साल 2019 के पार्टी घोषणापत्र में भाजपा ने गोरखालैंड का उल्लेख किए बिना ‘दार्जिलिंग हिल्स, सिलीगुड़ी तराई और डुआर्स क्षेत्र’ के मुद्दे पर स्थायी राजनीतिक समाधान का वादा किया गया था. 2014 के लोकसभा चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण में कहा था, ‘गोरखा का सपना, मेरा सपना’.
नगराकटा (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी ने अलग गोरखालैंड राज्य के गठन का कभी वादा नहीं किया. भाजपा ने लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग सीट पर जीत हासिल की थी.
घोष ने कहा कि असम की तरह पश्चिम बंगाल में भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को शीघ्र लागू किया जाएगा.
जलपाईगुड़ी जिले में कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, ‘हम गोरखा लोगों की प्रगति चाहते हैं. हम गोरखालैंड राज्य की मांग से सहानुभूति रखते हैं लेकिन अलग राज्य का कभी वादा नहीं किया था.’
प्रदेश भाजपा प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दार्जिलिंग के विधायक और गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के प्रवक्ता नीरज जिम्बा ने कहा, ‘दिलीप घोष की अपनी राजनीतिक बाध्यता है लेकिन इससे अलग गोरखालैंड राज्य के लिए हमारी मांग नहीं थमेगी.’
उन्होंने कहा, ‘हम मुद्दे का स्थायी राजनीतिक समाधान चाहते हैं.’
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के फरार नेता बिमल गुरूंग ने लोकसभा चुनाव के पहले इस साल अप्रैल में पीटीआई को दिये गए एक साक्षात्कार में दावा किया था कि भाजपा ने गोरखालैंड की मांग पर गौर करने का वादा किया था.
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, हत्या और दंगा सहित कई मामलों में वांछित, गुरुंग दो साल से अधिक समय से फरार हैं.
हालांकि, लगभग तीन दशकों में पहली बार, गोरखालैंड राज्य की मांग दार्जिलिंग में एक चुनावी मुद्दा नहीं था क्योंकि जीजेएम और जीएनएलएफ सहित पार्टियों ने इस क्षेत्र में विकास और लोकतंत्र की बहाली की मांग की थी.
राज्य के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों में साल 2017 में 104 दिनों तक हड़ताल हुई, जिसमें अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग की गई थी.
दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राजू सिंग बिस्ता ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर साल 2009 से ही भाजपा उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं.
स्क्रॉल.इन के मुताबिक साल 2009 और 2014 के आम चुनावों में, भाजपा ने यह धारणा बनाने की कोशिश की कि वो गोरखालैंड की मांग का समर्थन कर रही है.
साल 2014 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था, ‘गोरखा का सपना, मेरा सपना’. इसे गोरखाओं की मांगों को पूरी करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के रूप में देखा गया था.
लेकिन इस बार, तीन अप्रैल को सिलीगुड़ी में एक रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने गोरखाओं और उनकी मांगों के बारे में कोई बात नहीं की.
साल 2019 के पार्टी घोषणापत्र में भाजपा ने गोरखालैंड का उल्लेख किए बिना ‘दार्जिलिंग हिल्स, सिलीगुड़ी तराई और डुआर्स क्षेत्र’ के मुद्दे पर स्थायी राजनीतिक समाधान का वादा किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)