ऑल इंडिया एचएएल ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन कमेटी ने अधिकारियों के समान कर्मचारियों को वेतन देने की मांग को लेकर क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की है, जो दो जुलाई तक जारी रहेगी. मांगें नहीं मानने पर कमेटी ने हड़ताल तेज़ करने की चेतावनी दी है.
बेंगलुरु: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के कर्मचारी मंगलवार को बारी-बारी से अनिश्चितकाल भूख हड़ताल पर चले गए. कर्मचारी अपने वेतन के निपटान और सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों के समान वेतन की मांग कर रहे हैं.
ऑल इंडिया एचएएल ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन कमेटी ने कंपनी पर अधिकारियों की तुलना में कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया. कमेटी ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे हड़ताल और तेज करेंगे.
एचएएल कर्मचारी संगठन के महासचिव सूर्यदेव चंद्रशेखर ने कहा, ‘2017 से हमारे वेतन का निपटान नहीं हुआ है. हम बारी-बारी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे. यह हड़ताल सात राज्यों में सभी यूनिट्स में होगी.’
यूनियन नेता ने कहा कि प्रबंधन वेतन निपटान के लिए आगे नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी इस बारे में बातचीत चल रही है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. इस पर गतिरोध बना हुआ है.
लाइव मिंट से बात करते हुए महासचिव चंद्रशेखर ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की सभी कंपनियां अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को समान वेतन और भत्ता देती हैं, लेकिन एचएएल हमें लाभ देने से इनकार करती आ रही है.’
उन्होंने कहा कि अधिकारियों की बेसिक सैलरी में 15 प्रतिशत और भत्ते में तकरीबन 35 प्रतिशत बढ़ोतरी की जाती है, लेकिन कर्मचारियों को बेसिक सैलरी में सिर्फ 10 प्रतिशत और भत्ते में 18 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी दी जाती है.
रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की सात राज्यों में स्थित नौ इकाइयों में पांचवीं से लेकर 11वीं श्रेणी तक के तकरीबन 18 हज़ार कर्मचारियों ने मांगें न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी है.
चंद्रशेखर ने कहा कि कर्मचारियों के वेतन का मसला साल 2017 से लटका हुआ है, जबकि अधिकारियों के वेतन का मसला उसी साल कंपनी द्वारा सुलझा लिया गया था.
एचएएल कर्मचारी संगठन की ओर से कहा गया है कि कर्मचारी दो जुलाई तक बारी-बारी से भूख हड़ताल जारी रखेंगे और उसके बाद भी अगर उनकी समस्या हल नहीं की गई तो वे अपनी हड़ताल तेज करेंगे.
चंद्रशेखर ने कहा, ‘तीन जुलाई को हम बेंगलुरु स्थित कंपनी के कॉरपोरेट ऑफिस का घेराव करेंगे.’
हालांकि, एचएएल ने कहा कि यूनियन की मांगें मानने योग्य नहीं हैं. कंपनी ने कहा कि यूनियन का यह दावा भी सही नहीं है कि प्रबंधन जान-बूझकर वेतन निपटान में देरी कर रहा है. यह सच नहीं है. उनके साथ नौ दौर की बातचीत पहले ही हो चुकी है.
मालूम हो कि इसी साल जनवरी में एचएएल के वित्तीय समस्या से जूझने की बात सामने आई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक कंपनी को अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए 1000 करोड़ रुपये उधार लेने को मजबूर होना पड़ा था.
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, रफाल विमान सौदे को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच विवाद का एक विषय बने एचएएल ने 19,400 करोड़ रुपये का कारोबार किया है और तकरीबन 3500 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है.
मालूम हो कि यूपीए सरकार द्वारा किए गए रफाल सौदे में फ्रांस की दासो एविएशन और एचएएल के बीच वर्क शेयर अग्रीमेंट की बात की गई थी, जहां भारत में बनने वाले 108 विमानों के निर्माण की 70 प्रतिशत जिम्मेदारी एचएएल की थी, बाकी दासो की.
लेकिन तत्कालीन मोदी सरकार द्वारा फ्रांस के साथ किए गए नए समझौते के बाद 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत फ्रांस से 36 रफाल विमान खरीदेगा. इसके बाद दासो द्वारा एचएएल की जगह अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को अपने ऑफसेट पार्टनर के बतौर चुना गया.
इसके बाद आरोप लगे थे कि रिलायंस डिफेंस का विमान बनाने का कोई अनुभव नहीं है, सौदे से बमुश्किल 10 दिन पहले यह कंपनी बनी थी जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की एचएएल का विमानों की मैन्युफैक्चरिंग का लंबा अनुभव है.
ऑफसेट पार्टनर बदलने के मोदी सरकार के कदम को लेकर कांग्रेस लगातार सवाल उठाती रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)