अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने भारत के हक़ में फ़ैसला सुनाते हुए पाकिस्तान से जाधव को कॉन्स्युलर एक्सेस देने को कहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.
द हेग/नई दिल्ली: नीदरलैंड्स की राजधानी हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने बुधवार को कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी. कोर्ट ने भारत के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि पाकिस्तान जाधव की फांसी पर पुनर्विचार करे. कुलभूषण जाधव इस समय पाकिस्तान की जेल में बंद हैं.
आईसीजे ने पाकिस्तान से जाधव को कॉन्स्युलर एक्सेस (राजनयिक पहुंच) देने को कहा है. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.
ICJ: Court finds that Pakistan deprived India of the right to communicate with and have access to Kulbhushan Jadhav, to visit him in detention&
to arrange for his legal representation,and thereby breached obligations incumbent upon it under Vienna Convention on Consular Relations https://t.co/6lYCuEZvlw— ANI (@ANI) July 17, 2019
हालांकि कोर्ट ने कुलभूषण जाधव की रिहाई की मांग को खारिज कर दिया. आईसीजे के 16 में से 15 जजों ने भारत के हक में फैसला दिया है. कोर्ट ने आईसीजे के क्षेत्राधिकार पर पाकिस्तान के ऐतराज को भी खारिज कर दिया.
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव को 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था और पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 2017 में उन्हें जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.
इस फैसले के खिलाफ भारत ने मई 2017 में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद आईसीजे ने अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी.
भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच नहीं देने के लिए पाकिस्तान पर वियना संधि और मानवाधिकार नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.
अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फरवरी में चार दिन की सुनवाई की थी जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपनी अपनी दलीलें रखी थी.
भारत ने आईसीजे से जाधव की मौत की सज़ा को रद्द करने तथा उनकी तुरंत रिहाई का आदेश देने का अनुरोध किया था और कहा था कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत का फैसला ‘हास्यास्पद सुनवाई’ पर आधारित है और वाजिब प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों तक को संतुष्ट नहीं कर पाता है.
भारत ने कहा कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां उनके कारोबारी हित हैं.