सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर मोईन क़ुरैशी भ्रष्टाचार मामले में सना सतीश बाबू से दो बिचौलियों के ज़रिये पांच करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है.
नई दिल्ली: ईडी ने विवादित मांस निर्यातक मोईन कुरैशी और अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन मामले की जांच के संबंध में हैदराबाद के कारोबारी सना सतीश बाबू को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
बाबू के आरोपों से ही पिछले साल सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों के बीच युद्ध छिड़ गया था. कारोबारी को पहले इस धन शोधन मामले में गवाह के तौर पर बुलाया गया था लेकिन ताजा घटनाक्रम के साथ वह आरोपी बन गया.
अधिकारियों ने बताया कि बाबू को धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार देर रात गिरफ्तार किया. उन्होंने बताया कि बाबू से कुछ घंटों तक पूछताछ की गई और जांच में ‘सहयोग ना करने’ पर उसे हिरासत में ले लिया गया.
ईडी ने बाबू को शनिवार को दिल्ली की एक विशेष अदालत के सामने पेश किया. ईडी ने उससे पूछताछ के लिए उसे 14 दिन के लिए हिरासत में मांगा था. विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने पांच दिन की हिरासत की ही अनुमति दी.
एजेंसी कुछ वित्तीय लेन-देन समेत कुरैशी के साथ उसके संपर्क को संदिग्ध मान रही है और इसलिए वह उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है. सूत्रों ने आरोप लगाया कि वह रिश्वत के एक मामले में शामिल है और उसने कुरैशी को अवैध रूप से धन दिया है.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एजेंसी में नंबर एक की हैसियत रखने वाले तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और नंबर दो माने जाने वाले राकेश अस्थाना के बीच तनातनी के दौरान बाबू की ही शिकायत पर अपने पूर्व विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर आपराधिक प्राथमिकी दर्ज की थी.
बाबू ने एक मजिस्ट्रेट के समक्ष आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराया था जिसके बाद सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.
सीबीआई को दिए अपने बयान में बाबू ने कहा था कि उसने कुरैशी से जुड़ी जांच में किसी तरह की कार्रवाई ना करने के लिए अस्थाना को दो करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी. यह धन राशि दिसंबर 2017 से लेकर 10 महीने की अवधि में दी गई.
बाबू ने जब अस्थाना पर 3 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया था तब अस्थाना के नेतृत्व में सीबीआई का विशेष जांच दल (एसआईटी) उससे पूछताछ कर रहा था. बाबू की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सीबीआई ने अस्थाना और एजेंसी के कुछ अधिकारियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
बाद में अस्थाना ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक वर्मा पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था और बाबू को बचाने और एसआईटी को उसके खिलाफ कार्रवाई ना करने देने के आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई.
उस समय सरकार के सूत्रों ने बताया था कि अस्थाना ने गत वर्ष 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को लिखे एक पत्र में वर्मा द्वारा कथित भ्रष्टाचार के 10 मामलों की सूची दी थी. इस पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि बाबू ने इस मामले में क्लीन चिट पाने के लिए सीबीआई प्रमुख को दो करोड़ रुपये दिए थे.
अस्थाना और वर्मा दोनों ने आरोपों को खारिज कर दिया था.
ईडी ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिली-भगत करके कथित भ्रष्टाचार करने के मामले में धन शोधन निवारण कानून के तहत कुरैशी के खिलाफ 2017 में आपराधिक मामला दर्ज किया था.
उसने जांच के तौर पर कुरैशी को गिरफ्तार भी किया था और उसकी संपत्तियां कुर्क की थी. ईडी इस मामले में पूर्व सीबीआई निदेशक एपी सिंह की भी जांच कर रही है.
बीते महीने दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की संलिप्तता वाले रिश्वत मामले में जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को और चार महीने का समय दिया था.
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने अस्थाना, डीएसपी देवेंद्र कुमार तथा बिचौलिए मनोज प्रसाद के खिलाफ दर्ज मामले में जांच पूरी करने के लिए और मोहलत मांगने की सीबीआई की याचिका को मंजूर कर लिया था.
इससे पहले जवनरी में अदालत ने जांच एजेंसी को राकेश अस्थाना, देवेंद्र कुमार और अन्य तीन के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए 10 सप्ताह का वक्त दिया था. दस सप्ताह बीतने के बाद जांच एजेंसी ने अदालत का रुख किया था.
सीबीआई ने 15 अक्टूबर, 2018 को अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था. उनके खिलाफ कारोबारी सतीश बाबू सना की शिकायत के आधार पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं.
अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मोईन क़ुरैशी मामले में सतीश बाबू सना से दो बिचौलियों के ज़रिये पांच करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी.