इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2018 के बीच तकरीबन 32 हज़ार शरणार्थियों की मौत हुई. संयुक्त राष्ट्र की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्धग्रस्त यमन में 2013 से अभी तक 7500 से अधिक बच्चे मारे गए या घायल हुए.
जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में दुनिया भर में प्रतिदिन कम से कम एक शरणार्थी बच्चे की मौत हुई है या वह लापता हो गया. भूमध्य सागर या अमेरिका-मेक्सिको सीमा से होकर गुजरने वाले इन जोखिम भरे रास्तों में मौत का यह सिलसिला जारी है.
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) के ग्लोबल माइग्रेशन डेटा एनालिसिस सेंटर (जीएमडीएसी) ने अपनी नवीनतम ‘फैटल जर्नीज़ 4’ (जानलेवा यात्राएं) नामक रिपोर्ट में कहा है कि 2014 से 2018 के बीच तकरीबन 32 हज़ार लोगों की मौत हुई. इनमें से आधे लोग यानी तकरीबन 17,900 लोग की भूमध्य सागर में या तो मौत हो गई या वे लापता हो गया है. इनमें से दो तिहाई पीड़ितों को कोई भी नामोंनिशान नहीं मिल सका है.
रिपोर्ट में कहा गया है इन 32 हजार लोगों में से तकरीबन 1,600 बच्चों, जिनमें से कुछ 6 महीने के थे, की मौत 2014 से 2018 के बीच खतरनाक यात्राओं के दौरान हो गई.
भूमध्य सागर शरणार्थियों के लिए सबसे घातक मार्ग बना हुआ है. भूमध्य सागर को पार करते समय तकरीबन 17,900 से अधिक लोगों की या तो मौत हो चुकी है या फिर वे लापता हो गए हैं. इनमें से कई की जान लीबिया और इटली के बीच खतरनाक यात्रा के दौरान चली गई.
भूमध्य सागर बच्चों के लिहाज से भी खतरनाक रहा. इसे पार करते समय तकरीबन 678 बच्चों की मौत हुई. तकरीबन 12 हजार लोगों का नामोंनिशान तक नहीं मिल सका.
अफ्रीका में पलायन के दौरान तकरीबन 337 बच्चों की मौत हो गई. उत्तर अफ्रीका में सबसे ज़्यादा 144 लागों की मौत हुई, जो यूरोप की ओर बढ़ रहे थे.
पलायन करने वाले बच्चों के लिए दक्षिण पूर्व एशिया विश्व का दूसरा सबसे खतरनाक क्षेत्र है. रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से तकरीबन 363 बच्चों की या तो मौत हो गई या फिर वे लापता हो गए. इनमें से तकरीबन 70 प्रतिशत मौतें बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में हुईं.
यूरोप तक जाने वाले रास्ते की बात करें तो 2014 से 2018 के बीच पैदल, बस, ट्रक या ट्रेन यात्रा के दौरान तकरीबन 40 बच्चों की मौत हुई.
अमेरिका में 2014 के दौरान ऐसे 84 बच्चों की मौत हुई. इनमें से एक तिहाई बच्चों की मौत अमेरिका और मैक्सिको की सीमा पर हुई.
मालूम हो कि हाल ही में एक पिता और उसकी दो वर्ष की बेटी का शव अमेरिका-मैक्सिको की सीमा के पास रियो ग्रांडे नदी के तट पर मिला. दोनों की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई. साथ ही सोशल मीडिया पर शरणार्थियों के अधिकारों को लेकर बहस छिड़ गई है.
मृतक पिता की पहचान ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज रमिरेज के रूप में हुई. उनकी 23 महीने की बेटी का नाम वालेरिया था. दोनों अल सल्वाडोर के शरणार्थी थे. रियो ग्रांडे नदी पार करते समय दोनों की डूबने से मौत हो गई.
इन घटना ने तीन साल के एलन कुर्दी की याद को ताजा कर दिया. सीरिया के एलन कुर्दी का शव तुर्की में भूमध्य सागर से दो सितंबर 2015 को मिला था. सीरिया के शरणार्थी एलन और उनका परिवार यूरोप जाने की कोशिश कर रहा था जब यह हादसा हो गया.
यमन में 2013 से अभी तक 7500 से अधिक बच्चे मारे गए या घायल हुए
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने दावा किया गया है कि यमन में 2013 से अब तक हवाई हमलों, गोलाबारी, लड़ाइयों, आत्मघाती हमलों, बारूदी सुरंग विस्फोट और अन्य अस्पष्ट विस्फोटों में 7,500 से अधिक बच्चे मारे गए या घायल हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल 2013 से 31 दिसंबर 2018 के बीच बच्चों के खिलाफ हिंसा के 11,779 गंभीर मामले सामने आए, जिसमें कई बच्चों की जान गई और कई घायल हुए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आंकड़े और बढ़ सकते हैं क्योंकि यमन की निगरानी करना मुश्किल हो गया है.
खाड़ी देशों में सबसे गरीब यमन में साल 2014 में तब युद्ध शुरू हुआ जब ईरान समर्थित शिया हूदी विद्रोहियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया. विद्रोहियों ने आबेद रब्बू मंसूर हादी की सरकार गिरा दी.
यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के साथ सऊदी नीत गठबंधन साल 2015 से हूदी विद्रोहियों से लड़ाई लड़ रहा है. इस दौरान 91 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग अकाल के कगार पर पहुंच गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)