जम्मू कश्मीर: जमीन और सरकारी नौकरियों में बाहरी लोगों पर कुछ प्रतिबंध चाहती है भाजपा

भाजपा के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह ने कहा कि उन्हें 'स्थानीय' प्रमाणपत्र जैसे किसी सुरक्षा की जरूरत है, जिससे राज्य में जमीन और नौकरियों के संबंध में स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा की जा सके.

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भाजपा नेता निर्मल सिंह. (फोटो: पीटीआई)

भाजपा के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह ने कहा कि उन्हें ‘स्थानीय’ प्रमाणपत्र जैसे किसी सुरक्षा की जरूरत है, जिससे राज्य में जमीन और नौकरियों के संबंध में स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा की जा सके.

भाजपा नेता निर्मल सिंह. (फोटो: पीटीआई)
भाजपा नेता निर्मल सिंह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 में संशोधन और अनुच्छेद 35ए को खत्म किए जाने के एक हफ्ते के अंदर ही जम्मू कश्मीर की भाजपा इकाई बाहरी लोगों द्वारा राज्य में जमीन खरीदने पर कुछ प्रतिबंध चाहती है.

बता दें कि अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर के नागरिकों को जमीन के संबंध में कुछ विशेषाधिकार देता था. वहीं, प्रदेश भाजपा इकाई सरकारी नौकरियों में नियुक्ति पर भी बाहरी पर लोगों पर कुछ प्रतिबंध चाहती है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भाजपा के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह ने कहा कि उन्हें ‘स्थानीय’ प्रमाणपत्र जैसे किसी सुरक्षा की जरूरत है, जिससे राज्य में जमीन और नौकरियों के संबंध में स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा की जा सके.

केंद्र सरकार के 5 अगस्त के फैसले के बाद जहां विपक्षी पार्टियां स्थानीय लोगों के लिए जमीन खरीदने और सरकारी नौकिरयों में अधिक परेशानी की बात कर रही हैं, वहीं भाजपा को भी लगता है कि जम्मू में शुरुआती लड़ाई जीतने के बाद यह उसके लिए परेशानी का सबब बन सकता है.

शनिवार को जम्मू में पाबंदियों में कुछ छूट दिए जाने के बाद आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राज्य के कई विपक्षी नेताओं को भी नजरबंद करके रखा गया है. इनमें जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष हर्ष देव सिंह, डोगरा स्वाभिमान संगठन संस्थापक चौधरी लाल सिंह और कांग्रेस नेता रमन भल्ला शामिल हैं. ये सभी पूर्व मुख्यमंत्री हैं. देव सिंह ने ने कहा कि उन्हें चार दिन बाहर नहीं जाने दिया गया.

सूत्रों ने कहा कि भाजपा नेताओं का मानना है कि मौजूदा प्रतिबंधों को हटाने और विपक्षी नेताओं को रिहा किए जाने से पहले भूमि कानून और नौकरियों से संबंधित आशंकाओं को दूर किया जाना चाहिए. इन्हीं आशंकाओं के कारण अनुच्छेद 370 में संशोधन किए जाने के बाद भी जम्मू में उस तरह से जश्न नहीं मनाया गया, जैसी उम्मीद की जा रही थी.

निवर्तमान विधानसभा के स्पीकर सिंह ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद बाहरी लोगों द्वारा हमारी जमीन और सरकारी नौकरियां छीनने को लेकर विपक्षी दलों द्वारा शुरू की गई एक नई बहस के मुद्दे पर हम लोग चर्चा कर रहे हैं.’

प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने दावा किया कि सरकार पहले से ही इन सभी मुद्दों पर काम कर रही है. यह व्यवस्था जल्द ही लागू कर दी जाएगी.

सिंह ने कहा, ‘हमारे पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और पंजाब में कृषि सहित स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ कानून हैं. उन्होंने कहा, पंजाब में सरकारी नौकरी के लिए किसी व्यक्ति को कम से कम छह साल तक के लिए वहां का निवासी बनना पड़ता है जबकि हिमाचल में किसी बाहरी को कृषि भूमि खरीदने की इजाजत नहीं है. वहीं कुछ अन्य जगहों पर किसानों की 50 फीसदी से अधिक कृषि भूमि नहीं खरीदने जैसी पाबंदियां हैं.’

उन्होंने कहा, ‘जहां हर भारतीय को जम्मू कश्मीर आने और बसने का अधिकार है, उसी तरह स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा की जानी भी जरुरी है.’

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा कि लोगों को परेशान होने की जरुरत नहीं है. जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भी इसकी विधानसभा स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा का कानून बना सकती है.

वहीं, प्रदेश भाजपा महासचिव ने विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश वाले पुदुचेरी में एक गैर निवासी कृषि भूमि नहींं खरीद सकता है.