उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल के दो कर्मचारियों द्वारा कथित तौर पर रिश्वत लेने से संबंधित वीडियो सामने आने के बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. वीडियो में एक जेलकर्मी विधायक सेंगर से मिलने के लिए एक युवक को 15 दिन बाद आने के लिए कह रहा है और एक अन्य वीडियो में दूसरा जेलकर्मी उससे रिश्वत लेते हुए दिख रहा है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने सीतापुर के जेलकर्मियों द्वारा कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शुक्रवार को इस मामले की जांच के आदेश दे दिए. दोनों आरोपी जेलकर्मियों का तबादला कर दिया गया है.
मालूम हो कि इसी जेल में उन्नाव की युवती से बलात्कार के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर बंद हैं .
पुलिस महानिदेशक (जेल) आनंद कुमार ने बताया, ‘मैंने वीडियो नहीं देखा है लेकिन यह बात मेरे संज्ञान में आई है. हम मामले की जांच करवाएंगे और कड़ी कार्रवाई होगी. अगर कोई पुलिसकर्मी ऐसा करता पाया जाएगा तो उसे बर्खास्त किया जाएगा.’
मालूम हो कि सीतापुर जेल के बाहर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कुर्ता पायजामा पहने एक व्यक्ति बाहर आ रहा है और एक पुलिसकर्मी को कुछ दे रहा है. इस आदमी की पहचान रिंकू शुक्ला के रूप में हुई है और यह उन्नाव जिला पंचायत का सदस्य है और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का करीबी माना जाता है.
#Sitapur jail video: Constable taking #bribe from visitors who came to meet #KuldeepSengar#KuldeepSinghSengar pic.twitter.com/FgmuIMhCN3
— S. Imran Ali Hashmi (@syedimranhashmi) August 1, 2019
एक अन्य वीडियो में मोटरसाइकिल सवार एक युवक आता है और किसी से विधायक से मिलवाने की बात करता है. इस पर उससे कहा जाता है कि अभी बहुत सख्ती है, बाद में आना.
रिंकू शुक्ला से जब पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने कहा कि सेंगर से मिलने के लिए उसका इरादा पुलिसकर्मियों को घूस देने का नहीं था.
उन्होंने कहा, ‘यह मेरी आदत है कि जब मैं जेल मिलने जाता हूं तो पुलिसकर्मियों को चाय-पानी के लिए कुछ दे देता हूं, यह रिश्वत नहीं है. मैं दस-पंद्रह दिन पहले सेंगर से मिला था, क्योंकि वह मेरे विधायक हैं. मैं भाजपा से जुड़ा हुआ नही हूं.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त निरीक्षक (जेल) शरद कुलश्रेष्ठ ने कहा कि दोनों वीडियो के शुक्रवार को वायरल होने के बाद दो जेल वार्डर (जेल की सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी) महेंद्र कुमार यादव और सत्य प्रकाश वर्मा का तबादला कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि यादव को फतेहगढ़ की सेंट्रल जेल में तैनात कर दिया गया है, जबकि वर्मा को मऊ जिले की जेल में तैनात किया गया है.
उन्होंने कहा कि इस मामले में सीतापुर की जिला जेल के अधीक्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है.
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के हथियारों के लाइसेंस निरस्त
उन्नाव बलात्कार कांड के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के हथियारों का लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई 15 महीने बाद पूरी हो गई. जिला मजिस्ट्रेट देवेंद्र कुमार पाण्डेय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद तीनों हथियार लाइसेंस निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया है.
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के नाम पर एक सिंगल बैरल बंदूक, एक राइफल और एक रिवॉल्वर का लाइसेंस था.
इन हथियारों के लाइसेंस को रद्द किए जाने की कार्रवाई पिछले 15 माह से जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय में चल रही थी. जिलाधिकारी ने लाइसेंस निरस्तीकरण की सुनवाई से पहले मीडिया को बताया था कि न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाती है जिसमें दोनों पक्षों को सुनना होता है.
मामले में सीबीआई जांच शुरू होने के बाद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की गिरफ्तारी के बाद ही उनके सभी हथियार लाइसेंसों को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई थी जो लंबित थी.
बीते रविवार पीड़िता के रायबरेली की जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जाने के दौरान हुए सड़क हादसे के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया और तब से विधायक के हथियार लाइसेंस निरस्त न होने के मामले पर सवाल उठने लगे.
इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट की अदालत ने पूर्व निर्धारित तारीख पर शुक्रवार को अंतिम सुनवाई कर हथियार लाइसेंस निरस्त करने का आदेश जारी किया.
गौरतलब है कि पीड़ित पक्ष ने विधायक के हथियार लाइसेंस रद्द किए जाने की मांग पूर्व में जिला प्रशासन से की थी.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर एक युवती से बलात्कार के मामले में आरोपी हैं. उन्हें पिछले साल 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वह और उनके भाई अतुल सेंगर जेल में बंद हैं. युवती का आरोप है कि साल 2017 में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उनका अपहरण कर उनके साथ बलात्कार किया था. उस वक्त युवती नाबालिग थीं.
पिछले साल उन्नाव बलात्कार मामला राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आया था जब बलात्कार पीड़िता और उनकी मां ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी.
इसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत हिरासत में लिया था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर चोट के निशान पाए जाने की बात सामने आई थी.
बीते एक अगस्त को भाजपा ने कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया. मामले में सीबीआई ने विधायक समेत 10 लोगों के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश रचने का मामला दर्ज किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)