उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की, चाची, मौसी और अपने वकील के साथ 28 जुलाई को रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मुलाकात करने जा रही थीं. इस दौरान उनकी कार की एक ट्रक से संदिग्ध परिस्थितियों में टक्कर हो गई थी, जिसमें चाची और मौसी की मौत हो गई.
लखनऊ/दिल्ली: उत्तर प्रदेश के रायबरेली में बीते 28 जुलाई को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल बलात्कार पीड़िता की हालत नाज़ुक बनी हुई है. इधर, पीड़िता के परिजन परिजन ने मंगलवार को उनके चाचा की परोल की मांग को लेकर लखनऊ ट्रॉमा सेंटर के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
उन्नाव जिले के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की, उनकी चाची पुष्पा और मौसी शीला अपने वकील महेंद्र सिंह के साथ 28 जुलाई को रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा महेश सिंह से मुलाकात करने जा रही थीं. रास्ते में रायबरेली के गुरबख्शगंज क्षेत्र में उनकी कार और एक ट्रक के बीच संदिग्ध परिस्थितियों में टक्कर हो गई थी.
दुर्घटना में घायल शीला (50) ने स्थानीय अस्पताल में दम तोड़ दिया था. वहीं पुष्पा (45) को लखनऊ स्थित ट्रामा सेंटर में चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था.
इस दुर्घटना में घायल लड़की और उनके वकील महेंद्र सिंह की हालत बेहद नाज़ुक है और वे लखनऊ स्थित केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखे गए हैं.
डॉक्टरों ने बताया है कि दोनों घायलों को कई फ्रैक्चर और सिर पर चोटें आई हैं.
वहीं धरने पर बैठे परिजन की मांग है कि लड़की के चाचा महेश सिंह को रायबरेली जेल से परोल पर छोड़ा जाए, ताकि वह रायबरेली के गुरुबक्शगंज में ट्रक से हुई टक्कर में मारी गईं अपनी पत्नी पुष्पा और साली शीला के अंतिम संस्कार में शामिल हो सके.
हादसे में घायल बलात्कार पीड़िता की बहन का आरोप है कि विधायक सेंगर के रसूख की वजह से ही उसके चाचा महेश को परोल नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि जब तक परोल नहीं मिलेगी, तब तक पुष्पा और शीला का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.
इस दुर्घटना के संबंध में बीते सोमवार को भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर समेत दस नामजद और 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश), 506 (डराने धमकाने), 120 बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया.
रायबरेली के गुरुबक्शगंज थाने में पीड़िता के चाचा महेश सिंह की तहरीर पर सेंगर और उनके भाई सहित अन्य के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और साजिश रचने के आरोप के तहत मामला दर्ज किया गया है.
महेश सिंह ने तहरीर में आरोप लगाया है कि जेल में बंद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर अपने साथियों के नंबर पर फोन मिलाकर उनके घर पर जबरन बात किया करते थे और धमकी देते थे कि अगर जिंदा रहना है तो सारे मुकदमों में बयान बदल दो.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को देर रात इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी.
मालूम हो कि इस बलात्कार मामले में उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर आरोपी हैं. उन्हें पिछले साल 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वह और उनके भाई अतुल सेंगर जेल में बंद हैं. युवती का आरोप है कि साल 2017 में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उनका अपहरण कर उनके साथ बलात्कार किया था.
पिछले साल उन्नाव बलात्कार मामला राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आया था जब बलात्कार पीड़िता और उनकी मां ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी.
इसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत हिरासत में लिया था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर चोट के निशान पाए जाने की बात सामने आई थी.
मालूम हो कि पिछले साल इस मामले के एक गवाह की कथित तौर पर बीमारी से मौत हो गई है. मृतक का नाम यूनुस था और कथित बलात्कार पीड़िता के चाचा के मुताबिक यूनुस पीड़िता के पिता को भाजपा विधायक के भाई तथा अन्य लोगों द्वारा बेरहमी से पीटा जाने का गवाह था.
इस संबंध में पीड़ित लड़की के चाचा ने उन्नाव के पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि यूनुस के शव को पोस्टमॉर्टम कराए बगैर दफना दिया गया. उसके शव को कब्र खोदकर निकलवाया जाना चाहिए और पोस्टमॉर्टम कराया जाना चाहिए ताकि उसकी मौत का असली कारण पता लग सके.
