अरबों रुपयों के चारा घोटाले के चार मामलों में से एक देवघर कोषागार गबन मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने राजद प्रमुख को ज़मानत दी है, लेकिन अन्य दो मामलों में सज़ायाफ्ता होने के चलते उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा.
रांची: अरबों रुपये के चारा घोटाले से जुड़े चार मामलों में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय से देवघर कोषागार से फर्जीवाड़ा कर गबन के एक मामले में राहत मिली।
न्यायालय ने सजा की आधी अवधि पूरी कर लेने के चलते उन्हें जमानत दे दी है, हालांकि अभी उन्हें जेल में ही रहना होगा क्योंकि चारा घोटाले के दो अन्य मामलों में सजायाफ्ता होने के बाद उन्हें अभी जमानत नहीं मिलीहै.
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने सजा की आधी अवधि जेल में काटने के आधार पर उन्हें जमानत की सुविधा प्रदान की है. यद्यपि दो अन्य मामलों में सजा मिलने की वजह से अभी उन्हें जेल में ही रहना होगा.
लालू प्रसाद को जमानत के लिए पचास-पचास हजार रुपये के दो निजी मुचलके सीबीआई कोर्ट में जमा करने होंगे. लालू यादव को इसके साथ सजा के साथ अदालत द्वारा लगाये गये जुर्माने की राशि पांच लाख रुपये भी अदालत में जमा करनी होगी.
पीठ ने कहा कि अगर उन्होंने अपना पासपोर्ट अदालत में जमा नहीं किया है तो निचली अदालत में उसे जमा करा दें. इससे पहले सीबीआई की ओर से लालू प्रसाद की जमानत का जोरदार विरोध किया गया.
अदालत को बताया गया कि उच्च न्यायालय से जब लालू प्रसाद की जमानत याचिका खारिज हुई थी, तो इन्होंने फरवरी 2019 में सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका स्पेशल लीव पेटिशन (एसएलपी) दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई थी.
लालू प्रसाद की ओर से आधी सजा काटने का आधार बनाया गया था लेकिन इस तर्क को सर्वोच्च न्यायालय ने महत्व नहीं दिया.सीबीआई का जवाब देखने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
सीबीआई ने कहा कि एक बार फिर आधी सजा काटने का आधार बनाते हुए लालू की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है. एक बार जिस आधार पर उनकी याचिका खारिज हो गई है, दोबारा इसी आधार पर उन्हें जमानत नहीं देनी चाहिए.
जिसके बाद लालू प्रसाद के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उन्होंने मेरिट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी. इसमें कहीं भी आधी सजा को आधार नहीं बनाया गया था. इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करने का कोई आधार नहीं बताया है, इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने लालू प्रसाद को इस मामले में जमानत दे दी. लालू प्रसाद यादव की ओर से देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में यह जमानत याचिका दाखिल की थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई है.
बीते मार्च महीने में चारा घोटाले में दुमका कोषागार से करीब 3 करोड़ 13 लाख गबन के मामले में दोषी करार लालू यादव को विभिन्न धाराओं में 7-7 साल की सज़ा सुनाई गई थी.
इससे पहले चारा घोटाले के तीन मामलों में पहले ही सजा पा चुके लालू प्रसाद यादव को देवघर कोषागार एवं चाईबासा कोषागार के गबन के दो मामलों में दोषी ठहराया गया था. जनवरी महीने में 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हज़ार रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को रांची की सीबीआई अदालत साढ़े तीन वर्ष की क़ैद एवं दस लाख जुर्माने की सज़ा सुनाई थी.
साल 2013 के अक्टूबर महीने में चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू प्रसाद यादव और सहित 22 लोगों को सज़ा सुनाई गई थी. हालांकि लालू यादव ने इस फैसले के ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी जिसके बाद उन्हें ज़मानत मिल गई थी.
इस समय लालू प्रसाद यादव चाईबासा, देवघर और दुमका से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता हैं. चाईबासा के दो मामलों में वह सजायाफ्ता हैं. फिलहाल रिम्स में उनका इलाज में चल रहा है. उन्हें डायबिटीज, हृदय रोग सहित कई अन्य तरह की बीमारियां हैं. एक मामले में लालू को अदालत ने चौदह वर्ष तक की कैद की सजा सुनायी है.
लालू यादव जमानत न मिलने के कारण हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में लाख कोशिशों के बावजूद अपनी पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर सके थे. मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)