संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस दावे से भारत सरकार ने इनकार किया है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत पाकिस्तान की बीच लंबित मसलों पर कोई भी बातचीत द्विपक्षीय ही होगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कश्मीर मसले में मध्यस्थता करने को कहा था.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने यह बयान दिया. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री तीन दिन के अमेरिकी दौरे पर हैं.
US President Donald Trump's response to #Pakistan Prime Minister Imran Khan asking for support to push peace talks with #India.
"I met Indian PM Modi two weeks ago.. he asked me, do you want to be mediator, arbitrator.. I asked where? He said #Kashmir" pic.twitter.com/odOS7e5uKe— Devirupa Mitra (@DevirupaM) July 22, 2019
प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति से बातचीत के लिए पहली बार व्हाइट हाउस पहुंचे थे, जहां उनकी बातचीत से पहले पत्रकारों ने उन दोनों से सवाल किया कि क्या उपमहाद्वीप में शांति लाने में अमेरिका की कोई भूमिका है.
इस पर इमरान ने जवाब दिया कि उन्होंने भारत से शांति वार्ता की कोशिश की हैं, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस ‘प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं.’
ज्ञात हो कि भारत ने पिछले चार सालों में शांति वार्ता को दोबारा शुरू करने के प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि पहले पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को रोके, तब ही कोई बातचीत संभव है.
इमरान के ट्रम्प के प्रक्रिया में मदद करने की बात पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि वे दो हफ्ते पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे और मोदी ने उनसे कश्मीर मसले में मध्यस्थ बनने की पेशकश की थी.
नरेंद्र मोदी और ट्रम्प जी-20 सम्मेलन में ओसाका में मिले थे. ट्रम्प ने कहा, ‘ मैं दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था… हमने इस विषय पर बात की. असल में उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं मध्यस्थ या आर्बिट्रेटर (पंच) बनना पसंद करूंगा. मैंने पूछा कहां? तो उन्होंने कहा कश्मीर, क्योंकि यह मसला सालों-साल से चला आ रहा है.’
जब ट्रम्प ने कहा कि वे यह जानकर आश्चर्यचकित थे कि यह मसला कितने सालों से चला आ रहा है, तब इमरान ने जोड़ा, ‘सत्तर सालों से.’
ट्रम्प का कहना था कि उनका सोचना था कि ‘वे’ इस मसले को सुलझाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं सोचता हूं कि आप इस मसले को सुलझाना चाहते हैं और अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मैं मध्यस्थ बनने को तैयार हूं. इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि दो इतने समझदार देश, जिनके पास समझदार नेतृत्व भी है, इस मसले को सुलझा नहीं सके… लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं, मैं ऐसा करना चाहूंगा.’
Verbatim transcript of US President Trump's remarks on India seeking mediation on Kashmir. pic.twitter.com/DZgzeq6pmx
— Devirupa Mitra (@DevirupaM) July 22, 2019
ट्रम्प के ऐसा कहने पर इमरान ने कहा कि अगर ट्रम्प ऐसा कर सके तो उन्हें ‘लाखों लोगों की दुआएं’ मिलेंगी.
जिस पर ट्रम्प ने कहा, ‘इसे ख़त्म होना ही चाहिए, इसलिए उन्हें (मोदी को) भी ऐसा सोचना होगा. हो सकता हैं कि हम या केवल मैं ही उनसे इस बारे में बात करूंगा और देखेंगे कि इस पर क्या कर सकते हैं.’
अपने बयान में ट्रम्प ने कश्मीर में हो रही हिंसा का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, ‘मैंने कश्मीर के बारे में बहुत सुना है. यह कितना सुंदर नाम है, लगता है कि यह दुनिया का कितना खूबसूरत हिस्सा होगा.. लेकिन आज वहां हर जगह केवल बमबारी है.’
ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत को कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए किसी मदद की ज़रूरत है.
भारत का इनकार
ट्रम्प के बयान की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके बयान के दो घंटे के भीतर भारत सरकार की ओर से ट्रम्प के दावे को नकार दिया गया.
देर रात विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा कि जैसा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा कहा गया है कि भारत ने उनसे कश्मीर मसले पर भारत पाक के बीच मध्यस्थता करने को कहा,ऐसा नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसा कोई निवेदन नहीं किया गया है.
उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि भारत पाकिस्तान की बातचीत की शर्त अब भी यही है कि पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को ख़त्म करे, तब ही किसी तरह की वार्ता संभव है.
…that all outstanding issues with Pakistan are discussed only bilaterally. Any engagement with Pakistan would require an end to cross border terrorism. The Shimla Agreement & the Lahore Declaration provide the basis to resolve all issues between India & Pakistan bilaterally.2/2
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) July 22, 2019
उन्होंने यह भी कहा कि शिमला समझौते और लंदन डिक्लेरेशन भारत पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता का आधार हैं.
विपक्ष का मोदी सरकार पर हमला
राष्ट्रपति ट्रम्प के बयान के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावे को लेकर कांग्रेस ने सोमवार रात मोदी पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि यह देश के साथ विश्वासघात है जिस पर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत ने जम्मू-कश्मीर में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं किया. किसी विदेशी शक्ति से जम्मू-कश्मीर में मध्यस्थता के लिए कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के हितों के साथ बड़ा विश्वासघात किया है.’
उन्होंने कहा कि इस विषय पर प्रधानमंत्री देश को जवाब दें.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी ट्वीट किया, ‘ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि ट्रम्प को इस बात का थोड़ा भी अंदाजा है कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं. उन्हें या तो समझाया नहीं गया है या समझ नहीं आया है कि (प्रधानमंत्री) मोदी क्या कह रहे हैं या फिर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर भारत की स्थिति क्या है. विदेश मंत्रालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि दिल्ली ने कभी इसकी (तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की) हिमायत नहीं की है.’
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आश्चर्य जताया कि भारत सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति को झूठा कहेगी या फिर इस विवाद में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर भारत ने अपनी स्थिति बदल ली है.
अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि डोनाल्ड ट्रम्प चौंकाने वाली बात कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में अमेरिका को शामिल होने का अनुरोध किया है, हालांकि मैं यह देखना चाहता हूं कि क्या ट्रम्प के दावे पर विदेश मंत्रालय उन्हें मदद के लिये कहेगा.’
वहीं, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि क्या ‘ट्विटर फ्रेंडली प्रधानमंत्री’ में साहस है कि वह सार्वजनिक रूप से ऐसा बयान देने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति को जवाब दें.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)