एक याचिका में राजधानी की बढ़ती आबादी और बढ़ते अपराध को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस में जवानों की स्वीकृत संख्या को बढ़ाने और अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की नियुक्ति किए जाने का आदेश देने की मांग की गई थी.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जब हम न्यायपालिका में स्वीकृत पदों को नहीं भर पा रहे हैं तब हम दिल्ली पुलिस को आखिर किस तरह से आदेश दे सकते हैं कि वह शहर में अपने स्वीकृत पदों की संख्या में बढ़ोतरी करे?
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दी. इस याचिका में राजधानी की बढ़ती आबादी और बढ़ते अपराध को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस में जवानों की स्वीकृत संख्या को बढ़ाने और अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की नियुक्ति किए जाने का आदेश देने की मांग की गई थी.
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस हरी शंकर की पीठ ने टिप्पणी की, ‘हम अपने जजों के स्वीकृत पदों को तो भर नहीं पा रहे हैं. इनको कहां से आदेश दें. हालांकि, पीठ ने आगे कहा कि पुलिसकर्मियों को पर्याप्त और उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.’
यह याचिका दिल्ली सिटिजन फोरम फॉर सिविल राइट्स नामक एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने दाखिल की थी.
याचिका में दिल्ली सरकार को दिल्ली पुलिस में होने वाली नई भर्ती के प्रशिक्षण के लिए एकीकृत और अपडेटेड दिशानिर्देश लागू करने का आदेश देने की भी मांग की गई थी.
हालांकि, ऐसा कोई आदेश जारी करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा, ‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लगता है कि सरकार और दिल्ली पुलिस के पास पहले से ही पुलिस के प्रशिक्षण का ढांचा है.’
एनजीओ ने आरोप लगाया था कि कथित रूप से एक महीने में हुई 16 हत्याओं के बाद पुलिस को अपग्रेड प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है. वहीं, याचिका में 16 जून को उत्तरी दिल्ली में पुलिसकर्मियों और टेम्पो ड्राइवर के बीच हुए संघर्ष का उल्लेख किया गया था.
वहीं, लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी, ‘सुप्रीम कोर्ट में जजों की कोई कमी नहीं है. साल 2009 के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट में 31 जजों की पूरी संख्या है. हालांकि, 1 जुलाई, 2019 तक विभिन्न हाईकोर्ट में 403 पद खाली हैं.’
Union Minister RS Prasad in Lok Sabha: High Court. Appointment of Judges in the High Courts is a continuous collaborative process between the Executive and the Judiciary, as it requires consultation and approval from various Constitutional Authorities. https://t.co/URUwBUpEYv
— ANI (@ANI) July 10, 2019
उन्होंने बताया, ‘विभिन्न हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच लगातार सहयोगात्मक प्रक्रिया का हिस्सा होता है, क्योंकि इसके लिए विभिन्न संवैधानिक संस्थानों से सलाह और मंजूरी लेने की आवश्यकता होती है.’