जीएसएलवी मार्क-III के ज़रिये होने वाला चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 14 जुलाई देर रात 2:51 बजे होना था, लेकिन तकनीकी ख़राबी के कारण इसे रोक दिया गया था.
बेंगलुरु: भारत का चांद पर दूसरा महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2, जो कुछ तकनीकी खराबी के कारण रोक दिया गया था अब वह 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है.
इसरो ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा, ‘चंद्रयान-2 प्रक्षेपण जो 15 जुलाई 2019 को तकनीकी खराबी के चलते रोक दिया गया था, वह अब सोमवार 22 जुलाई 2019 तड़के दो बजकर 43 मिनट पर होगा.’
इसरो ने समर्थन के लिए लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसने हमें (इसरो) आगे बढ़ने के लिए एक बार फिर प्रेरित किया.
इसरो ने ट्वीट किया, ‘अधिक से अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचना भौतिकी और विश्वास का हिस्सा है. हम पर अपार विश्वास दिखाने के लिए शुक्रिया.’
उसने लिखा, ‘चंद्रयान-2 अरबों लोगों के सपने चांद पर ले जाने को तैयार है. जो अब पहले से ज्यादा मजबूत है. सोमवार 22 जुलाई 2019 को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर हमारे साथ जुड़ें.’
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिक उस समस्या की गंभीरता का आकलन कर रहे थे, जिसकी वजह से 976 करोड़ रुपये की लागत वाले महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन को रोकना पड़ा था.
Chandrayaan 2 is ready to take a billion dreams to the Moon — now stronger than ever before! Join us for the launch on Monday — 22 July, 2019 — at 2:43 PM IST.
#Chandrayaan2 #GSLVMkIII #ISRO pic.twitter.com/4ybFcHNkq6— ISRO (@isro) July 18, 2019
‘बाहुबली’ कहे जा रहे भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी मार्क-III के जरिए होने वाला चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 14 जुलाई देर रात 2:51 बजे होना था, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी आने के बाद प्रक्षेपण रोक दिया गया था.
सोमवार सुबह इसरो द्वारा बताया गया था, ‘प्रक्षेपण यान प्रणाली में टी-56 मिनट पर तकनीकी खामी दिखी. एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया गया है.
सोमवार तड़के 2:51 बजे होने वाले प्रक्षेपण की उल्टी गिनती 56 मिनट 24 सेकेंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे रोक दी गई. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रक्षेपण देखने के लिए श्रीहरिकोटा में ही थे.
इसरो की ओर से प्रक्षेपण टालने की आधिकारिक पुष्टि किए जाने से पहले भ्रम की स्थिति बनी रही थी. एजेंसी के वैज्ञानिक उस समस्या की गंभीरता का आकलन कर रहे थे, जिसने महत्वाकांक्षी 976 करोड़ रुपये के चंद्र मिशन को रोक दिया था.
इसरो ने इससे पहले प्रक्षेपण की तारीख जनवरी के पहले सप्ताह में रखी थी, लेकिन बाद में इसे बदलकर 15 जुलाई कर दिया था.
इस मिशन में चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके III रॉकेट के जरिए चांद पर ले जाया जाना था. इस 3,850 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान को अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर चांद की सतह पर लेकर जाना था.
अब तक के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके III रॉकेट के साथ चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण होने की स्थिति में इसे चंद्रमा तक पहुंचने में 54 दिन लगेंगे.
इसरो के अनुसार, चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करेगा. इससे 11 साल पहले इसरो ने पहले सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था, जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक काम करता रहा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)