की बुआई सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई है क्योंकि पिछले साल इसी अवधि की तुलना में दालों की बुआई में 50 फीसदी की कमी आ गई है.

वहीं, तिलहन फसलों की बुआई में 41 फीसदी तो धान और मोटे अनाज की बुआई में क्रमश: 22 फीसदी और 27 फीसदी की कमी आ गई है.

इस हालात में और आने वाले महीनों में कमजोर मानसून के खतरे को देखते हुए एआईकेएससीसी ने सूखा घोषित करने में देरी न करने का अनुरोध किया. इसके साथ ही सरकार को उन सभी जिलों में सूखे की घोषणा करनी चाहिए जहां बुवाई जून महीने में 50% से अधिक प्रभावित हुए हैं.

इसके साथ ही किसान संगठन ने केंद्र द्वारा एक विशेष पैकेज घोषित किए जाने, असिंचित भूमि के लिए सब्सिडी देने पर 10 हजार प्रति एकड़ करने और मनरेगा के तहत रोजगार के दिनों की संख्या बढ़ाकर 150 दिन करने की भी मांग की.

एआईकेएससीसी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दी जाने वाली राशि में हो रही देरी पर ध्यान दिया जाना चाहिए और यह राशि समय से और पूरी दी जाए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

द वायर ने हाल ही में बताया था कि खरीफ 2018 के लिए फसल बीमा के तहत 40% दावों की राशि मई 2019 तक बकाया थी, जबकि यह राशि दिए जाने की समय सीमा तीन महीने पहले बीत गई थी.