लोकपाल के लिए आवंटित किए गए बजट को निर्माण और स्थापना संबंधी कार्यों में ख़र्च किया जाएगा.
नई दिल्ली: भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल को 101.29 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है जबकि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में 35.55 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है.
वहीं भ्रष्टाचार और बैंकिंग घोटालों से जुड़े कई संवेदनशील और बहुचर्चित मामलों की जांच रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को 2019-20 के केंद्रीय बजट में 781.01 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं. ब्यूरो को आवंटित धनराशि में पिछले वित्त वर्ष की अपेक्षा 2.08 करोड़ रूपए की मामूली वृद्धि हुई है.
सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए एक फरवरी को पेश किए गए अपने अंतरिम बजट में लोकपाल के लिए वर्ष 2018-19 में निर्धारित 4.29 करोड़ रुपये की राशि में फेरबदल नहीं किया था.
मालूम हो कि इस साल मार्च में लोकपाल के अध्यक्ष और इसके सदस्यों की नियुक्ति हुई थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 मार्च को जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल के अध्यक्ष के तौर पर पद की शपथ दिलाई थी. इसके बाद जस्टिस घोष ने 27 मार्च को लेकपाल के आठ सदस्यों को पद की शपथ दिलाई थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को पेश किए गए बजट के मुताबिक लोकपाल के लिए 2019-20 में कुल 101.29 करोड़ की रकम निर्धारित की गई है.
इस पैसे को लोकपाल के लिए स्थापना और ऑफिस निर्माण संबंधी व्यय पर खर्च किया जाएगा. लोकपाल अभी राष्ट्रीय राजधानी के एक पांच सितारा होटल से अपना काम कर रहा है.
वहीं बजट दस्तावेजों के अनुसार, सीबीआई को पिछले साल 778.93 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जो इस बार बढ़ाकर 781.01 करोड़ रुपये कर दिया गया.
सीबीआई को 2018-19 के बजट में शुरू में 698.38 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 778.93 करोड़ रुपये कर दिया गया था.
बजट दस्तावेजों में कहा गया है कि ये पैसे सीबीआई के स्थापना-संबंधी खर्च के लिए हैं. सीबीआई को लोक सेवकों, निजी व्यक्तियों, कंपनियों और अन्य गंभीर अपराधों के मामलों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में जांच और अभियोजन का जिम्मा सौंपा गया है.
एजेंसी के पास कई प्रत्यर्पण मामले हैं जिनमें विदेशों की अदालतों में कानूनी लड़ाई चल रही है. इसके अलावा अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला, पोंजी घोटाला, अवैध खनन घोटाला जैसे भ्रष्टाचार के मामले और मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ मामले में एजेंसी के पास हैं जिनमें बड़े पैमाने पर कार्यबल और संसाधनों की जरूरत है.
वहीं केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को मौजूदा वित्त वर्ष में 35.55 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. ये पैसे सचिवालय खर्च के लिए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)