जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया गया है. बीते चार अगस्त से कश्मीर घाटी में धारा 144 लागू है और मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं लगभग बंद कर दिए गए हैं. भारत के अन्य राज्यों और विदेश में रह रहे कश्मीरी लोग अपनों का हाल जानने के लिए परेशान. वहीं प्रशासन का कहना है कि हालात शांतिपूर्ण हैं.
नई दिल्ली/जम्मू/श्रीनगर: जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ ही कश्मीर में लागू धारा 144 की वजह से बंद की स्थिति है. सड़कों पर सुरक्षा बलों का डेरा है और बीते चार अगस्त से संचार के सभी माध्यम लैंडलाइन, मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाएं लगभग बंद हैं.
इसके अलावा राज्य के प्रमुख दलों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. कश्मीर में बंद की स्थिति के बीच क्षेत्र के बाहर रहने वाले लोग वहां रह रहे अपने परिवार और मित्रों की खोज खबर और वहां की स्थिति जानने के लिए चिंतित हैं.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम एवं प्रतिबंधों के बीच जम्मू कश्मीर के तीनों क्षेत्रों में स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है लेकिन लाखों कश्मीरियों और अन्य लोगों की बेचैनी दूर नहीं हुई है क्योंकि घाटी से उनका संपर्क कटा रहा.
जम्मू और कश्मीर संभागों के कई जिलों में निषेधाज्ञा लागू (धारा 144) की गई है. सीआरपीसी की धारा 144 के तहत श्रीनगर जिले में एहतियाती तौर पर बीते चार अगस्त की देर रात प्रतिबंध लगाए हैं. कुछ जिलों में रात का कर्फ्यू जारी होने की भी सूचना है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती तथा जम्मू कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को पांच अगस्त से गिरफ्तार किए जाने के बाद उनकी कोई खबर नहीं है.
कश्मीर घाटी में संचार-व्यवस्था ठप होने और तमाम प्रतिबंधों के बीच सुरक्षा एजेंसियों ने राजनेताओं, कार्यकर्ताओं सहित 100 से अधिक लोगों को शांति के लिए खतरा होने का हवाला देते हुए गिरफ्तार किया है.
कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी कर रहे 32 वर्षीय फारूक शेख ने कहा, ‘हम अपने शहर में कैद हैं. हमारे मोबाइल फोन के कनेक्शन काट दिए गए. इंटरनेट बंद है. यहां तक कि टीवी भी बंद है और लैंडलाइन भी. ऐसा लगता है कि हम हमारे घर में ही जेल में रह रहे हैं.’ शेख कारोबार के सिलसिले में कश्मीर से बाहर आते-जाते रहते हैं.
श्रीनगर के एक सरकारी कर्मचारी जो 40 हज यात्रियों के साथ सोमवार को दिल्ली पहुंचे हैं, उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हो रहा है, उससे हम काफी चिंतित हैं. हम लोग एक दिन पहले दिल्ली आ गए. कश्मीर जल रहा है. हम हज पर जा तो रहे हैं लेकिन मन में कोई शांति नहीं है.’
सुरक्षा कारणों से जम्मू कश्मीर में स्कूल और कॉलेज में कक्षाओं को निलंबित कर दिया गया है और परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं. बीते चार अगस्त को जारी सरकारी आदेश के अनुसार, ‘लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध है और शिक्षण संस्थान (श्रीनगर जिले में) भी बंद रहेंगे. सार्वजनिक बैठक करने या रैली निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध है.’
महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और संवेदनशील क्षेत्रों में आतंकवादी खतरे और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के चलते सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में प्रवेश और निकास मार्गों सहित अन्य मुख्य मार्गों पर अवरोध लगाए गए हैं. दंगा नियंत्रण वाहनों को भी कुछ इलाकों में तैयार रखा गया है, जहां कानून व्यवस्था में गड़बड़ी की आशंका अधिक है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद रहने से ‘ग्रेटर कश्मीर’ और ‘राइज़िंग कश्मीर’ जैसे कश्मीरी वेबसाइट सोमवार की सुबह से क्षेत्र की कोई भी खबर नहीं लगा सके हैं. मंगलवार सुबह ‘कश्मीर ऑब्ज़र्वर’ और ‘कश्मीर रीडर’ अखबारों ने अपना ईपेपर एडिशन भी निकाल नहीं सके.
