रेवाड़ी ज़िले के एक गांव की तकरीबन 80 लड़कियां गांव के स्कूल को बारहवीं कक्षा तक करने की मांग के साथ भूख हड़ताल पर बैठी हैं. पढ़ाई के लिए गांव से दूर जाने पर रास्ते में होती है छेड़छाड़.
रेवाड़ी के गोठड़ा टप्पा डहेना गांव की करीब 80 स्कूली छात्राएं बुधवार 10 मई से भूख हड़ताल पर बैठी हैं. उनकी मांग है कि उनके गांव के सरकारी स्कूल को 10वीं कक्षा से बढ़ाकर 12वीं तक किया जाए.
पर इस मांग के लिए भूख हड़ताल की ज़रूरत क्यों पड़ी?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार गांव में स्कूल न होने के चलते इन लड़कियों को 3 किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल जाना पड़ता है, जहां रास्ते में आते-जाते अक्सर ही उन्हें छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है. लड़कियों का कहना है कि उन्होंने गांव के सरपंच से भी शिकायत की थी, जिन्होंने इस मामले को आगे भी बढ़ाया पर कोई हल नहीं निकला. इसलिए लड़कियों ने यह मांग उठाई है कि उनके गांव के ही स्कूल को बारहवीं कक्षा तक अपग्रेड किया जाए और इसी मांग की पूर्ति के लिए वे भूख हड़ताल कर रही हैं.
गांव के सरपंच सुरेश चौहान बताते हैं, ‘इन बच्चियों को दूसरे गांव आने-जाने की समस्या तो है ही, पर इन्हें सड़क पर हो रही छेड़छाड़ का भी सामना करना पड़ता है. कुछ लड़के रोज़ाना बाइक पर हेलमेट पहनकर आते हैं और इन लड़कियों से बदतमीज़ी करते हैं. हेलमेट होने की वजह से उनकी पहचान भी नहीं हो पाती.’
हालांकि ज़िले की एसपी संगीता कालिया का कहना है कि उन्हें छेड़छाड़ की कोई शिकायत नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद छात्राओं से पूछा पर किसी ने भी छेड़छाड़ या बदतमीज़ी की कोई शिकायत नहीं की. उनका कहना था, ‘हमें कभी कोई शिकायत नहीं मिली. मैंने उनसे बात की है और उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर उच्च अधिकारियों से बात की जाएगी.’
वहीं ज़िला शिक्षा अधिकारी धर्मवीर बालोदिया का कहना है कि छात्राओं को उनके अभिभावक और सरपंच द्वारा भटकाया जा रहा है. गांव के स्कूल को अपग्रेड करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘किसी भी स्कूल को अपग्रेड करने के लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना होता है. गांव के हाईस्कूल में महज़ 150 बच्चे पढ़ते हैं, जो अपग्रेड के नियमानुसार बहुत कम है.’
स्थानीय मीडिया के अनुसार बच्चियों के अभिभावक भी उनके साथ हड़ताल पर बैठे हैं. शुक्रवार को 4 लड़कियों की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.
लड़कियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे हड़ताल ख़त्म नहीं करेंगी.
गौरतलब है कि 2016 में रेवाड़ी ज़िले में ही स्कूल जाते समय एक छात्रा के साथ बलात्कार होने के बाद दो गांवों की लड़कियों ने डर के कारण स्कूल जाना छोड़ दिया था.