साल 2018-19 में सीआईसी और आरटीआई मद में नौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. लेकिन इस बार ये राशि घटाकर 5.5 करोड़ कर दी गई.
नई दिल्ली: केंद्रीय बजट 2019-20 में पिछली बार की तुलना में इस बार सूचना का अधिकार कानून को सही तरीके से लागू करने और इसके प्रसार निधि में 38 प्रतिशत से भी ज्यादा की कटौती की गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और सूचना का अधिकार (आरटीआई)’ के लिए 5.5 करोड़ रुपये के आवंटन का ऐलान किया जबकि 2018-19 में यह नौ करोड़ रुपये था.
इस तरह पिछली बार की तुलना में इस बार आवंटन में 3.5 करोड़ यानि 38.8 प्रतिशत की कटौती की गई है. साल 2018-19 के बजट में सीआईसी और आरटीआई के लिए सात करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था, जिसे बाद में संशोधित कर नौ करोड़ रुपये कर दिया गया था.
खास बात ये है कि इस बार आवंटित की गई राशि साल 2019-20 के लिए इसी साल एक फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट के आवंटन से भी कम है. अंतरिम बजट 2019-20 में सीआईसी और आरटीआई के लिए 7.25 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.
सीआईसी और आरटीआई के मद में जो राशि आवंटित की जाती है उसे आरटीआई एक्ट को सही तरीके से लागू करने की सीआईसी की योजना, सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फरेंसिंग की व्यवस्था करना, डाक डिजिटलीकरण, आरटीआई पर प्रचार सामग्री तैयार करना, कॉल सेंटर स्थापित करना और सीआईसी के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही अध्ययन के लिए विंग की स्थापना करने जैसे कामों में खर्च करना होता है.
इसके अलावा ये राशि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की आरटीआई के प्रचार-प्रसार नीति के तहत भी खर्च की जाती है. लेकिन इस बार सरकार ने डीओपीटी की आरटीआई प्रसार नीति के अलावा अन्य कामों के लिए पैसा आवंटित नहीं किया.
आरटीआई एक्ट को प्रभावी तरीके से लागू करने की सीआईसी की योजना के लिए भी कोई फंड आवंटित नहीं किया गया है.
सीआईसी के लिए बजट दो अलग-अलग मदों के तहत आवंटित किया जाता है. उनमें से एक स्थापना संबंधी व्यय जैसे वेतन आदि के लिए होता है. यह राशि सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) और सीआईसी के लिए एक मद के तहत आवंटित की जाती है.
साल 2018-19 के संशोधित बजट में स्थापना संबंधी व्यय के लिए आवंटन बढ़कर 29.27 करोड़ हो गया था. वहीं, साल 2019-20 के बजट में मामूली बढ़ोतरी के साथ इस मद के तहत 32.01 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)