कश्मीर में राजनेताओं सहित 100 से अधिक लोग गिरफ्तार: अधिकारी
जम्मू कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘100 से अधिक राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को अभी तक घाटी में गिरफ्तार किया गया है.’ उन्होंने हालांकि गिरफ्तारी के संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी.
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला चार अगस्त की रात से नजरबंद थे. उन्हें राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति के लिए खतरा बताते हुए पांच अगस्त की रात में गिरफ्तार कर लिया गया था .
उन्होंने बताया, ‘जम्मू कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन और इमरान अंसारी को भी गिरफ्तार किया गया है. दोनों नेताओं को उनके गुप्कर निवास से कुछ मीटर की दूरी पर हरि निवास में रखा गया है.’
उन्होंने बताया कि कश्मीर घाटी में उनकी गतिविधियों से शांति एवं सौहार्द में खलल पैदा होने के डर के चलते मजिस्ट्रेट ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए थे.
भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने की घोषणा के बाद ये गिरफ्तारियां हुई हैं.
पत्थरबाजी की कुछ घटनाओं को छोड़कर हालात सहज: अधिकारी
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को बताया कि पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाओं को छोड़कर जम्मू कश्मीर के तीनों क्षेत्रों में हालात सहज हैं. घाटी में संचार सेवाएं बंद हैं और कई तरह की पाबंदियां लागू हैं.
राज्य प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि श्रीनगर में कुछ दुकानें खुलीं और पाबंदियों के बावजूद सड़कों पर लोगों की आवाजाही बढ़ी है. उन्होंने कहा कि अब हालात सहज हैं. अधिकारी ने कहा कि प्राधिकारी उन लोगों की सहायता कर रहे हैं जिनके घरों में शादी है.
सोशल मीडिया पर कश्मीर की कई वीडियो क्लिप वायरल हुई हैं, जिनमें श्रीनगर में लोग दुकान खोलते, आते-जाते और मोटरसाइकिल तथा कार चलाते दिख रहे हैं.
एक क्लिप में सीमावर्ती कुपवाड़ा जिले के लोग कथित रूप से यह कहते हुए दिख रहे हैं कि वे शांति चाहते हैं और अनुच्छेद 370 हटाने के सरकार के फैसले से खुश हैं क्योंकि इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार खत्म होगा. उन्होंने भी कहा कि इलाके में हालात शांतिपूर्ण हैं.
अधिकारियों ने कहा कि पुंछ जिले के बफलैज इलाके में सरकार के कदम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पत्थरबाजी की एक घटना की जानकारी मिली है. इस घटना में एक पुलिस अधिकारी को मामूली चोटें आई हैं.
अधिकारी ने कहा कि जम्मू शहर समेत जम्मू क्षेत्र के सभी जिलों में पाबंदियां लागू हैं और पूरे राज्य में शिक्षण संस्थान बंद रहे. करगिल कस्बे में अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाये जाने को लेकर बंद रखा गया.
कुलगाम के निवासी रतन लाल जुत्सी ने कहा कि हालात शांतिपूर्ण हैं और राजमार्ग पर यातायात सामान्य हैं, जिसके जरिये वह श्रीनगर से जम्मू पहुंचे हैं.
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने श्रीनगर से बताया कि राज्य के किसी भी स्थान से अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं मिली है. सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है.
श्रीनगर के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने कहा कि शहर में जिन लोगों को अत्यावश्क काम पड़ रहा है उन्हें सख्त प्रतिबंधों के बावजूद आने-जाने की इजाजत दी जा रही है.
सेना के उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने भी किसी हालात से निपटने के वास्ते खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के कोर ग्रुप की बैठक की अध्यक्षता की.
उधमपुर स्थित सैन्य अधिकारियों की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सिंह ने कहा कि शांति सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के आवश्यक इंतजाम किए गए हैं.
अपनों का हाल जानने के लिए लिया ट्विटर का सहारा
भारत के अन्य राज्यों और विदेश में रह रहे कश्मीर के लोगों ने अपनी बेचैनी को व्यक्त करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया है. कुछ लोग कर्फ्यू ग्रस्त राज्य में अपने लोगों से संपर्क नहीं कर पाने की व्यथा जाहिर कर रहे हैं तो कुछ अपनों से हुई अंतिम बातचीत के स्क्रीनशॉट पोस्ट कर रहे हैं.
