मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत पर मतदान के साथ राज्य में पिछले तीन हफ्तों से चल रहे सियासी घमासान का अंत हो गया. 99 विधायकों ने विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, जबकि 105 सदस्यों ने इसके ख़िलाफ़ मत दिया जिसके साथ ही एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई.
नई दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा विधानसभा में पेश किए विश्वास मत को मंगलवार को विपक्षी पार्टी भाजपा के जीतने के बाद राज्य भाजपा प्रमुख बीएस येदियुरप्पा आज पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से सलाह के बाद राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात करेंगे.
राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिराने में मुख्य भूमिका निभाने वाले भाजपा के 76 वर्षीय मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने कहा था, ‘यह लोकतंत्र की जीत है. 14 महीने की कुमारस्वामी सरकार लोगों की निराशा का कारण बन गई थी. आने वाले दिनों में राज्य को विकास का एक नया युग देखने को मिलेगा.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राज्यपाल से मिलकर विधायकों के सरकार बनाने के दावा करने से पहले भाजपा विधायी दल की भी आज बैठक होगी.
BS Yeddyurappa, BJP at RSS office in Chamrajpet, Bengaluru: I came here to take blessings of senior leaders of the Sangh Parivar. I'm waiting for instructions from Delhi, at any point of time we will call for Legislature Party and then head to the Raj Bhavan. #Karnataka pic.twitter.com/uur15ku3Ya
— ANI (@ANI) July 24, 2019
सरकार बनाने के लिए दावा करने से पहले येदियुरप्पा बेंगलुरु के चमराजपत के आरएसएस कार्यालय पहुंचे. उन्होंने कहा, मैं यहां पर संघ परिवार के वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद लेने आया हूं. मैं दिल्ली से निर्देश आने का इंतजार कर रहा हूं. किसी भी समय हम विधायी दल की बैठक कर सकते हैं और फिर राजभवन के लिए जाएंगे.
कर्नाटक भाजपा के प्रभारी महासचिव पी मुरलीधर राव ने कहा, सदन में बहुमत के साथ भाजपा विधानसभा में एक स्वाभाविक दावेदार है, जिसकी अब ताकत कम हो गई है. हम जिम्मेदारी लेना चाह रहे हैं और हम अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड के निर्देशों का पालन करेंगे.
Karnataka Congress leaders meeting underway in Bengaluru following the defeat of Congress-JD(S) government during the trust vote in Assembly, yesterday. pic.twitter.com/xiZykRDO4s
— ANI (@ANI) July 24, 2019
वहीं, हार के बाद कर्नाटक कांग्रेस नेताओं ने बेंगलुरु में मुलाकात की. मंगलवार को कांग्रेस नेता एचके पाटिल ने कहा था, ‘कांग्रेस जेडीएस गठबंधन विश्वास मत हासिल करने में असफल रहा. यह हार विधायकों के विश्वासघात की वजह से मिली. हम बहुत सारी चीजों के प्रभाव में आ चुके थे. कर्नाटक के लोग इस तरह के विश्वासघात को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’
बता दें कि, मंगलवार को कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार तब गिर गई जब वह विश्वास मत हासिल करने में नाकामयाब हो गई. गठबंधन को कर्नाटक विधानसभा में भाजपा के 105 वोटों के मुकाबले केवल 99 वोट हासिल हुए. इसी के साथ राज्य में करीब तीन हफ्ते से चल रहे राजनीतिक ड्रामे का अंत हो गया.
#Karnataka rebel MLAs case in SC: Supreme Court today said, "We will pass appropriate orders & dispose of the petition with respect to Karnataka floor test, but only in presence of Mukul Rohatgi (rebel MLAs' lawyer) & Abhishek Manu Singhvi (Congress lawyer)." pic.twitter.com/LsLhv1RUU8
— ANI (@ANI) July 24, 2019
उधर, विश्वास मत पर तत्काल मतदान कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले दो निर्दलीय विधायकों ने अपनी याचिका वापस ले ली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह विधायकों और कर्नाटक विधानसभा स्पीकर का पक्ष रखने वाले दोनों वरिष्ठ वकीलों मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी की उपस्थिति में एक आदेश पारित करेंगे.
