गुजरात से राज्यसभा की ये सीटें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गांधीनगर और स्मृति ईरानी के अमेठी लोकसभा सीट से निर्वाचित होने की वजह से खाली हुई हैं. कांग्रेस का कहना था कि दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने से भाजपा दोनों पर जीत हासिल कर लेगी.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों के लिए अलग-अलग उपचुनाव कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘अच्छा यह होगा कि याचिकाकर्ता चुनाव परिणाम आने के बाद याचिका दायर करे. चुनाव आयोग द्वारा एक बार जब अधिसूचना जारी कर दी जाती है तब एक ही रास्ता है कि हाईकोर्ट के समक्ष चुनाव याचिका दायर की जाए. चुनाव आयोग द्वारा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने के बाद अदालत उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती.’
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की अवकाश पीठ ने हालांकि गुजरात कांग्रेस के नेता की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया लेकिन राज्यसभा की दोनों सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव याचिका दायर करने की उन्हें छूट प्रदान कर दी.
कांग्रेस विधायक और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता परेशभाई धनानी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दो सीटों के लिए जारी चुनाव आयोग की अधिसूचना को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि एक ही दिन दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराना असंवैधानिक और संविधान की भावना के खिलाफ है.
चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए पांच जुलाई की तारीख तय की है.
अमित शाह और स्मृति ईरानी गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे. गुजरात से राज्यसभा की ये सीटें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गांधीनगर और स्मृति ईरानी के अमेठी लोकसभा सीट से निर्वाचित होने की वजह से खाली हुई हैं.
निर्वाचन आयोग ने गुजरात की इन दो सीटों के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी करने लेकिन एक ही दिन चुनाव कराने का निर्णय लिया था. आयोग के इस निर्णय को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता परेशभाई धनानी ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी.
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया था कि राज्यसभा सहित सभी सदनों के लिए उपचुनाव के लिए खाली हुए स्थानों को ‘अलग-अलग रिक्तियां’ माना जाता है और इसके लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी होती है, भले ही इनका कार्यक्रम एक समान हो.
धनानी ने आयोग के इस निर्णय को निरस्त करने का अनुरोध किया था. उनका तर्क था कि आयोग का यह निर्णय असंवैधानिक, मनमाना और गैरकानूनी है और इससे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है.
उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया था कि आयोग को इन दोनों सीटों के लिए एक साथ चुनाव कराने का निर्देश दिया जाए.
आयोग ने 15 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय के 1994 और 2009 के फैसलों का हवाला दिया था जिनमें जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत एक ही राज्य में अलग-अलग उपचुनाव कराने की प्रणाली का समर्थन किया गया था.
कांग्रेस का कहना था कि इन दोनों सीटों के लिए एक साथ चुनाव कराने के बजाय अलग-अलग चुनाव कराने की वजह से भाजपा दोनों स्थानों पर जीत हासिल कर लेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)