दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड, नई दिल्ली नगर निगम और दिल्ली नगर निगम समेत 10 नगर निकायों को आदेश दिया है कि वे हलफनामा दायर कर बताएं कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मैनुअल स्कैवेंजर्स को नौकरी पर रखते हैं या नहीं.
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड, नई दिल्ली नगर निगम और दिल्ली नगर निगम समेत 10 नगर निकायों को आदेश दिया है कि वे हलफनामा दायर कर बताएं कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मैनुअल स्कैवेंजर्स (मैला ढोने वाले लोग) को नौकरी पर रखते हैं या नहीं.
लाइव लॉ के मुताबिक, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर लोग लगातार मर रहे हैं, तो किसी को तो जेल जाना पड़ेगा.
कोर्ट ‘नेशनल कैंपेन फॉर डिग्निटी एंड राइट्स ऑफ सीवरेज एंड अलाइड वर्कर्स’ द्वारा साल 2007 में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013’ बनने के बाद कॉन्ट्रैक्टर के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से मैनुअल स्कैवेंजर्स को काम पर रखने के मामले बढ़ गए हैं.
साल 2013 में ये कानून आने के बाद से मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी कि मैला उठाने के काम को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था. हालांकि आज भी ये प्रथा समाज में मौजूद है. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सभी नगर निकाय मशीन इस्तेमाल करने के बजाय मैनुअल स्कैवेंजर्स से काम करा रहे हैं.
सेप्टिंक टैंक साफ करने, सीवर सफाई जैसे कामों के लिए मैनुअल स्कैवेंजर्स को रखा जाता है. जबकि ऐसा करना पूरी तरह से गैरकानूनी है.
हाल ही में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि मैनुअल स्कैवेंजर्स को काम पर रखने के लिए किसी भी व्यक्ति को दोषी ठहराने या सजा देने के संबंध में कोई जानकारी नहीं है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि प्राइवेट कॉलोनियों के सेप्टिक टैंकों को मैनुअल स्कैवेंजर्स से साफ करवाया जाता है. इन लोगों को प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर्स काम पर रखते हैं. इस तरह के निजी तौर पर रखे गए मैनुअल स्कैवेंजर्स के लिए कोई नियम या सुरक्षा उपाय नहीं हैं.
जस्टिस जीएस सिस्तानी और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि कानून बनने के बाद भी कई मौतें हुईं हैं और ये दिखाता है कि गैरकानूनी तरीके से मैनुअल स्कैवेंजिंग कराई जा रही है.
कोर्ट ने दस निकायों को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मैनअल स्कैवेंजर्स से काम कराते हैं या नहीं.
कोर्ट ने ये भी बताने को कहा कि क्या ये काम निजी ठेकेदारों द्वारा कराए जा रहे हैं और अगर ऐसा हो रहा है तो ठेकेदारों की निगरानी के लिए क्या नियम बनाए गए हैं.
इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सभी नगर निकाय ये बताएं की मैनअल स्कैवेंजर्स को सुरक्षा उपरकण देने की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं और इनके पुनर्वास के लिए क्या-क्या किया गया है.