सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन यदि देश के लोग आरटीआई कानून की शुचिता की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरें तो वह उनका साथ देने के लिए तैयार हैं.
पुणे: लोकसभा द्वारा सूचना के अधिकार कानून में संशोधन पारित करने के एक दिन बाद सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर इस कदम के जरिये भारतीय नागरिकों से धोखा करने का आरोप लगाया.
बीते 22 जुलाई को लोकसभा ने आरटीआई कानून में संशोधन किया जिसके तहत इस विधेयक में उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे.
हजारे ने कहा, ‘भारत को आरटीआई कानून 2005 में मिला था लेकिन आरटीआई कानून में इस संशोधन से सरकार इस देश के लोगों के साथ धोखा कर रही है.’
82 वर्षीय हजारे ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन यदि देश के लोग आरटीआई कानून की शुचिता की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरें तो वह उनका साथ देने के लिए तैयार हैं.
हजारे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित अपने गांव रालेगांव सिद्धि में बोल रहे थे.
हजारे के आंदोलन के चलते महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र सूचना का अधिकार कानून बनाया था जिसे सूचना के अधिकार कानून 2005 का आधार माना जाता है.
मालूम हो कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा आरटीआई कानून में संशोधन का चौतरफा विरोध किया जा रहा है.
हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा था कि आरटीआई कानून काफी विचार विमर्श के बाद बना था, इसमें संशोधन कर इसे कमजोर किया जा रहा है.
रॉय ने कहा था कि जिस कानून पर संसद की स्थायी समिति में बहुत गहन और बारीकी से विचार-विमर्श हुआ था और माना गया कि सूचना आयुक्तों का भी देश के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर दर्जा होना चाहिए, लेकिन एनडीए सरकार न केवल केंद्रीय सूचना आयोग के आयुक्तों के वेतन-भत्ते और सेवा शर्तें अपने पास रखने चाहती है, बल्कि विभिन्न राज्यों के सूचना आयुक्तों के कार्यकाल, वेतन-भत्ते और सेवा शर्तें भी अपने पास रखना चाहती है, जिसमें स्पष्ट तौर पर खोट नजर आता है.
यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने भी लोकसभा से पारित हुए आरटीआई संशोधन विधेयक की आलोचना करते हुए कहा है कि इस कानून को व्यापक विचार-विमर्श के बाद बनाया गया और संसद ने इसे सर्वसम्मति से पारित किया. अब यह खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है.
गांधी ने एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि सरकार इस संशोधन के माध्यम से आरटीआई कानून को खत्म करना चाहती है जिससे देश का हर नागरिक कमजोर होगा.
इससे पहले पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने सभी सांसदों को लिखे एक खुले पत्र में आरटीआई संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकने की अपील की और कहा था कि कार्यपालिका विधायिका की शक्ति को छीनने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा था कि सरकार इसके जरिए आरटीआई के पूरे तंत्र को कार्यपालिका की कठपुतली बनाना चाह रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)