न्यायालय ने कहा कि समय की कमी की वजह से सिर्फ तीन तलाक़ पर सुनवाई होगी. बहुविवाह और निक़ाह हलाला के मामले पर दूसरी पीठ सुनवाई करेगी.
केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि अगर अदालत तीन तलाक़ को अमान्य और असंवैधानिक करार देती है तो वह मुसलमानों के बीच शादी और तलाक़ के नियमन के लिए एक कानून लाएगी.
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा, ‘अगर अदालत तुरंत तलाक़ (तीन तलाक़) के तरीके को निरस्त कर देती है तो केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के बीच शादी और तलाक़ के नियमन के लिए एक कानून लाएगी.’
रोहतगी ने यह बात तब कही जब उच्चतम न्यायालय ने उनसे पूछा कि अगर इस तरह के तरीके निरस्त कर दिए जाएं तो शादी से निकलने के लिए किसी मुस्लिम मर्द के पास क्या तरीका होगा.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह समय की कमी की वजह से सिर्फ तीन तलाक़ पर सुनवाई करेगा लेकिन केंद्र के इस पर बल देने के मद्देनज़र बहुविवाह और निक़ाह हलाला के मुद्दों को भविष्य में सुनवाई के लिए खुला रख रहा है.
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, हमारे पास जो सीमित समय है उसमें तीनों मुद्दों को निपटाना संभव नहीं है. हम उन्हें भविष्य के लिए लंबित रखेंगे.
संविधान पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नज़ीर भी शामिल हैं.
अदालत ने यह बात तब कही जब केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि दो सदस्यीय पीठ के जिस आदेश को संविधान पीठ के समक्ष पेश किया गया है उसमें तीन तलाक़ के साथ बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दे भी शामिल हैं.
केंद्र की यह बात उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी के मद्देनज़र अहम है कि वह सिर्फ तीन तलाक़ का मुद्दा निपटाएगा और वह भी तब जब यह इस्लाम के लिए बुनियादी मुद्दा होगा.
रोहतगी ने संविधान पीठ से यह साफ करने के लिए कहा कि बहुविवाह और निक़ाह हलाला के मुद्दे अब भी खुले हैं और कोई और पीठ भविष्य में इसे निपटाएगी.
उच्चतम न्यायालय मुस्लिम समाज में व्याप्त तीन तलाक़ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. सोमवार को सुनवाई का तीसरा दिन है. केंद्र ने रविवार को अपनी दलीलें पेश करनी शुरू की हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)