सुप्रीम कोर्ट ने संचार सेवाओं के साथ लगे अन्य प्रतिबंधों को हटाने के संबंध में केंद्र सरकार को तत्काल कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया. पीठ ने हालात में सुधार की उम्मीद करते हुए सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया है.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के हालात को बेहद संवेदनशील बताते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने संचार सेवाओं के साथ लगे अन्य प्रतिबंधों को हटाने के संबंध में केंद्र सरकार को तत्काल कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया.
बता दें कि, बीते 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से एक दिन पहले 4 अगस्त से जम्मू कश्मीर में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया और संचार सेवाओं पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्षेत्र में हालात सामान्य हो गए हैं, सरकार को आवश्यक समय दिया जाना चाहिए.
कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला द्वारा दाखिल याचिका पर जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी चीज रातों-रात नहीं की जा सकती है और यह यह सुनिश्चित करने के लिए कि हालात सामान्य हो गए हैं, सरकार को समय दिया जाना चाहिए.
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालात में सुधार की उम्मीद करते हुए सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया है. पीठ में जस्टिस एमआर शाह और अजय रस्तोगी भी थे.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि बुरहान वानी की मौत के बाद राज्य में जुलाई 2016 में हुए प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध लगाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर हालात को ध्यान में रखते हुए अगले कुछ दिनों में प्रतिबंधों में ढील दी जा सकती है.
वेणुगोपाल ने आगे कहा कि सरकार रोजाना हालात की समीक्षा कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान राज्य में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई है.
ट्वीट करते हुए पूनावाला ने कहा कि अदालत का निर्देश सकारात्मक है.
So to sum it up. Positve
SC will review what GoI is doing wrt the #KashmirIssue in 2 weeks.
AG assures restrictions to EASE in few days.
Negative
AG says I appear on tv.
SC asks how I have Information on #Kashmir .
Positive
SC says liberty can't be taken away will review— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) August 13, 2019
अपनी याचिका में पूनावाला ने 5 अगस्त को गिरफ्तार किए गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को हिरासत में लिए जाने को चुनौती दी थी.
इसके साथ ही उन्होंने नए गठित केंद्र शासित प्रदेश में कर्फ्यू या प्रतिबंधों को हटाने और फोन, इंटरनेट और न्यूज चैनलों पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी.
बता दें कि, जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त को राष्ट्रपति के आदेश से खत्म कर दिया गया था. इसके तीन बाद संसद ने इस फैसले को मंजूरी दे दी और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 पास कर दिया. इसके तहत जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया गया.
इससे पहले, बीते 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने संबंधी राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था.
याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा ने न्यायालय से अपील की थी कि उनकी याचिका को 12 या 13 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. पीठ ने शर्मा से कहा था कि इस याचिका पर सुनवाई उचित समय पर होगी.