हालांकि, यूनुस के भाइयों रईस और जान मोहम्मद ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय जाकर बताया था कि उनके भाई की मौत लीवर की बीमारी की वजह से हुई है.
यूपी पुलिस द्वारा भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का बचाव करने के आरोपों के बाद यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई ने मामले में तीन प्राथमिकियां दर्ज की हैं. ये मामले किशोरी के कथित बलात्कार, उसके पिता की हत्या तथा किशोरी के पिता पर हथियार अधिनियम के तहत दर्ज मामला जिसके आधार पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था, से जुड़े हुए हैं.
इस बीच, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी लखनऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर पहुंचकर घायल लड़की का हाल लिया और उसके परिजन से मुलाकात की.
उन्होंने कहा, ‘आखिर परिवार का क्या गुनाह है? सरकार को उसकी मांगें माननी चाहिए. क्या सरकार एक बेटी को न्याय नहीं दिला सकती? अगर पीड़िता और उसके वकील की मौत हुई तो कौन जिम्मेदार होगा? इस घटना के लिये भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है. सपा पीड़ित परिवार के साथ है.’
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने पीड़िता को इलाज के लिए दिल्ली भेजने की मांग
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बीते सोमवार को पीड़िता से लखनऊ स्थित अस्पताल में मुलाकात की. जहां सड़क दुर्घटना के बाद उसे भर्ती कराया गया है.
लड़की के परिजन & डाक्टर्ज़ से मिली। लड़की और वक़ील अभी बहुत सीरीयस हैं। न तो UP सरकार एर लिफ़्ट कराके दिल्ली भेज रही है ना कुलदीप सेंगर को विधायक से हटा रही है! लड़की को मरवाना चाहते हैं क्या?
हर घंटे में लड़की और उसके वक़ील का हेल्थ बुलेटिन क्यूँ नहीं जारी करती सरकार? https://t.co/uY82g686py
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) July 30, 2019
मालीवाल ने एक ट्वीट कर कहा है, ‘मैं उन्नाव पीड़िता, वकील और डॉक्टर से मिली. डॉक्टर ने बताया है कि लड़की और वकील की स्थिति बहुत नाजुक है और बचने के आसार कम हैं. डॉक्टरों का मानना है कि उन्हें इलाज के लिए तुरंत विमान से दिल्ली के सबसे बेहतर अस्पताल में ले जाया जाना चाहिए. परिवार भी यही चाहता है. अस्पताल से मैं बात कर रही हूँ. यह ज़िम्मेदारी हम उठाएंगे.’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘योगी आदित्यनाथ सरकार से अब तक परिवार से मिलने के लिए कोई नहीं आया. डीजीपी कह रहे हैं कि यह दुर्घटना थी. योगी आदित्यनाथ जी अस्पताल आकर देखिए. कुलदीप सेंगर की विधायकी छीनी जानी चाहिए. मामला उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किया जाना चाहिए और 15 दिन के अंदर सेंगर को फांसी दी जानी चाहिए. आज वह बच गया तो देशभर की निर्भया हताश हो जाएंगी.’
हादसे को लेकर उठ रहे सवाल
मालूम हो कि जिस ट्रक से टक्कर हुई उसका नंबर यूपी 71 एटी 8300 है और नंबर प्लेट ट्रक के आगे और पीछे दोनों तरफ लगे हुए हैं. हालांकि दोनों तरफ के नंबर प्लेटों पर ग्रीस पोता गया था, ताकि नंबर न दिख सके.
इसके अलावा पीड़िता को मिले सुरक्षाकर्मी भी हादसे के वक्त उनके साथ नहीं थे. बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कार में बैठने की जगह नहीं थीं.
बीते 28 जुलाई को हादसे के बाद उन्नाव के पुलिस अधीक्षक एमके वर्मा ने बताया था, ‘जिस समय हादसा हुआ उस समय पीड़िता को मुहैया कराए गए सुरक्षा गार्ड उनके साथ नहीं थे. मामले की जांच जारी है. जांच खत्म होने के बाद कार्रवाई की जाएगी.’
इन दोनों तथ्यों को देखते हुए हादसे की परिस्थितियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
बीते सोमवार को समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने संसद में यह मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि बलात्कार पीड़िता को जान से मारने का प्रयास किया गया. इस मुद्दे पर हुए शोरगुल को लेकर कुछ देर तक के लिए राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.
