महाराष्ट्र: बांध में दरार से आई बाढ़ में 23 लोगों के मरने की आशंका, 11 शव बरामद

रत्नागिरि ज़िले के तिवारे बांध में दरार आने के बाद निचले इलाके में आने वाले तकरीबन सात गांवों में बाढ़ जैसे हालत. 12 मकान बहे. बांध में दरार पड़ने की शिकायत स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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तिवारे बांध में दरार आने से आई आपदा के बाद एनडीआरएफ राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई है. (फोटो साभार: ट्विटर)

रत्नागिरि ज़िले के तिवारे बांध में दरार आने के बाद निचले इलाके में आने वाले तकरीबन सात गांवों में बाढ़ जैसे हालत. 12 मकान बहे. बांध में दरार पड़ने की शिकायत स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

तिवारे बांध में दरार आने से आई आपदा के बाद एनडीआरएफ राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई है. (फोटो साभार: ट्विटर)
तिवारे बांध में दरार आने से आई आपदा के बाद एनडीआरएफ राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई है. (फोटो साभार: ट्विटर)

मुंबई: महाराष्ट्र के तटीय कोंकण क्षेत्र में लगातार बारिश के बाद एक बांध में दरार आने से निचले इलाकों में पड़ने वाले गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. इस हादसे में कम से कम 23 लोगों के मरने की आशंका है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 11 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि मृतक संख्या के 23 होने की आशंका है.

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि रत्नागिरि जिले के चिपलुन तालुका के तिवारे बांध की जल संग्रहण क्षमता 20 लाख घन मीटर है. भारी बारिश के बाद मंगलवार देर रात इसमें दरार आ गई.

रत्नागिरी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विशाल गायकवाड़ ने बताया, ‘अब तक 11 लोगों के शव बरामद हुए हैं.’ उन्होंने बताया कि पुलिस ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है.

मृतकों के परिजनों ने बताया कि पिछले साल बांध में दरार देखने के बाद उन्होंने जिला प्रशासन से इसकी मरम्मत का अनुरोध किया था.

एक मृतक के परिजन ने बताया कि बांध किस तहसील में पड़ता है, इसे लेकर विवाद था, क्योंकि चिपलून और दपोली तहसील के कार्यालयों ने ग्रामीणों के आवेदन को अनदेखा किया.

उसने कहा, ‘इसी लापरवाही के कारण आज हम ये दिन देखने के मजबूर हैं.’

उसने कहा, ‘मेरे माता-पिता, पत्नी और डेढ़ साल का बच्चा लापता हैं. मेरा भाई किसी काम से उस समय बाहर गया था, वापस नहीं आया.’

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है. स्थिति अब नियंत्रण में है.’ एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि अंधेरा होने और पानी का बहाव अचानक तेज हो जाने के कारण बचाव काम शुरुआत में बाधित हुआ था.

बांध में दरार आने से निचले इलाके में पड़ने वाले सात गांवों, जिसमें अकले, रिकटोली, ओवली, कलकवन, नांदीवासे आदि शामिल हैं, में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं और कम से कम 12 मकान बह गए हैं.

रत्नागिरि के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विशाल गायकवाड़ ने पूछे जाने पर कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा राज्य पुलिस के जवान तलाश अभियान चला रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है. स्थिति अब नियंत्रण में है.’

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि अंधेरा होने और पानी का बहाव अचानक तेज हो जाने के कारण बचाव काम शुरुआत में बाधित हुआ था. स्थानीय जन प्रतिनिधि का आरोप है कि सरकार ने बांध की मरम्मत के उनके अनुरोध की अनदेखा की.

उन्होंने दावा किया कि उन्होंने बांध की दीवार में दरारें आने के बारे में प्रशासन को लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने स्वीकार किया कि तिवारे बांध के पास रहने वाले ग्रामीणों ने बांध में दरार होने की शिकायत की थी.

उन्होंने कहा, ‘बांध करीब 14 साल पहले बना था. राज्य सरकार यह पता लगाएगी कि लापरवाही किस स्तर पर हुई है और इसके मुताबिक जरूरी कार्रवाई की जाएगी.’ उन्होंने कहा कि बाढ़ में बह गए घरों की जगह सुरक्षित स्थान पर घर बनाए जाएंगे और मरने वालों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने मामले की जांच के आदेश दे दिए है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘बांध में दरार पड़ने के कारणों की जांच की जाएगी, जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’

इसमें बताया गया कि फड़णवीस ने जिला प्रशासन से संपर्क किया और राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया.

इस बीच कुछ स्थानीय लोगों ने दावा किया कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बांध की दीवार में दरार की शिकायतें मिलने के बाद हाल ही में बांध का दौरा किया था.

वहीं राकांपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि इस बांध में दरार पड़ने के पीछे सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है.

राकांपा के महाराष्ट्र प्रमुख जयंत पाटिल ने कहा, ‘यह हादसा प्रशासन की अनदेखी की वजह से हुआ. सरकार को जगाने के लिए कितनी जानें देनी होंगी?’

राकांपा नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने जयंत पाटिल के बयान का समर्थन करते हुए कहा, ‘इस घटना ने सड़क, पुल और इमारतों के संरचनात्मक ऑडिट के मुद्दे को फिर उठा दिया है. जो सत्ता में हैं वे जाग जाएं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)