मालेगांव विस्फोट में इस्तेमाल आरोपी प्रज्ञा ठाकुर की बाइक का न्यायाधीश ने परीक्षण किया

साल 2008 में मालेगांव बम धमाके के बाद घटनास्थल से दो बाइक और पांच साइकलों को जब्त किया गया था. आरोप है कि बम में आईईडी से विस्फोट किया गया था और इसे सुनहरे रंग की एलएमएल फ्रीडम बाइक में रखा गया था, जो ठाकुर के नाम पर पंजीकृत है.

भाजपा सासंद प्रज्ञा सिंह ठाकुर. (फोटो: पीटीआई)

साल 2008 में मालेगांव बम धमाके के बाद घटनास्थल से दो बाइक और पांच साइकलों को जब्त किया गया था. आरोप है कि बम में आईईडी से विस्फोट किया गया था और इसे सुनहरे रंग की एलएमएल फ्रीडम बाइक में रखा गया था, जो ठाकुर के नाम पर पंजीकृत है.

**EDS: RPT WITH DETAIL**Mumbai: BJP MP Pragya Singh Thakur arrives at sessions court for the hearing of Malegaon blast case in Mumbai, Friday, June 7, 2019. Six people were killed and over 100 injured when an explosive device strapped to a motorcycle went off near a mosque in Malegaon on September 29, 2008. According to police, the motorbike was registered in Thakur's name and that led to her arrest in 2008. (PTI Photo/Shashank Parade)(PTI6_7_2019_000032B)
प्रज्ञा सिंह ठाकुर. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: महाराष्ट्र के मालेगांव में सितंबर 2008 में हुए विस्फोट में इस्तेमाल बाइक को सबूत के तौर पर मुंबई की एक विशेष अदालत के सामने पेश किया गया. इस बाइक की मालिक कथित रूप से भाजपा सांसद और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर हैं. वह इसी मामले में आरोपी है.

मालेगांव के भीखू चौक से विस्फोट स्थल से दो बाइक और पांच साइकलों को जब्त किया गया था. इन्हें एक टेम्पो में रखकर दक्षिण मुंबई की सत्र अदालत लाया गया जहां विशेष एनआईए न्यायाधीश विनोद पडलकर ने इनका परीक्षण किया.

सोमवार को गवाह ने यह शिनाख्त कर दी कि उसने 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में विस्फोट के दिन घटनास्थल पर यह बाइक देखी थी. इस बाइक की मालिक कथित रूप से ठाकुर हैं. मालेगांव महाराष्ट्र के नासिक जिले का शहर है.

अभियोजन के मुताबिक, बम में आईईडी से विस्फोट किया गया था और इसे सुनहरे रंग की एलएमएल फ्रीडम बाइक में रखा गया था जो ठाकुर के नाम पर पंजीकृत है. ठाकुर अब भोपाल से भाजपा की सांसद है.

इस बाइक का रजिस्ट्रेशन नंबर एमएच 15 पी 4572 था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इसी आधार पर अक्टूबर 2008 में एटीएस ने इस मामले में पहली गिरफ्तारी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के रूप में की थी. दूसरी बाइक होंडा यूनिकॉर्न थी.

मामले की शुरू में जांच महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी और उसने दावा किया था कि ठाकुर ने अपने करीबी सहयोगी रामजी कलसांगरा को विस्फोट करने के लिए बाइक दी थी. कलसांगरा अब भी फरार है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2011 में एटीएस से जांच अपने हाथों में ले ली थी.

एनआईए ने 2016 में दायर अपने पहले अनुपूरक आरोप पत्र में ठाकुर को क्लीन चिट दे दी थी.

एनआईए ने कहा कि उनसे एटीएस की ओर से रिकॉर्ड पर लाए गए सबूतों का फिर से मूल्यांकन किया है और इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि ठाकुर के नाम पर पंजीकृत बाइक उसके कब्जे में नहीं थी और इसका इस्तेमाल दो साल से कलसांगरा कर रहा था.

केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि ठाकुर का विस्फोट से संबंध नहीं है.

ठाकुर ने विशेष अदालत से आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने के लिए एनआईए की इसी दलील को आधार बनाया था, लेकिन 27 दिसंबर 2017 को अदालत ने ठाकुर की याचिका को खारिज कर दी और कहा था कि विस्फोट में इस्तेमाल गाड़ी ठाकुर की है और आरटीओ रिकॉर्ड में ठाकुर के नाम पर है.

मालेगांव बम धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग घायल हुए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)