मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर छिड़ा ट्विटर वॉर, ट्रेंड कर रहा है ‘अच्छे दिन नौकरी बिन’ और तीन साल गोलमाल.
जबसे यह ख़बर आई है कि आईटी कंपनियां अगले तीन सालों में 6 लाख इंजीनियरों की छंटनी करेंगी, तबसे आईटी सेक्टर में हलचल मची हुई है. यह हलचल आज ट्वीटर पर भी महसूस की गई जब वहां #अच्छे_दिन_नौकरी_बिन ट्रेंड करने लगा. इस हैशटैग के तहत ज़्यादातर लोगों ने जाती नौकरियों और रोज़गार के संकट पर ट्वीट किया है. किसी ने नरेंद्र मोदी सरकार से सवाल पूछा तो किसी ने खिल्ली उड़ाई.
कविता यादव ने पूछा है, ‘एक साल में 100 स्मार्ट सिटी बनने वाली थी, तीन साल में कितनी बन गई मित्रों?’ बेबाक बच्चा नाम वाले अकाउंट से सतीश पांचाल लिखते हैं, ‘क्या अच्छे दिन केवल जुमला था? अनगिनत मुद्दों पर शोर ज़्यादा सुनाई दिया किंतु काम कम.’
जैसा कि हमेशा होता है सरकार समर्थकों ने भी विरोधियों से जमकर लोहा लिया. अभिषेक भोसले ने लिखा, ‘नौकरी सिर्फ उनके पास नहीं है जो कामचोर हैं, इसके लिए सरकार को दोष देने का कोई औचित्य नहीं है.’
राहुल झा ने ट्वीट किया, ‘ज़रूरी नहीं अच्छे दिन नौकरी बिन नहीं आ सकते हैं. आप व्यापार करके और खेती करके भी अपने अच्छे दिन ला सकते हैं. सोच बदलो देश ज़रूर बदल जाएगा.’
OECD Economic Survey Of India2017:
More than 30%Indians aged 15-29yrs r neither in employmnt nor in educatn &training. #अच्छे_दिन_नौकरी_बिन pic.twitter.com/wD6jbaL1uB— Kumar Shashwat (@kumarshashwat97) May 17, 2017
कुमार सारस्वत ने एक आर्थिक सर्वे का ग्राफ शेयर करते हुए लिखा, ’15 से 29 साल तक की उम्र के 30 प्रतिशत से ज़्यादा भारतीय न रोज़गार में हैं, न शिक्षा में, न ही प्रशिक्षण में.’
मीडिया ज़रूरी मुद्दे नहीं उठाता, यह बात भी लोग नोटिस कर रहे हैं. डॉ. हसन सफ़ीन ने लिखा, नौकरी, रोज़गार और छंटनी पर बहस के लिए मीडिया के पास टाइम नहीं है. दरअसल, उनके पास हिम्मत नहीं है कि इस पर बात करें.
लाइव मिंट की एक खबर का लिंक शेयर करते हुए सफीन ने पूछा है, ‘अगले तीन साल में आईटी सेक्टर से छह लाख इंजीनियर अपनी नौकरियां खो देंगे. क्या यही हैं अच्छे दिन?
6 lakh engineers will lose jobs in next 3 years in IT sectors.
Acche din? #अच्छे_दिन_नौकरी_बिन pic.twitter.com/7T2w6PJ1oE
— Tej (@TKprajapati_) May 17, 2017
एल्विन बरुआ ने ट्वीट किया, ‘मित्रों, मैं चाय बेचता था और चाहता हूं कि तुम सब भी चाय ही बेचो, इसलिए तुम्हारी नौकरियां खत्म कर रहा हूं.’
श्रीदीप ने लिखा, ‘हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं जहां पीएचडी करने वाले चपरासी की पोस्ट के लिए आवेदन कर रहे हैं. हमारा शिक्षा तंत्र हमें क्या दे रहा है?’
आदित्य कुमार ने दो लाख नौकरियां हर साल जाने की ख़बर की कतरन शेयर करते हुए लिखा है, ‘आईटी में क़रीब दो लाख नौकरियां जाने वाली हैं. अब चाय की छपरी लगाओ सब.’
Nearly 2 lakh IT jobs to Vanish ..
चाय की छपरी लगाओ सब #अच्छे_दिन_नौकरी_बिन pic.twitter.com/pXbjCfwRlJ— Aditya_Kumar 🇮🇳 (@AK49Aditya) May 17, 2017
सलिल साहा ने लिखा, ‘एक तो देश में नई नौकरी मिल नहीं रही, ऊपर से जो नौकरी है वह भी असुरक्षित हैं और बड़ी संख्या में जा रही हैं. मोदी जी चुप हैं.’ प्रशांत पवार ने एक बॉलीवुड का गाना शेयर किया है, एक छोटी सी नौकरी का तलबगार हूं मैं, उनसे कुछ और जो मांगूं तो गुनहगार हूं मैं…..
#अच्छे_दिन_नौकरी_बिन#3SaalGolmal #3FailedYear #UnemploymentCRISIS @IYC @MH_pyc @NayakRagini pic.twitter.com/dShdTaZnbS
— Prashant Pawar (@iprashantpawar) May 17, 2017
राजेश ने लिखा, ‘तीन साल में टूटी आस, और चलो मोदी के साथ, ना रोज़गार ना विकास, बस महंगाई और बकवास, सबके साथ समान विनाश, बस भाषण और मन की बात’.