महाराष्ट्र: प्रतिबंधित जीएम बीज बोने पर 12 किसानों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज

महाराष्ट्र के शेतकारी संगठन ने एचटीबीटी कपास और बैगन के बीज के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ अकोला ज़िले के कुछ गांवों में बीते 10 जून को बीज बोए थे. पुलिस ने इसी मामले को लेकर केस दर्ज किया है.

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कपास किसान. (फोटो: रॉयटर्स)

महाराष्ट्र के शेतकारी संगठन ने एचटीबीटी कपास और बैगन के बीज के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ अकोला ज़िले के कुछ गांवों में बीते 10 जून को बीज बोए थे. पुलिस ने इसी मामले को लेकर केस दर्ज किया है.

Cotton Farmers Reuters
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

अकोला: प्रतिबंधित हर्बिसाइड-टॉलेरंट बीटी (एचटीबीटी) कपास के बीज की बुआई के आरोप में महाराष्ट्र के अकोला जिले के करीब12 किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने बुधवार को इस बारे में बताया.

आनुवांशिक रूप से संवर्द्धित (जेनेटिकली मोडिफाइड) बीटी (बेसिलस थूरिंगिएनसिस) कपास और बैंगन के बीज के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ शेतकारी संगठन द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के तहत अडगांव और अकोली जहांगीर गांवों में किसानों ने अपने खेतों में बीज बोए.

प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन के रूप में पूर्वी महाराष्ट्र के अकोला जिले में 10 जून को सैकड़ों किसानों ने कपास और बैंगन के जीएम बीज से बुआई की थी.

संगठन ने जीएम फसल पर प्रतिबंध का विरोध करते हुए दावा किया है कि इससे उन्हें कम लागत पर अच्छी पैदावार मिलती है और किसानों को फायदा होता है.

हिवारखेड थाने के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि कृषि विभाग की शिकायत के आधार पर हिवारखेड और अकोट थाने में दो प्राथमिकी दर्ज की गई. जिन लोगों पर मामले दर्ज किए गए हैं उनमें संगठन के प्रवक्ता ललित बहाले भी शामिल हैं .

हिवारखेड थाने के निरीक्षक सोमनाथ पवार ने बताया, ‘भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और पर्यावरण संरक्षण कानून तथा बीज कानून के तहत किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं.’

देश में जीएम फसलों का प्रयोग पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत ‘खतरनाक सूक्ष्मजीवों, आनुवंशिक रूप से संवर्धित जीवों या कोशिकाओं के निर्माण/उपयोग/आयात/निर्यात और भंडारण के नियम, 1989’ के अनुसार रेगुलेट किया जाता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)