वहीं, बागी विधायकों ने फिलहाल बेंगलुरु वापस नहीं लौटने का फैसला किया है. बागी जेडीएस विधायक एएच विश्वनाथ ने कहा, ‘अभी तत्काल बेंगलुरु वापस लौटने की कोई योजना नहीं है. हम थोड़ी और देरे के लिए यहां रुकेंगे.’
हालांकि उन्होंने इस बात कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या बागी विधायक भाजपा की सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं.
लोकतंत्र, ईमानदारी और कर्नाटक की जनता हार गई: राहुल
कर्नाटक विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार गिरने को ‘लोकतंत्र, ईमानदारी और राज्य की जनता की हार’ करार देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा आखिरकार निहित स्वार्थ वाले लोगों के लालच की आज जीत हो गई.
गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘अपने पहले दिन से ही कांग्रेस-जेडीएस सरकार भीतर और बाहर के उन निहित स्वार्थ वाले लोगों के निशाने पर आ गई थी जिन्होंने इस गठबंधन को सत्ता के अपने रास्ते के लिए खतरा और रुकावट के तौर पर देखा.’
उन्होंने दावा किया, ‘उनके लालच की आज जीत हो गयी. लोकतंत्र, ईमानदारी और कर्नाटक की जनता हार गयी.’
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा पर संस्थाओं और लोकतंत्र को व्यवस्थित ढंग से कमजोर करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘एक दिन भाजपा को यह पता चलेगा कि सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता, हर किसी के पीछे नहीं पड़ा जा सकता और हर झूठ आखिरकार बेनकाब होता है.’
गौरतलब है कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार मंगलवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने में विफल रही और सरकार गिर गई. इसी के साथ राज्य में करीब तीन हफ्ते से चल रहे राजनीतिक नाटक का फिलहाल पटाक्षेप हो गया.
कर्नाटक में विश्वास मत के दौरान बसपा विधायक के गैरहाजिर रहने पर मायावती ने पार्टी से निकाला
कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास मत के दौरान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक के विधानसभा से गैरहाजिर रहने को पार्टी सुप्रीमो मायावती ने गंभीरता से लेते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट देने के पार्टी हाईकमान के निर्देश का उल्लंघन करके बीएसपी विधायक एन महेश आज विश्वास मत में अनुपस्थित रहे जो अनुशासनहीनता है जिसे पार्टी ने अति गंभीरता से लिया है और इसलिए श्री महेश को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
— Mayawati (@Mayawati) July 23, 2019
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार रात को एक ट्वीट में कहा, ‘कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट देने के पार्टी हाईकमान के निर्देश का उल्लंघन करके बीएसपी विधायक एन महेश आज विश्वास मत में अनुपस्थित रहे जो अनुशासनहीनता है. इसे पार्टी ने अति गंभीरता से लिया है और इसलिए श्री महेश को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.’
कर्नाटक में बीजेपी ने संवैधानिक मर्यादाओं को ताक़ पर रखने के साथ-साथ जिस प्रकार से सत्ता व धनबल का इस्तेमाल करके विपक्ष की सरकार को गिराने का काम किया है वह भी लोकतंत्र के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा। इसकी जितनी भी निन्दा की जाए वह कम है।
— Mayawati (@Mayawati) July 24, 2019
वहीं, बुधवार को मायावती ने कहा, ‘जिस तरह से भाजपा ने सभी संवैधानिक मानदंडों को एक तरफ रखा और कर्नाटक में विपक्ष के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के लिए धन और शक्ति का इस्तेमाल किया वह लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज किया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘इस तरह के काम की जितनी भी निंदा की जाए वह कम होगी.’
