कश्मीर में हालात बिगड़ने वाला पत्र जारी करने वाले आरपीएफ अधिकारी का तबादला: डीजी

पत्र में आरपीएफ अधिकारी ने कश्मीर में हालात बिगड़ने की आशंका के मद्देनज़र क़ानून-व्यवस्था से निपटने के लिए कर्मचारियों को कम से कम चार महीने के लिए रसद जमा कर लेने, सात दिन के लिए पानी एकत्र कर लेने और गाड़ियों में ईंधन भरकर रखने को कहा था. घाटी में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 10 हज़ार जवान तैनात किए जाने के फैसले के बाद घाटी में कई तरह की चर्चाएं हैं.

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Srinagar: Security personnel stand guard during restrictions and strike called by separatists against Prime Minister Narendra Modi's visit to the state, at Lal Chowk, in Srinagar, on Saturday. (PTI Photo/S Irfan) (PTI5_19_2018_000049B)
श्रीनगर का लाल चौक (प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पत्र में आरपीएफ अधिकारी ने कश्मीर में हालात बिगड़ने की आशंका के मद्देनज़र क़ानून-व्यवस्था से निपटने के लिए कर्मचारियों को कम से कम चार महीने के लिए रसद जमा कर लेने, सात दिन के लिए पानी एकत्र कर लेने और गाड़ियों में ईंधन भरकर रखने को कहा था. घाटी में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 10 हज़ार जवान तैनात किए जाने के फैसले के बाद घाटी में कई तरह की चर्चाएं हैं.

Srinagar: Security personnel stand guard during restrictions and strike called by separatists against Prime Minister Narendra Modi's visit to the state, at Lal Chowk, in Srinagar, on Saturday. (PTI Photo/S Irfan) (PTI5_19_2018_000049B)
श्रीनगर स्थित लाल चौक. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में कथित तौर बिगड़ते हालात के बारे में विवादास्पद पत्र जारी करने वाले रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के बड़गाम में पदस्थ एक अधिकारी का तबादला कर दिया गया है.

आरपीएफ महानिदेशक अरुण कुमार ने बीते सोमवार को यह जानकारी दी.

पत्र में आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त (बड़गाम) सुदेश नुग्याल ने कश्मीर में हालात बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर कानून-व्यवस्था से निपटने के लिए कर्मचारियों को कम से कम चार महीने के लिए रसद जमा कर लेने, सात दिन के लिए पानी एकत्र कर लेने और गाड़ियों में ईंधन भरकर रखने को कहा था.

नुग्याल द्वारा लिखे पत्र में कहा गया था, ‘विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और एसएसपी/जीआरपी/एसआईएनए (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सरकारी रेलवे पुलिस, श्रीनगर) द्वारा कश्मीर घाटी में हालात बिगड़ने की आशंका के संबंध में मिली जानकारी, और लंबे समय तक कानून-व्यवस्था की स्थिति बने रहने को लेकर 27 जुलाई को एक एहतियाती सुरक्षा बैठक हुई थी.’

अधिकारी ने कर्मचारियों से घाटी में हालात खराब होने की आशंका को देखते हुए सात दिनों तक के लिए पीने का पानी भरकर रखने और गाड़ियों को कानून-व्यवस्था से निपटने के लिये तैयार रखने को कहा है.

आरपीएफ महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा, ‘आदेश जारी करने वाले अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया गया है. अध्ययन अवकाश पर गए वरिष्ठ आरपीएफ अधिकारी की गैर मौजूदगी में एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी को पद की जिम्मेदारी दी गई है.

मालूम हो कि सुदेश नुग्याल के पत्र से हलचल मच गई थी. सोशल मीडिया पर भी इसे खूब साझा किया गया. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ऐसे संदेश के पीछे की मंशा पर सवाल उठाए.

हालांकि, रेलवे ने स्पष्ट किया कि बिना किसी आधार के पत्र लिखा गया और अधिकारी के पास इसे जारी करने का अधिकार नहीं था. अरुण कुमार ने बताया कि मुरादाबाद के वरिष्ठ संभागीय सुरक्षा आयुक्त संदीप रविवंशी को अब श्रीनगर में तैनात किया गया है.

नुग्याल ने कर्मचारियों को ऐहतियातन कम से कम चार महीने के लिए राशन जमा कर लेने और घाटी से अपने परिवारों को दूसरी जगह भेजने को कहा था.

हालांकि, रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता की ओर से जारी स्पष्टीकरण में कहा गया कि पत्र को बिना किसी अधिकार के भेजा गया.

कुमार ने कहा कि रेलवे सुरक्षाबल (आरपीएफ) आगे की कार्रवाई के लिए राज्य के दौरे पर गए आरपीएफ के महानिरीक्षक संजय सांकृत्यायन की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है.

