चांद के लिए चंद्रयान-2 रवाना, पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित

स्वदेशी तकनीक से निर्मित 3,850 किलोग्राम वज़नी चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा. इसरो के अनुसार यहां अब तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. सितंबर के पहले सप्ताह में चंद्रयान-2 के चांद पर उतरने की उम्मीद है.

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स्वदेशी तकनीक से निर्मित 3,850 किलोग्राम वज़नी चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा. इसरो के अनुसार यहां अब तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. सितंबर के पहले सप्ताह में चंद्रयान-2 के चांद पर उतरने की उम्मीद है.

Chandrayaan ISRO Facebook
चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके III रॉकेट के जरिये चांद पर ले जाया जाना था. (फोटो साभार: फेसबुक/इसरो)

श्रीहरिकोटाः चंद्रमा के अनछुए पहलुओं का पता लगाने के लिए चंद्रयान-2 सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से रवाना हो गया. इसे ‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके III एम-1 के जरिये इसे प्रक्षेपित किया गया.

करीब 16 मिनट बाद भूस्थैतिक प्रक्षेपण यान ‘जीएसएलवी-एमकेIII एम-1’ ने इसे सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया.

तीन चरणों वाले 43.43 मीटर लंबे जीएसएलवी-एमके III एम-1 ने दोपहर बाद दो बजकर 43 मिनट पर उड़ान भरी और प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद 3,850 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.

पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के साथ ही इसने भारत के महत्वाकांक्षी मिशन के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. कुल 3,850 किलोग्राम वजनी यह अंतरिक्ष यान ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ गया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ गया चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने से पहले 15 महत्वपूर्ण अभियान चरणों से गुजरेगा. यान के सितंबर के पहले सप्ताह में चांद पर उतरने की उम्मीद है.

इसरो के अनुसार, चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. इससे चांद के अनसुलझे रहस्य जानने में मदद मिलेगी जिससे ऐसी नई खोज होंगी, जिनका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा.

पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद इसरो ने भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एमके III  के जरिये 978 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण किया है.

कल यानी रविवार की शाम छह बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपण के लिए 20 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हुई थी.

इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया.

स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं.

लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए. साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है.

गत 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद इसका प्रक्षेपण टाल दिया गया था. उस दिन इसका प्रक्षेपण तड़के दो बजकर 51 मिनट पर होना था, लेकिन प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद चंद्रयान-2 की उड़ान टाल दी गई थी. उस दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द भी प्रक्षेपण स्थल पर मौजूद थे.

इसके बाद इसरो ने एक बयान जारी कर चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की नई तारीख का ऐलान किया था.

इसरो ने इस मिशन के प्रक्षेपण की नई तिथि की घोषणा करते हुए 18 जुलाई को ट्वीट कर कहा था, ‘बाहुबली कहा जाने वाला जीएसएलवी मार्क रॉकेट अब अरबों लोगों के सपने को चंद्रयान-2 के रूप में चंद्रमा पर ले जाने के लिए तैयार है.’

उन्होंने कहा था, ‘चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई 2019 को दिन में दो बजकर 43 मिनट पर होगा. यह अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर ले जाएगा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा.’

बीते रविवार को इस मिशन के प्रक्षेपण पर इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने बताया था कि सभी तैयारियां हो गई हैं और गड़बड़ी को ठीक कर लिया गया है.

उन्होंने श्रीहरिकोटा आते समय चेन्नई हवाईअड्डे पर पत्रकारों से कहा था, ‘15 जुलाई को सामने आई तकनीकी खामी को दूर कर लिया गया है. प्रक्षेपण यान अच्छी स्थिति में है. प्रक्षेपण से पहले का अभ्यास सफलतापूर्वक ढंग से पूरा किया गया है.’

इससे 11 साल पहले 2008 में इसरो ने अपने पहले सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और यह 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिन तक काम करता रहा.

इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है. भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई. मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में इसरो नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे.’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘चंद्रयान-2 अब से लगभग 50 दिनों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब उतरने वाला पहला अंतरिक्ष-यान होगा. आशा है यह मिशन नई खोजों को जन्म देगा और हमारी ज्ञान प्रणालियों को समृद्ध करेगा. मैं चंद्रयान-2 टीम की सफलता की कामना करता हूं.’

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है. चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से आज पूरा देश गौरवान्वित है. मैंने थोड़ी देर पहले ही इसके लॉन्च में निरंतर तन-मन से जुटे रहे वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें पूरे देश की ओर से बधाई दी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)