कर्नाटक के इतिहास में केवल तीन मुख्यमंत्रियों ने पूरा किया अपना कार्यकाल
कर्नाटक के इतिहास में केवल तीन मुख्यमंत्री ही पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा कर पाए. चौदह माह तक सत्ता में रहने के बाद एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार मंगलवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव हार बैठी.
एन निजलिंगप्पा (1962-68), डी देवराजा उर्स (1972-77) और सिद्धरमैया (2013-2018) ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. तीनों कांग्रेस के नेता हैं.
भाजपा से कोई भी मुख्यमंत्री या जेडीएस के कुमारस्वामी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये.
पहली बार भाजपा नीत गठबंधन सरकार में कुमारस्वामी दो साल से भी कम समय तक फरवरी, 2006 से अक्टूबर 2007 तक मुख्यमंत्री रहे.
उनका सत्ता साझेदारी को लेकर भाजपा से मतभेद हो गया और उन्होंने राज्य में भाजपा पार्टी नीत सरकार का समर्थन करने से इनकार कर दिया.
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल मई, 2018 में शुरू हुआ. चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा अस्तित्व में आयी थी, तब यह गठबंधन सरकार बनी.
भाजपा के मामले में बीएस येदियुरप्पा 2007 में पहली बार मुख्यमंत्री बने लेकिन वह सात दिन तक ही पद पर रहे क्योंकि जेडीएस ने समर्थन वापस ले लिया था और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.
मई, 2008 में येदियुरप्पा की अगुवाई में भाजपा ने राज्य में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने लेकिन कथित भ्रष्टाचार के चलते उन्हें जुलाई, 2011 में कुर्सी छोड़नी पड़ी.
मुख्यमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल 2018 में महज छह दिन 17 मई, से लेकर 23 मई रहा और उन्होंने बहुमत के अभाव में इस्तीफा दे दिया.
कर्नाटक 1956 में बना था. तब से राज्य ने 25 मुख्यमंत्री देखे जिनमें ज्यादातर कांग्रेस से थे.
कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के गिरने का घटनाक्रम
कर्नाटक में राजनीतिक संकट और फिर अंतत: जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के गिरने से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:
एक जुलाई: विजयनगर के विधायक आनंद सिंह ने औने-पौने दाम पर 3,667 एकड़ जमीन जेएसडब्ल्यू स्टील को बेचने को लेकर अपनी नाखुशी प्रकट करते हुए विधानसभा से इस्तीफा दिया.
छह जुलाई: कांग्रेस के नौ और जेडीएस के तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में उनकी गैर हाजिरी में इस्तीफा सौंपा.
सात जुलाई : मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अमेरिका यात्रा से लौटे.
आठ जुलाई: सभी मंत्रियों ने बागियों को शांत/संतुष्ट करने के वास्ते उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के लिए अपने अपने पार्टी नेताओं को इस्तीफा दिया.
दो निर्दलीय विधायकों– एच नागेश और आर शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और सरकार से समर्थन वापस लिया. उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया.
नौ जुलाई: कांग्रेस ने पार्टी विधायक दल की बैठक बुलायी,20 विधायक नहीं पहुंचे.
एक अन्य विधायक रौशन बेग ने विधानसभा से इस्तीफा दिया.
10 जुलाई: दो और कांग्रेस विधायकों– एमटीबी नागराज और डॉ. के सुधाकर ने इस्तीफा दिया.
17 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि 15 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
18 जुलाई: कुमारस्वामी ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया.
19 जुलाई: राज्यपाल वजूभाई वाला ने शुक्रवार तक ही मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए दो समयसीमाएं तय कीं. कुमारस्वामी ने निर्देश का उल्लंघन किया. विधानसभा 22 जुलाई तक स्थगित की गयी.
23 जुलाई: विश्वास प्रस्ताव गिरा. उसके पक्ष में 99 और विपक्ष में 105 वोट पड़े. 14 माह पुरानी सरकार गिरी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)