सैयद फैजान ने ट्वीट किया, ‘कश्मीर से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति कश्मीर की जमीनी हकीकत के बारे में बताए… हम चिंतित हैं… परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. कश्मीर के साथ हैं.’
एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, ‘कश्मीर में संचार के सभी साधन बंद हैं, मैं अपने परिवार से बातचीत करना चाहता हूं.’
Friends and family in #Kashmir were sending messages over the last few days asking if India has some sort of a final solution in mind. It was too hard to give comfort or say everything will be fine. Now the messages have stopped coming. The long night has begun #StandwithKashmir
— M Junaid (@mjunaidr) August 4, 2019
एम. जुनैद ने कई ट्वीट करके कहा कि पिछले 24 घंटे उनके लिए अब तक के सबसे लंबे घंटे रहे हैं. जुनैद ने ट्वीट किया, ‘पिछले कुछ दिनों से परिवार और मित्र मैसेज भेज कर पूछ रहे थे कि क्या भारत के जेहन में कोई अंतिम हल है. उन्हें सांत्वना देना अथवा यह कहना कि सब कुछ ठीक हो जाएगा बेहद कठिन था. अब संदेश आने बंद हो गए हैं. लंबी रात की शुरुआत हो गई है. कश्मीर के साथ खड़ा हूं.’
एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया कि परिवार से संपर्क बंद होने के बाद से उन्हें पैनिक अटैक आ रहे हैं.
Does anyone know what is happening in #Kashmir ?? Not able to speak to anyone from the family there … I pray that everyone is safe
— Huma Qureshi (@humasqureshi) August 5, 2019
बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने भी कश्मीर के हालात जानने के लिए ट्विटर का सहारा लिया. हुमा ने ट्वीट किया, ‘कोई जानता है कि कश्मीर में क्या हो रहा है? वहां परिवार में किसी से बात नहीं हो पा रही है… मैं दुआ करती हूं कि वहां सब सुरक्षित हों.’
बकरीद पर कश्मीर लौटने की योजना बनाने वालों में संशय
जम्मू कश्मीर पर केंद्र सरकार के नए निर्णय से 11 अगस्त को बकरीद के मौके पर वहां जाने की योजना बनाने वाले संशय में हैं.
सऊदी अरब में रहने वाले नजर जुबैर ने ट्वीट किया, ‘इस बार ईद कश्मीर में अपने परिवार के साथ मनाने के लिए मैंने 26 माह इंतजार किया. कल मेरी फ्लाइट है और मैं निर्णय नहीं ले पा रहा हूं कि मैं यात्रा करूं या नहीं. कश्मीर खून के आंसू रो रहा है.’
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सहायक शोधार्थी दिल्ली के खालिद शाह ने ट्वीट किया, ‘मेरे पिछले फोन कॉल में मेरी मां ने कहा था कि अगर मैं मर गई तो तुम्हें पता कैसे चलेगा.’
कश्मीर में परिजनों से संपर्क न हो पाने से चिंतित
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रह रहे कश्मीर के लोगों और पर्यटकों ने कहा कि वे अनिश्चितता के इस माहौल में घाटी से बाहर रहने पर राहत महसूस कर रहे हैं. हालांकि, इन लोगों ने कश्मीर के हालात पर चिंता जताई. कुछ लोगों का कहना था कि बिना किसी संपर्क के वहां का जनजीवन पाषाण काल जैसा हो गया है.
उन्होंने तनाव के इस माहौल में कश्मीर में भारी सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी चिंता जताई. जेहरा बशीर ने कहा, ‘यह फैसला और इसके बाद के प्रभाव ने घाटी में सब कुछ ठहरा दिया है.’ बशीर अपने दिल्ली पहुंचने की खबर अपने अभिभावकों को नहीं दे पा रही हैं.
बशीर राष्ट्रीय राजधानी में एमबीए की पढ़ाई करती हैं. उन्होंने कहा, ‘इंटरनेट के बारे में तो भूल ही जाएं, यहां तक कि फोन भी नहीं काम कर रहा है.’
अनुच्छेद 370 पर अपना विचार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि यह ऐसा है जैसे किसी ने बम फेंक दिया हो.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)