रामगोपाल ने कहा कि पीड़िता को मुहैया किया गया सुरक्षाकर्मी हादसे के वक्त उसके साथ नहीं था और हादसे में शामिल ट्रक का नंबर प्लेट भी ग्रीस से पोत दिया गया था.
ट्रक सपा नेता का निकला
मालूम हो कि उसी दिन ट्रक के मालिक देवेंद्र सिंह और ड्राइवर अमित पाल को गिरफ्तार कर लिया गया था.
इधर मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक पीड़िता की कार का टक्कर मारने वाला ट्रक सपा नेता का निकला. दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता की कार को फतेहपुर निवासी सपा के पूर्व जिला सचिव नंदकिशोर पाल उर्फ नंदू के ट्रक ने टक्कर मारी थी.
इस संबंध में सपा नेता का कहना है कि मामले को साजिश बताकर बेवजह तूल दिया जा रहा है, जबकि यह एक हादसा है. उनका कहना है कि फाइनेंसर से बचने के लिए ट्रक की नंबर प्लेट पर ग्रीस पोती गई थी.
उन्होंने बताया कि जिस ट्रक से हादसा हुआ, वह देवेंद्र के नाम पर है. घटना के दिन रायबरेली में मौरंग अनलोड करने के बाद फतेहपुर लौट रहा था. ट्रक को ललौली के अïट्टी समदपुर गांव निवासी आशीष पाल चला रहा था जबकि बांदा के पैलानी निवासी मोहन श्रीवास क्लीनर था.
चालक ने पूछताछ में पुलिस को बारिश की वजह से दुर्घटना होने की जानकारी दी है.
विपक्ष हुआ हमलावर, लखनऊ में धरना-प्रदर्शन
कांग्रेस ने रायबरेली में संदिग्ध परिस्थितियों में ट्रक से उन्नाव बलात्कार पीड़िता की कार की टक्कर के मामले में हत्याभियुक्त बनाए गए उन्नाव से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बर्खास्त करने की मांग को लेकर लखनऊ में मंगलवार को धरना-प्रदर्शन किया.
धरने की अगुवाई कर रहे कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार ‘लल्लू’ ने कहा कि बलात्कार के बाद अब हत्या के मामले में भी अभियुक्त बनाए गए सेंगर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ उन्हें भाजपा से भी बर्खास्त किया जाना चाहिए.
उन्होंने आरोप लगाया कि बलात्कार के मामले में तो पहले ही सीबीआई जांच चल रही है. अब रायबरेली में हुई दुर्घटना के मामले में भी सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गयी है. इसके बावजूद चाल और चरित्र की बात करने वाली भाजपा ने आरोपी विधायक सेंगर को गले लगा रखा है. इससे यह पार्टी बेनकाब हो गई है.’
साथ ही स्थानीय बीजेपी सांसद साक्षी महाराज द्वारा जेल में रेप आरोपी बीजेपी विधायक से मिलना यह प्रमाणित करता है कि गैंग रेप आरोपियों को लगातार सत्ताधारी बीजेपी का संरक्षण मिल रहा है, जो इंसाफ का गला घोटने जैसा है। मा. सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान अवश्य लेना चाहिए।
— Mayawati (@Mayawati) July 30, 2019
इस बीच, बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘स्थानीय भाजपा सांसद साक्षी महाराज द्वारा जेल में बलात्कार के आरोपी भाजपा विधायक से मिलना, यह प्रमाणित करता है कि सामूहिक बलात्कार के आरोपियों को लगातार सत्ताधारी भाजपा का संरक्षण मिल रहा है. यह इंसाफ का गला घोंटने जैसा है. उच्चतम न्यायालय को इसका संज्ञान जरूर लेना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘पीड़िता के परिवार के लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए पीड़ित के चाचा को परोल पर रिहा नहीं होने देना अति-अमानवीय है, जो इस कांड में प्रदेश सरकार की मिलीभगत को साबित करता है. परोल की मांग को लेकर रिश्तेदार मेडिकल कॉलेज में धरने पर बैठे हैं. सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए.’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने पर केंद्र की भाजपा सरकार की सोमवार को आलोचना की और दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)