सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बलात्कार पीड़िता, उनकी मां, परिवार के अन्य सदस्यों और उनके अधिवक्ता को सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया करायी जाए. वहीं, सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि 2017 में मामले की जांच के दौरान यूपी पुलिस का रवैया लापरवाही भरा रहा.
नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए उन्नाव बलात्कार पीड़िता के परिजनों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस के बदले उत्तर प्रदेश पुलिस सुरक्षा मुहैया करा रही है.
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने इस संबंध में जांच अधिकारी से शनिवार तक रिपोर्ट तलब की है.
उन्नाव बलात्कार पीड़िता (19) और उसके परिजनों के अधिवक्ताओं धर्मेंद्र मिश्र और पूनम कौशिक ने अदालत को बताया कि पीड़िता के पिता की हत्या के गवाह और उसके संबंधी को उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से एक सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराया गया है.
एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बलात्कार पीड़िता, उनकी मां, परिवार के अन्य सदस्यों और उनके अधिवक्ता को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की सुरक्षा मुहैया करायी जाए और इस संबंध में कमांडेंट स्तर का एक अधिकारी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेगा.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इससे पहले अदालत को बताया था कि बलात्कार पीड़िता के पिता को विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और उसके गुर्गों ने तीन अप्रैल 2018 को खौफ पैदा करने के लिए सरेआम बुरी तरफ पीटा था.
सीबीआई ने मामले में दायर एक अन्य आरोप पत्र में कहा कि पीड़िता के पिता को अवैध हथियार रखने के फर्जी मामले में गिरफ्तार किया गया.
इसके बाद नौ अप्रैल 2018 को न्यायिक हिरासत में उसकी मौत हो गई थी. अदालत ने बीते शुक्रवार को कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ पीड़ित युवती के साथ बलात्कार का आरोप तय किया.
गौरतलब है कि 28 जुलाई को रायबरेली में एक कार और ट्रक की टक्कर में बलात्कार पीड़िता और उसके वकील के गंभीर रूप से घायल होने के बाद सेंगर और नौ अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई ने हत्या का मामला दर्ज किया था.
हादसे में पीड़ित की दो महिला रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. उसके परिवार ने इसमें साजिश का आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की रोज सुनवाई करने और इसे 45 दिन के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था.
मुख्य मामले के अलावा तीन अन्य मामलों को भी राष्ट्रीय राजधानी की अदालत में स्थानांतरित किया गया है. ये मामले पीड़िता के पिता के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज करने, हिरासत में उनकी मौत और पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार के हैं.
मामले की की जांच के दौरान यूपी पुलिस का रवैया लापरवाही भरा रहा: सीबीआई
सीबीआई ने दिल्ली की एक अदालत में कहा कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर उन्नाव की युवती के साथ बलात्कार के आरोपों की जांच के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस का रवैया लापरवाही भरा रहा.
जांच एजेंसी ने 11 जुलाई 2018 को अपने आरोप-पत्र में कहा कि वे उन्नाव जिले के जिला प्रशासन और अस्पतालों के अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रहे हैं.
आरोपपत्र में कहा गया, ‘जांच के दौरान, घटनाओं से जुड़ीं कई शिकायतों पर स्थानीय पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को संग्रहित किया गया जिसमें स्थानीय थाना पुलिस और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का लापरवाही भरा रवैया दिखता है.’
सीबीआई ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच जारी है.
सेंगर के सहयोगी शशि सिंह को भी आरोप-पत्र में आरोपी के रूप में नामजद किया गया है. उस पर विधायक के घर नाबालिग लड़की को कथित रूप से लेकर आने का आरोप है.
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए महिला का अपहरण या उसे लुभाना), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) तथा पॉक्सो कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज है.
उन्नाव पीड़िता के परिजनों के रहने-खाने की व्यवस्था करे एम्स: अदालत
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह उन्नाव बलात्कार पीड़िता के परिजनों के रहने और खाने की व्यवस्था करे.
पीड़िता अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत नाजुक है.
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने एम्स के विश्राम सदन के शासी निकाय को निर्देश दिया कि वह उन्नाव बलात्कार पीड़िता के परिजनों को कम से कम दो कमरे और तीन बार का खाना उपलब्ध कराए.
अदालत ने कहा कि इस सुविधा का खर्च सीबीआई उठाएगा जो 28 जुलाई को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुए हादसे की जांच कर रहा है.
इस हादसे में बलात्कार पीड़िता और उसका अधिवक्ता गंभीर रूप से घायल हो गए थे जबकि उसके दो महिला रिश्तेदारों का निधन हो गया था.
अदालत ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि इस आदेश का सख्ती से अनुपालन किया जाए. ऐसा करने में विफल रहने पर शासी निकाय के सदस्य या प्रबंधक इस अदालत की कार्यवाही की अवमानना का सामना करेंगे.’
पीड़िता के अधिवक्ताओं धर्मेंद्र मिश्र एवं पूनम कौशिक ने अदालत को बताया कि पीड़िता के परिवार को केवल एक कमरा दिया गया है जहां बच्चों समेत सात सदस्य रह रहे. इसके बाद अदालत का यह आदेश आया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)