लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाने वाली शिकायतों पर किए गए फैसलों पर चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने असहमति व्यक्त की थी.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने आरटीआई अधिनियम के तहत चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की असहमति वाली टिप्पणियों का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसी सूचना के खुलासे से छूट प्राप्त है. इस जानकारी को सार्वजनिक करने से किसी व्यक्ति का जीवन या शारीरिक सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.
हाल में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाने वाली शिकायतों पर किए गए फैसलों पर लवासा ने असहमति व्यक्त की थी.
चुनाव आयोग ने पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता विहार दुर्वे की आरटीआई का जवाब देते हुए यह बात कही. दुर्वे ने लवासा के असहमति जताने वाली टिप्पणियों की मांग की थी.
ये मामले वर्धा में एक अप्रैल, लातूर में नौ अप्रैल, पाटन और बाड़मेर में 21 अप्रैल तथा वाराणसी में 25 अप्रैल को हुई रैलियों में मोदी के भाषणों से संबंधित थे.
आयोग ने सूचना के खुलासे से छूट लेने के लिए आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जी) का हवाला दिया. इसके तहत वैसी सूचना का खुलासा करने से छूट हासिल है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है.
दुर्वे ने इन भाषणों के संबंध में आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया और आयोग द्वारा दिए गए निर्णय की जानकारी भी मांगी थी. इस सूचना को भी अधिनियम की धारा 8 (1)(जी) का हवाला देते हुए देने से मना कर दिया गया था.
लवासा ने प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को उनके भाषणों के लिए आयोग द्वारा दी गई कई ‘क्लीनचिट’ पर असहमति व्यक्त की थी.
लवासा ने अपनी असहमति वाली टिप्पणियों को चुनाव आयोग के आदेशों (मिनट्स ऑफ मीटिंग) में दर्ज किए जाने की मांग की थी लेकिन ऐसा नहीं होने पर लवासा ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था.
आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए मोदी और शाह के खिलाफ की गई शिकायतों में चुनाव आयोग के 11 निर्णयों में से पांच फैसले पर लवासा ने असहमति जताई थी. इन निर्णयों में प्रधानमंत्री मोदी और शाह को क्लीन चिट दी गई थी.
मालूम हो कि चुनाव आयोग ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में आयोग के सदस्यों के ‘असहमति के मत’ को फैसले का हिस्सा बनाने की चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की मांग खारिज कर दिया था.
आयोग ने इस मामले में मौजूदा व्यवस्था को ही बरकरार रखते हुए कहा था कि असहमति और अल्पमत के फैसले को आयोग के फैसले में शामिल कर सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)