रिज़र्व बैंक कर्मचारी यूनियन की ओर से कहा गया है कि इस तरह के संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का फैसला मंत्रालय के कुछ अधिकारियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. न ही वित्त मंत्री को यह काम करना चाहिए.
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफे के एक दिन बाद केंद्रीय बैंक की कर्मचारी यूनियन ने बीते मंगलवार को कहा कि नए गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों का चयन को विशेषज्ञों का कॉलेजियम बनाया जाना चाहिए.
ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईआरबीईए) ने बयान में कहा कि कॉलेजियम के जरिये गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों का चयन किए जाने से केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को कायम रखा जा सकेगा.
बीते 24 जून को भारतीय रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था. वह मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख थे.
रिजर्व बैंक ने संक्षिप्त बयान में कहा था कि आचार्य ने अपरिहार्य निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वह 23 जुलाई तक मिंट रोड कार्यालय में अपने पद पर रहेंगे. आचार्य रिजर्व बैंक के सबसे कम उम्र के डिप्टी गवर्नर हैं.
पिछले छह महीने में रिजर्व बैंक से इस्तीफा देने वाली आचार्य दूसरे बड़े पदाधिकारी हैं. दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने कथित तौर पर केंद्र सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
सितंबर 2016 में उर्जित पटेल को गवर्नर के तौर पर पदोन्नत किए जाने के बाद 23 जनवरी 2017 को विरल आचार्य भारतीय रिजर्व बैंक से जुड़े थे.
एसोसिएशन ने विरल आचार्य के इस्तीफा देने पर दुख भी जताया है.
मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक कानून की धारा 8 के तहत गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है.
कर्मचारी यूनियन ने कहा, ‘इस तरह के संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का फैसला मंत्रालय के कुछ अधिकारियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. न ही वित्त मंत्री को यह काम करना चाहिए. इस तरह की नियुक्ति विशेषज्ञों के कॉलेजियम द्वारा की जानी. इस कॉलेजियम में केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर, अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकर और अर्थशास्त्री शामिल रहने चाहिए.’
यूनियन ने कहा कि सिर्फ इस तरह का निकाय ही ऐसे पद के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता, ज्ञान और अनुभव का उचित तरीके से आकलन कर सकता है.
कर्मचारी यूनियन ने कहा, ‘इस तरह की नियुक्तियों (कॉलेजियम द्वारा) से निष्पक्षता के साथ ही केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जा सकता है. साथ ही इससे इस तरह के नामांकन में अनचाहे राजनीतिक हस्तक्षेप को भी रोका जा सकता है.’
कर्मचारी यूनियन की ओर से जारी बयान में दावा किया गया है कि आरबीआई की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को लेकर वित्त मंत्रालय के साथ गहरे और लंबे समय से चल रहे मतभेद की वजह से हो सकता है कि विरल आचार्य ने पद से जल्दी इस्तीफा दे दिया हो.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)