दवे वर्ष 2009 से राज्यसभा के सदस्य थे. गुरुवार सुबह बेचैनी की शिकायत के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था.
केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री अनिल दवे का निधन हो गया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, 60 वर्षीय दवे ने गुरुवार सुबह अपने घर पर बेचैनी की शिकायत की और तब उन्हें एम्स ले जाया गया. वहां उनका निधन हो गया.
दवे वर्ष 2009 से राज्यसभा के सदस्य थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दवे के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट में कहा, अपने मित्र एवं सम्मानित सहकर्मी पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे जी के आकस्मिक निधन से सदमे में हूं. मैं संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.
Absolutely shocked by the sudden demise of my friend & a very respected colleague, Environment Minister Anil Madhav Dave ji. My condolences.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 18, 2017
प्रधानमंत्री ने कहा कि दवे को एक समर्पित लोकसेवक के तौर पर याद किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति बेहद जुनूनी थे. एक अन्य ट्वीट में मोदी ने कहा, कल देर शाम तक मैं अनिल माधव दवे जी के साथ था और मुख्य नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था. उनका निधन एक निजी क्षति है.
नदी संरक्षण के लिए जुनून रखने वाले व्यक्ति थे दवे
पिछले साल पर्यावरण मंत्री बने अनिल माधव दवे नदी संरक्षण के विशेषज्ञ और ग्लोबल वार्मिंग पर बने संसदीय मंच के सदस्य थे. पर्यावरण एक ऐसा विषय था, जो उनके दिल के बेहद करीब था. अपने जीवन के शुरुआती दिनों से ही दवे सामाजिक कार्यों से जुड़े थे. नदी संरक्षण के लिए उन्होंने नर्मदा समग्र नामक गैर सरकारी संगठन की स्थापना की थी.
मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे दवे को भाजपा में त्रुटिहीन सांगठनिक कौशल वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था. वह लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे. वह वर्ष 2003 में तब सुर्खियों में आए जब उनकी रणनीति मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हार का सबब बनी.
इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया. एनसीसी एयर विंग कैडेट के तौर पर उन्होंने उड़ान संबंधी शुरुआती प्रशिक्षण लिया और इसमें जीवनभर का जुनून तलाश लिया. वह निजी पायलट लाइसेंस धारक थे और एक बार उन्होंने नर्मदा के तट के आसपास 18 घंटे तक सेसना विमान उड़ाया था.
राज्यसभा सांसद के तौर पर वह ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर बने संसदीय मंच के सदस्य रहे. इंदौर के गुजराती कॉलेज से कॉमर्स में परास्नातक करने वाले दवे की साहित्य में गहरी रूचि थी और उन्होंने कई किताबें भी लिखीं. दवे का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बाड़नगर में छह जुलाई 1956 को हुआ था. उनकी माता का नाम पुष्पा और पिता का नाम माधव दवे था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विरासत उन्हें अपने दादा दादासाहेब दवे से मिली थी. उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस का प्रचारक बनने का फैसला किया. वह वर्षों तक संघ के समूहों के बीच बड़े हुए. वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा में शामिल किया गया.
दवे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार थे और वर्ष 2003, 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान और वर्ष 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख रहे. उन्हें बूथ स्तरीय प्रबंधन एवं नियोजन के लिए जाना जाता था.
दवे को वर्ष 2009 में राज्यसभा का सदस्य चुना गया. वह विभिन्न समितियों में शामिल रहे और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2013 पर बनी प्रवर समिति के अध्यक्ष भी रहे. दवे ने भोपाल में वैश्विक हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था. उन्होंने सिंहस्थ (कुंभ) मेला के अवसर पर उज्जैन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था.
हर्ष वर्धन को पर्यावरण मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार
राष्ट्रपति भवन की और से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परामर्श पर केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन को उनके मौजूदा पद के अतिरिक्त पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा है.