मानवाधिकार समूहों का ऐसा अनुमान है कि शिनजियांग में क़रीब 10 लाख मुसलमानों को जबरन नज़रबंद किया गया है. हालांकि चीन इस बात से इनकार करता रहा है.
जिनेवा: मानवाधिकार निगरानी संस्था (ह्यूमन राइट्स वॉच) का कहना है कि 22 पश्चिमी देशों ने एक बयान जारी कर चीन से अनुरोध किया है कि वह पश्चिम शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मनमाने तरीके से हुई नजरबंदी और अन्य उल्लंघनों को खत्म करें.
ह्यूमन राइट्स वॉच के जिनेवा निदेशक जॉन फिशर का कहना है, ‘22 देशों ने शिनजियांग में मुसलमानों के साथ हो रहे भयावह व्यवहार को ठीक करने के लिए चीन से कहा है.’
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट को एक पत्र भेजा गया है. इस पत्र में चीन से कहा गया कि वह अपने कानूनों और अंतराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखे और उइगर और अन्य मुस्लिम व अल्पसंख्यक समुदायों के मनमानेपन को रोकें और धर्म की स्वतंत्रता की अनुमति दें.
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी उन 18 यूरोपीय देशों में शामिल हैं जिन्होंने जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के साथ जुड़कर इस संबंध में आ रहीं रिपोर्टों पर ध्यान आकर्षित किया है. पत्र में मिशेल बैचलेट से को मानवाधिकार परिषद को नियमित रूप से इस घटनाक्रम पर अपडेट रखने के लिए कहा है.
मानवाधिकार समूहों और अमेरिका का ऐसा अनुमान है कि शिनजियांग में क़रीब 10 लाख मुसलमानों को जबरन नज़रबंद किया गया है.
हालांकि, चीन हिरासत केंद्रों में इस तरह के मानवाधिकार उल्लंघनों से इनकार करता है और इन्हें चरमपंथ से लड़ने तथा रोजगार योग्य कौशल सिखाने के उद्देश्य वाले प्रशिक्षण स्कूल बताता है.
ह्यूमन राइट्स वॉच की ओर से कहा गया है कि इस पत्र पर ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड, जापान, लातविया, लिथुआनिया, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, नॉवे, स्पेन, स्वीडन, स्विटजरलैंड और ब्रिटेन हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)