लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने से इलाके में विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. वहीं, कांग्रेस के बागी नेता और पूर्व विधायक असगर अली करबालाई ने कहा कि हम धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर जम्मू कश्मीर को बांटे जाने के खिलाफ हैं.
जम्मू/नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग करने और दोनों क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र के फैसले के बाद लेह में जश्न का माहौल रहा जबकि करगिल में विरोध के स्वर देखने को मिल रहे हैं.
नए निर्णय के अनुसार, लद्दाख बिना विधायिका वाला एक केंद्र शासित क्षेत्र होगा. करीब 60 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले कम जनसंख्या वाले इस क्षेत्र के नेताओं की शिकायत रही है कि सत्ता के गलियारों में लद्दाख का दखल न के बराबर है.
लद्दाख का सबसे बड़ा शहर है लेह और इसके बाद आता है करगिल. करगिल कस्बा लद्दाख लोकसभा क्षेत्र में आता है.
प्रस्तावित जम्मू कश्मीर संघ शासित क्षेत्र को लोकसभा की पांच सीटें और लद्दाख क्षेत्र को एक सीट आवंटित की जाएगी.
लंबित मांग पूरी होते ही बौद्ध बहुल लेह शहर में खुशी देखने को मिली. वहीं, मुस्लिम बहुसंख्यक करगिल के नेताओं ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का स्पष्ट विरोध किया और कांग्रेस के एक नेता ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेता लेहवासियों की खुशी में शामिल हुए.
लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पीटी कुंजांग, पूर्व सांसद थूपस्तान छेवांग, कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक शीरिंग साम्फेल, एमएलसी चेरिंग दोरजे, कांग्रेस जिलाध्यक्ष शीरिंग नामग्याल और स्थानीय भाजपा अध्यक्ष दोरजे अंगचुक ने भी इस कदम को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया.
https://twitter.com/asmitabee/status/1158667952150872065
लद्दाख से भाजपा के लोकसभा सदस्य जामयांग शेरिंग नामग्याल ने अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त करने के केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इससे इलाके में विकास का मार्ग प्रशस्त होगा और सीमा क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी.
नामग्याल ने कहा कि लद्दाख के लोग लंबे समय से केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग कर रहे थे क्योंकि वे कश्मीर केंद्रित नेताओं के कारण भेदभाव का शिकार हो रहे थे.
हालांकि पड़ोस के करगिल जिले में नेताओं ने केंद्र के कदम के खिलाफ गहरी नाराजगी प्रकट की.
लेह के एक निवासी ने बताया कि करगिल में नेताओं ने दो दिन की हड़ताल बुलाई है. उनका कहना है कि वे नहीं चाहते कि करगिल जिला नए केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा हो. उनका कहना है कि इसे जम्मू कश्मीर के साथ ही होना चाहिए था.
करगिल के सभी धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने बीते छह अगस्त को लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के मोदी सरकार के निर्णय पर बैठक की और एक बयान जारी कर घोषणा की कि सात अगस्त को जिलास्तरीय हड़ताल बुलाई जाएगी.
Contrary to govt claims, people of Kargil strongly oppose abrogation of Art 370 – across political and religious lines. pic.twitter.com/cqHviuzcy2
— Road Scholarz (@roadscholarz) August 7, 2019
जॉइंट एक्शन कमेटी के बयान में कहा गया है, ‘बैठक में शामिल सभी लोगों ने केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा की और जम्मू कश्मीर के लोगों की सहमति लिए बगैर उठाए गए इस कदम को खारिज किया है.’
कांग्रेस के बागी नेता और पूर्व विधायक असगर अली करबालाई ने कहा, ‘यह जम्मू कश्मीर के लिए ही नहीं समूचे देश के लिए काला दिन है. हम धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर जम्मू कश्मीर को बांटे जाने के खिलाफ हैं.’
उन्होंने कहा कि करगिल के लोग फैसले के खिलाफ हैं और व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले सज्जाद हुसैन ने कहा कि करगिल के लोग कश्मीर का हिस्सा बने रहना चाहते हैं. हुसैन चुनाव हार गए थे.
लद्दाख में महाराष्ट्र सरकार की एमटीडीसी रिजॉर्ट बनाने की योजना
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा केंद्र द्वारा वापस लिये जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार लद्दाख में एक पर्यटन रिजॉर्ट बनाना चाहती है.
महाराष्ट्र के पर्यटन विकास मंत्री जयंत रावल ने कहा कि इस संबंध में जल्द आधिकारिक फैसला लिया जाएगा.
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाये जाने के बाद अब बाहरी लोगों के जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदने पर लगा प्रतिबंध हटने की संभावना है. केंद्र ने लद्दाख को भी केंद्र शासित क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव दिया है.
रावल ने कहा, ‘हम लोग लद्दाख में जमीन खरीदकर वहां एमटीडीसी (महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम) का रिजॉर्ट स्थापित करना चाहते हैं. हर साल अच्छी खासी संख्या में सैलानी लद्दाख और जम्मू कश्मीर घूमने जाते हैं और अनुच्छेद 370 को लेकर केंद्र के फैसले के बाद मुझे लगता है कि हम लोग वहां आधिकारिक रूप से रिजॉर्ट बना सकते हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)