अगस्त 2017 में अपनी दो महिला अनुयायियों के साथ बलात्कार और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से गुरमीत राम रहीम हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद है.
चंडीगढ़: जेल में बंद बलात्कार के दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने अपने परोल की अर्जी वापस ले ली. हरियाणा के सिरसा में अपने खेतों में खेती के लिए राम रहीम ने परोल की मांग की थी.
हरियाणा कारागार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते सोमवार को बताया, ‘उसने अपनी परोल की अर्जी सोमवार को वापस ले ली.’
51 वर्षीय राम रहीम अपनी दो महिला अनुयायियों के साथ बलात्कार और एक पत्रकार की हत्या के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद हरियाणा के रोहतक जिले में सुनारिया जेल में बंद है. उसने सिरसा जिले में अपने खेतों की देखरेख के लिए 42 दिन की परोल मांगी थी.
राम रहीम की परोल अर्जी आने के बाद जेल अधीक्षक ने सिरसा जिला प्रशासन को पत्र लिखा था.
अधिकारी ने 18 जून की तारीख वाले एक पत्र में इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि राम रहीम को परोल पर रिहा करना व्यावहारिक होगा या नहीं.
जेल अधीक्षक ने पत्र में उल्लेख किया था कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख का जेल में व्यवहार अच्छा था और उसने नियम का कोई उल्लंघन नहीं किया.
सिरसा जिला प्रशासन से रोहतक मंडल आयुक्त को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था जिसकी एक प्रति जेल अधीक्षक को भी भेजने के लिए कहा गया था.
मालूम हो कि राम रहीम द्वारा परोल मांगने के बाद विवाद मच गया था. इस विवाद को हरियाणा के जेल मंत्री ने एक बयान देकर और बढ़ा दिया था.
हरियाणा के जेल मंत्री केएल पंवार ने कहा था, ‘एक साल बाद हर दोषी को परोल लेने का अधिकार होता है. उसने परोल की अर्जी दी है और हमने इसे सिरसा जिला प्रशासन के पास भेज दिया है. आगे की कार्रवाई वहां से रिपोर्ट आने के बाद होगी.’
Haryana Jail Minister KL Panwar on Ram Rahim: Every convict has the right to seek parole after an year, he made a request which we forwarded to the Sirsa district administration. Further action will be taken based on report. pic.twitter.com/qCzegTgWRn
— ANI (@ANI) June 25, 2019
बीते 25 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राम रहीम के परोल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था, ‘उसे परोल मांगने का अधिकार है. कोई भी परोल मांग सकता है. यह उसका हक है, जिससे उसे रोका नहीं जा सकता है.’
मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘कोई भी कैदी जेल अधीक्षक से परोल मांग सकता है. जेल अधीक्षक उसे जिला उपायुक्त को भेजता है. वह उसे पुलिस अधीक्षक को भेजता है. अंतिम अनुमति डिविजनल कमिश्नर देता है. अगर सरकार द्वारा कोई निर्णय लेने की बात आएगी तो प्रदेश हित को देखते हुए फैसला लिया जाएगा.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गुरमीत राम रहीम अगस्त 2017 से जेल में बंद है और तकनीकी रूप से एक साल जेल में बीता लेने के बाद वह परोल मांगने के योग्य हो जाता है.
अगस्त 2017 में गुरमीत राम रहीम को अपनी दो महिला अनुयायियों के बलात्कार के लिए 20 साल की सजा सुनाई थी. पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने इस साल जनवरी में राम रहीम और तीन अन्य लोगों को 16 साल पहले एक पत्रकार की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. रामचंद्र ने अपने अख़बार ‘पूरा सच’ में प्रकाशित एक लेख में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था.
हत्या मामले में तीन अन्य आरोपी- कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल हैं.
छत्रपति के परिवार ने 2003 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख़ कर यह मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की थी. इसकी जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई. जांच एजेंसी ने जुलाई, 2007 में आरोप-पत्र दाखिल किया था.
इससे पहले गुरमीत राम रहीम को 28 अगस्त, 2017 में दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई थी. गुरमीत को दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकुला और पंजाब एवं हरियाणा के कुछ अन्य हिस्सों में हिंसा हुई थी. पंचकुला में हिंसा में करीब 30 लोगों की मौत हो गई. मृतकों में से ज्यादातर गुरमीत के समर्थक थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)