यह विवाद ऐसे समय हुआ जब केंद्र ने हाल में घोषणा की थी कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 100 और कंपनियां (10,000 जवान) राज्य में भेजी जाएंगी.

मालूम हो कि कश्मीर घाटी में केंद्रीय सशस्त्र अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां भेजे जाने के केंद्र सरकार के आदेश के बाद से यहां कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं.

ऐसी चर्चा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 35-ए को वापस ले सकती है जो राज्य के लोगों के विशेष निवास और नौकरी के अधिकारों से जुड़ा हुआ है.

पिछले तीन दिनों से राज्य सरकार के अधिकारियों और केंद्र सरकार के कुछ विभागों की तरफ से जारी कई आदेशों से आशंकाएं जताई जा रही हैं कि जम्मू कश्मीर को लेकर कोई बड़ा निर्णय होने वाला है.

आरपीएफ अधिकारी द्वारा कश्मीर के बिगड़ते हालात को लेकर लिख गए पत्र की वजह से भी इन चर्चाओं को बल मिला.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

वहीं सरकार ने कहा है कि कश्मीर घाटी में आतंक रोधी प्रयासों और कानून-व्यवस्था से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए जवानों की तैनाती की जा रही है.

घाटी में अनिश्चितता के बीच राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर केंद्र से चीजों को स्पष्ट करने की मांग की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का वक्त मांगा है.

मस्जिदों का ब्योरा मांगा गया

इस बीच श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हसीब मुगल ने पांच पुलिस अधीक्षकों को अपने क्षेत्रों में सभी मस्जिदों और उनकी प्रबंधन समितियों का ब्योरा इकट्ठा करने और इसे तुरंत सौंपने का निर्देश दिया ताकि उसे उच्चाधिकारियों को भेजा जा सके.

एसएसपी ने कहा कि मस्जिदों के बारे में सूचना इकट्ठा करना नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है. एक निश्चित समय पर जानकारी अपडेट करने के लिए ऐसा किया जाता है.

वहीं एक अन्य सरकारी आदेश के मुताबिक यहां पुलिस अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में टैक्सियों की यात्री क्षमता और पेट्रोल पंपों की ईंधन क्षमता के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं.

इन आदेशों को गोपनीय रहना था लेकिन ये सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं. कुछ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अब तक ये आदेश नहीं मिले हैं.

कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की पृष्ठभूमि में शहर में नए सुरक्षा नाकों का निर्माण भी देखा जा रहा है. पुराने शहर, पर्यटकों की ज्यादा आवाजाही वाले इलाकों में यहां कई बंकर बनाए गए हैं.

कश्मीर में सब कुछ सामान्य है, अफवाहों पर ध्यान न दें: राज्यपाल सत्यपाल मलिक

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को कहा कि राज्य के विशेष दर्जे पर कोई बड़ा निर्णय होने के बारे में अफवाहों की तरफ लोगों को ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि सब कुछ सामान्य है.

कश्मीर घाटी में कानून-व्यवस्था की संभावना को लेकर सोशल मीडिया पर कई आदेश दिखने के बारे में पूछने पर राज्यपाल मलिक ने कहा, ‘यहां काफी अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उन पर ध्यान नहीं दें. सब कुछ ठीक है, सब कुछ सामान्य है.’

मलिक ने कहा कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर दिख रहे आदेश वैध नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोई भी आदेश वैध नहीं है. लाल चौक पर अगर कोई छींकता भी है तो राज्यपाल भवन तक पहुंचते-पहुंचते इसे बम विस्फोट बता दिया जाता है.’

उमर ने फ़र्ज़ी आदेशों के मामले में सीबीआई जांच की मांग की

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से फैले फर्जी आदेशों के सिलसिले में सीबीआई जांच की मांग की है.

इस फर्जी आदेश से केंद्र सरकार के संविधान की धारा-35ए खत्म करने की अटकलें तेज हो गई, जो राज्य में जम्मू कश्मीर के लोगों को निवास और नौकरियों के विशेष अधिकार देता है.

अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘राज्यपाल द्वारा उठाया गया यह एक गंभीर मुद्दा है. सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित फर्जी आदेश फैले हैं. इसे महज कुछ कहकर खारिज नहीं किया जा सकता. सीबीआई से इस फर्जी आदेश और उसके मूल की जांच करने को कहा जाना चाहिए.’

फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने मोदी से मुलाकात का समय मांगा

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा है. अब्दुल्ला की इस मुलाकात का उद्देश्य केंद्रीय सशस्त्र अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां घाटी में भेजने के केंद्र के कदम की पृष्ठभूमि में मोदी को जम्मू कश्मीर की वर्तमान स्थिति से अवगत कराना है.

