नीति आयोग के एक सर्वे से ये जानकारी सामने आई है. आईसीडीएस योजना के तहत छह महीने से छह वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण कार्यक्रम का लाभ दिया जाता है.
नई दिल्ली: नीति आयोग की ओर से 27 जिलों में कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक 78 फीसदी पंजीकरण दर के बावजूद गर्भवती और स्तनपान कराने वाली केवल 46 फीसदी महिलाओं को पूरक पोषण कार्यक्रम के अंतर्गत ‘टेक होम राशन’ मुहैया कराया गया.
सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि आंगनवाड़ी में पंजीकृत 64 फीसदी बच्चों में से केवल 17 फीसदी बच्चों को ही दिन में गरम खाना मिला.
इस स्थिति से निपटने के लिए नीति आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देश में समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन (सीएमएएम) और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंगनवाड़ी सेवा की रिक्तियों को भरने की सिफारिश की है.
सीएमएएम पद्धति के तहत कुपोषित बच्चों का उनके पोषण और चिकित्सा जरूरतों के अनुरूप इलाज किया जाता है.
नीति आयोग में सलाहकार आलोक कुमार ने ‘फर्स्ट रेफरेल यूनिट्स’ (एफआरयू) के क्रियान्वयन, सामुदायिक नेताओं और धार्मिक उपदेशकों की मदद से लोगों के स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में बदलाव की बात की.
कुमार ने पोषण अभियान की कार्यकारी समिति की जून में हुई सातवीं बैठक में 27 जिलों के सर्वेक्षण में नतीजों के आधार पर गुणवत्ता और अमल के मुद्दों को रेखांकित किया.
बैठक की कार्यवाही रिपोर्ट के मुताबिक सर्वेक्षण में असम, बिहार,राजस्थान, ओडिशा और उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्यों के आकांक्षी जिलों पर विशेष ध्यान दिया गया.
इस बैठक की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने की और नीति आयोग, पंचायती राज और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया.
अनुपूरक पोषण एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना के तहत प्रदान की जाने वाली छह सेवाओं में से एक है जिसे मुख्य रूप से अनुशंसित आहार भत्ते और औसत दैनिक सेवन के बीच की खाई को पाटने के लिए बनाया गया है.
आईसीडीएस योजना के तहत बच्चों (6 महीने-6 वर्ष तक), गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अनुपूरक पोषण दिया जाता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)