राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर रामलला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था.
नई दिल्ली: अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस शुरू हुई कि क्या इस विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने मस्जिद के निर्माण होने से पहले इस विवादित स्थल पर कोई मंदिर होने संबंधी सवाल पर बहस शुरू की.
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन न्यायाधीशों की पीठ अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था.
वैद्यनाथन ने कहा कि हाईकोर्ट के जस्टिस एसयू खान ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक वैद्यनाथन ने कहा, ‘12 दिसंबर 1949, जब से विवादित जगह पर मूर्तियां रखी गईं हैं, न तो वहां नमाज हुई और न ही मुस्लिम पक्षकारों का उस जमीन पर कब्जा रहा है.’
वैद्यनाथन ने कहा कि 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी ये स्थान हिंदुओं के लिए पूजनीय था. हिंदू दर्शन करने आते थे. सिर्फ मूर्ति की जरूरत नहीं है किसी स्थान के पूजनीय होने के लिए. गंगा, गोवर्धन पर्वत का हम उदाहरण ले सकते हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
इससे पहले, रामलला विराजमान की ओर से ही वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने पीठ से कहा कि उसे अपने समक्ष आए सभी मामलों में पूर्ण न्याय करना चाहिए.
संविधान पीठ ने पिछले शुक्रवार को परासरन से जानना चाहा था कि क्या ‘रघुवंश’ राजघराने से कोई अभी भी वहां (अयोध्या) में रहता है.
परासरन तत्काल इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे सके, लेकिन जयपुर राजघराने की सदस्य और भाजपा सांसद दिया कुमारी ने रविवार को दावा किया कि उनका परिवार भगवान राम के पुत्र कुश के वंश से हैं.
राजस्थान के राजसमंद से सांसद दिया कुमारी ने कहा, ‘न्यायालय ने जानना चाहा है कि भगवान राम के वंश के लोग कहां हैं? हमारे परिवार, जो उनके पुत्र कुश के वंशज हैं, पूरी दुनिया में भगवान राम के वंश के लोग हैं.’ दिया कुमारी ने यह भी कहा कि अयोध्या विवाद जल्द हल होना चाहिए.
शीर्ष अदालत इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि इस प्रकरण के तीनों पक्षकारों -सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला – के बीच बराबर-बराबर बांटने का निर्देश देने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है.
इस मामले की चौथे दिन की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने परासरन से जानना चाहा था कि इस मामले में मुद्दई के रूप में ‘जन्म स्थान’ को एक कानूनी तौर पर व्यक्ति कैसे माना जा सकता है.
इसके जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि हिन्दुत्व में किसी स्थान को मंदिर मानने के लिए वहां देवता की मूर्ति होना जरूरी नहीं है.
उन्होंने कहा था कि हिंदू किसी एक रूप में ईश्वर की अराधना नहीं करते हैं बल्कि वे ऐसे दैवीय अवतरण की पूजा करते हैं, जिसका कोई स्वरूप नहीं है.
बता दें कि अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने में सफलता नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट छह अगस्त से इसकी रोजाना सुनवाई कर रहा है. हालांकि, मुस्लिम पक्षकार एम.सिद्दीक और आल इंडिया सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सप्ताह के सभी पांच कार्य दिवसों पर इसकी सुनवाई किए जाने पर आपत्ति की थी, लेकिन संविधान पीठ ने इसे अस्वीकार कर दिया.
संविधान पीठ ने सिद्दीक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को यह भरोसा जरूर दिलाया कि उन्हें बहस की तैयारी के लिए सप्ताह के बीच में विश्राम देने पर विचार किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)