श्रीनगर में नेशनल कान्फ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस के दो लोकसभा सदस्यों जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन ने प्रधानमंत्री से तत्काल मुलाकात के लिए समय मांगा है.

उन्होंने कहा कि पार्टी राज्य में वर्तमान स्थिति के बारे में लोकसभा में चर्चा करेगी, जिसके लिए सदन में जरूरी नोटिस दिया जा चुका है.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुरोध किया है और जम्मू कश्मीर में संवेदनशील हालात के मद्देनजर मुझे जल्द ही उनके कार्यालय से जवाब आने की उम्मीद है.’

गुरुवार को सर्वदलीय बैठक होने की संभावना

इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला से राज्य में वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया था.

उधर, फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने बताया, ‘मौजूदा हालत पर चर्चा और आगे की राह के लिए आम सहमति बनाने के उद्देश्य से हमें गुरुवार को यहां सर्वदलीय बैठक करने की उम्मीद है.’

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का वक्त मांगा है लेकिन उनके दफ्तर से अभी जवाब नहीं आया है.

मुफ्ती ने ट्विटर पर लिखा था, ‘हालिया घटनाक्रम के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में लोगों के बीच दहशत फैल गई है. मैंने डॉ. फ़ारूक़ अब्दुल्ला साहब से सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है. एक साथ होकर काम करने और एकजुट जवाब देने की जरूरत है. हम कश्मीरियों को साथ मिलकर खड़े होने की जरूरत है.’

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस पर यह कहते हुए जवाब दिया था कि पार्टी राज्य के लिए केंद्र सरकार की मंशा को समझने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘जम्मू कश्मीर में दूसरे दलों के वरिष्ठ नेताओं से कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा से पहले केंद्र सरकार से राज्य को लेकर उसकी मंशा को समझने की आवश्यकता है और यह भी कि वह मौजूदा हालात को कैसे देखते हैं. जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस अभी इस पर ध्यान केंद्रित कर रही है.’

जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त जवान सुरक्षा कवायद का हिस्सा: जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बीते सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में 10,000 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती सुरक्षा कवायद का हिस्सा है और आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीडीपी इसे लेकर हो-हल्ला मचा रही हैं.

मंत्री ने कहा कि नेकां, पीडीपी और अन्य द्वारा हो-हल्ला मचाया जा रहा है क्योंकि वे यह समझ सकते हैं कि वे जनता का साथ खो रहे हैं.

घाटी में 10 हजार अतिरिक्त जवानों को भेजे जाने के सवाल पर उन्होंने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘अतिरिक्त तैनाती सुरक्षा इंतजामों के लिए है… वे (राजनीतिक दल) 8-10 फीसद मतदान प्रतिशत से अपनी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्हें डर है कि यहां हालात बदले तो बीते 30-40 सालों में बना उनक प्रभुत्व खत्म हो जाएगा.’

सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर बैंक में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की है और कथित घोटाले के सिलसिले में बड़े नाम सामने आने वाले हैं.

उन्होंने कहा, ‘जब जांच पूरी होगी तो कई बड़े नाम सामने आएंगे. यह दल अपने हितों के लिए चिंतित हैं और वे जानते हैं कि उनका पर्दाफाश हो जाएगा. वे इसे लेकर चिंतित हैं.’

भाजपा ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ मंगलवार को बैठक करेगा. यह बैठक ऐसे समय होगी जब आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि राज्य में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में हो सकता है.

भाजपा के नेता आगामी चुनावों के लिए तैयारियों पर चर्चा करेंगे. अगले महीने संपन्न होने वाली अमरनाथ यात्रा के बाद चुनाव आयोग कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है.

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, भाजपा महासचिव राम माधव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता इस बैठक में शामिल होंगे. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बैठक की अध्यक्षता करने की संभावना है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महासचिव (संगठन) बीएल संतोष सहित कुछ वरिष्ठ नेता भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे.

सूत्रों ने बताया कि नड्डा चुनाव के लिए पार्टी के संगठनात्मक कार्यों और उसका जायजा लेने के लिए आगामी दिनों में राज्य का दौरा करेंगे.

विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम के बारे में पूछे जाने पर एक सूत्र ने बताया कि अक्टूबर से आरंभ होकर नवंबर तक यह हो सकता है. जम्मू कश्मीर में 2014 में विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में हुए थे.

चुनाव आयोग ने चार जून को कहा था कि वह अगले महीने संपन्न होने वाली अमरनाथ यात्रा के बाद कार्यक्रम की घोषणा करेगा.

राज्य में फिलहाल राज्यपाल शासन लागू है, जिसे तीन जुलाई से और छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)