बीबीसी से एक साक्षात्कार में महिला उत्तराधिकारी के सवाल पर दलाई लामा ने कहा कि अगर कोई महिला लामा आती हैं और वो खुश दिखती हैं तो लोग भी उन्हें देखकर खुश होंगे और अगर कोई महिला लामा दुखी दिखती हैं तो लोग उन्हें देखना पसंद नहीं करेंगे.
नई दिल्लीः तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का कहना है कि अगर मेरे बाद कोई महिला दलाई लामा बनती है तो उस महिला को आकर्षक होना चाहिए.
साल 2011 में ही अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों को आधिकारिक तौर पर छोड़ने वाले दलाई लामा अभी भी आध्यात्मिक गुरु के तौर पर तिब्बती लोगों के प्रमुख बने हुए हैं.
बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में अपने 2015 के विवादित बयान को दोहराते हुए दलाई लामा कहते हैं कि अगर मेरे बाद कोई महिला दलाई लामा बनती है तो उस महिला को आकर्षक होना चाहिए.
महिला दलाई लामा के आकर्षक होने वाले बयान पर खुद को कायम बताते हुए दलाई लामा ने कहा कि जितना दिमाग का महत्व है उतना ही महत्व खूबसूरती का भी है. उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘अगर महिला दलाई लामा बनती है तो उसे कहीं ज्यादा आकर्षक होना चाहिए.’
उन्होंने ऐसा क्यों कहा? इस पर दलाई लामा ने कहा, ‘वो इसलिए क्योंकि अगर कोई महिला लामा आती हैं और वो खुश दिखती हैं तो लोग भी उन्हें देखकर खुश होंगे और अगर कोई महिला लामा दुखी दिखती हैं तो लोग उन्हें देखना पसंद नहीं करेंगे.’
इस सवाल पर कि क्या उन्हें नहीं लगता कि कई महिलाओं को ऐसा लगेगा कि दलाई लामा उनका अपमान कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा, ‘असली खूबसूरती मन की खूबसूरती है, ये सच है, लेकिन मैं समझता हूँ कि आकर्षक दिखना भी जरूरी है.’
दलाई लामा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर भी अपनी राय जाहिर की. वे अमरीकी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के लिए तैयार हैं लेकिन अब तक उन्हें ट्रंप की ओर से कोई कॉल नहीं आई है.
बता दें कि, पूर्ववर्ती अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ दलाई लामा के संबंध काफी गहरे थे. जहां जार्ज डब्ल्यू बुश ने उन्हें अमरीकी कांग्रेस के गोल्ड मेडल से सम्मानित किया था वहीं बराक ओबामा भी उनसे कई बार मिल चुके हैं.
दलाई लामा कहते हैं कि अमरीका के 45वें राष्ट्रपति ट्रंप के शासन काल के वक़्त को नैतिक सिद्धांतों की कमी के तौर पर परिभाषित करना चाहिए. हालांकि 2016 में दलाई लामा ने ही कहा था कि उन्हें ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर कोई चिंता नहीं हो रही है.
दलाई लामा ने कहा, ‘जब से वह अमेरीका के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने अमरीका को प्राथमिकता देने की इच्छा जताई. यह ग़लत है.’ पेरिस जलवायु संधि और अप्रवासियों के संकट से अमरीका के पांव पीछे करने को दलाई लामा दो बहुत बड़े संकट के तौर पर देखते हैं.
दलाई लामा अमरीका मेक्सिको बॉर्डर की स्थिति के बारे में कहते हैं, ‘जब मैं बच्चों की तस्वीरें देखता हूं तो उदास होता हूं. अमरीका को दुनिया की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए.’
दलाई लामा ने यह भी कहा कि यूरोप सिर्फ यूरोप के लोगों के लिए होना चाहिए. यूरोप का इस्लामीकरण नहीं हो सकता, ये अफ्रीका नहीं बन सकता. दलाई लामा ने यूरोप में शरणार्थी संकट पर भी अपनी राय रखी और कहा कि केवल सीमित संख्या में शरणार्थियों को ठहरने देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘यूरोपीय देशों को इन शरणार्थियों को अपने यहां ठहराना चाहिए और उन्हें शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना चाहिए और फिर उन्हें उनके अपने देश में भेजने का लक्ष्य होना चाहिए.’
तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा पदवी की परंपरा में 14वें शख्स हैं. 1959 में तिब्बत पर चीन के हमले के बाद वे करीब छह दशक पहले भारत आ आए थे तभी से वे अपने हजारों अनुयायियों के साथ हिमाचल प्रदेश के मैकलॉडगंज में रह रहे हैं.
वापस तिब्बत लौटने की उम्मीद रखने वाले दलाई लामा थोड़ी झिझक के साथ यह स्वीकार करते हैं कि स्वायत्त तिब्बत का उनका लक्ष्य वास्तविकता से दूर होता जा रहा है. वे बताते हैं, ‘तिब्बती लोगों को मुझ पर भरोसा है, वे मुझे तिब्बत बुला रहे हैं.’ हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि भारत उनका आध्यात्मिक घर है.