एक स्थानीय चैनल द्वारा पुलिस आयुक्त की कथित बातचीत का ऑडियो लीक होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी पर उनके कार्यकाल के दौरान कई नेताओं, नौकरशाहों और पत्रकारों के फोन टैप होने के आरोप लगे हैं. पूर्व मंत्री डी. शिवकुमार ने इन्हें ख़ारिज करते हुए कहा कि यह सब झूठ है, मुख्यमंत्री येदियुरप्पा जांच करा सकते हैं.
बेंगलुरूः कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली पूर्व कांग्रेस-जेडीएस सरकार के दौरान कथित फोन टैपिंग मामले की जांच की मांग तेज हो गई है, लेकिन इस बीच कांगेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने फोन टैपिंग के इन आरोपों को खारिज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन आरोपों पर पुलिस जांच में पता चला है कि पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के कार्यकाल के दौरान कई नेताओं, नौकरशाहों और पत्रकारों के फोन टैप हुए थे. हालांकि, कुमारस्वामी ने इसमें अपनी भूमिका से इनकार किया है.
दरअसल, इस मामले की शुरुआत बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त पद के लिए कर्नाटक पुलिस के अधिकारियों के बीच आंतरिक लड़ाई के तौर पर हुई. इस संबंध में बेंगलुरू के मौजूदा पुलिस आयुक्त भास्कर राव की एक कथित बिचौलिए से फोन पर हुई बातचीत का एक ऑडियो मीडिया में वायरल हो गया.
सिद्धारमैया, पूर्व गृहमंत्री एमबी पाटिल, मल्लिकाजुर्न खड़गे सहित कांग्रेस के कई नेताओं और भाजपा के पूर्व गृहमंत्री आर. अशोक ने फोन टैपिंग मामले की जांच की मांग की.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस कथित फोन टैपिंग मामले में मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है. यह घटना नवंबर 2018 की बताई जा रही है, जब कांग्रेस, जेडीएस गठबंधन सरकार बागी विधायकों को लेकर संकट से घिरी हुई थी और भाजपा राज्य से गठबंधन सरकार को गिराने का प्रयास कर रही थी.
मालूम हो कि फोन टैपिंग के ये आरोप पिछले सप्ताह भास्कर राव और कांग्रेस हाईकमान से जुड़े एक कथित शख्स की फोन पर हुई बातचीत के लीक होने से शुरू हुए थे. दोनों के बीच फोन पर हुई यह बातचीत कर्नाटक में स्थानीय चैनलों पर प्रसारित की गई.
येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद दो अगस्त को भास्कर राव को पुलिस आयुक्त नियुक्त किया था. फोन टैपिंग का यह मामला तब सामने आया जब कर्नाटक के एक स्थानीय चैनल पर कथित रूप से कांग्रेस आलाकमान से जुड़े एक व्यक्ति के साथ राव की बातचीत सामने आई.
लीक बातचीत में 1990 बैच के एडीजी रैंक के आईपीएस अधिकारी राव कथित बिचौलिए फराज़ को बेंगलुरू पुलिस आयुक्त पद के लिए एक कांग्रेसी नेता के जरिए पैरवी करने के लिए बोल रहे हैं.
बताया जा रहा है कि यह बातचीत जून 2019 से पहले की है जब कुमारस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस-जेडीएस सरकार सत्ता में थी और कर्नाटक के कुछ वरिष्ठ अधिकारी पुलिस आयुक्त के पद को हासिल करने की कोशिशें कर रहे थे. राव ने इस कथित लीक बातचीत पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
इस मामले पर राजनीतिक विवाद बढ़ने के संकेतों के बीच शिवकुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इस मामले में किसी भी जांच का आदेश देने के लिए मुक्त हैं. शिवकुमार पूर्ववर्ती कुमारस्वामी सरकार में मंत्री थे. शिवकुमार के अलावा कांग्रेस के किसी अन्य वरिष्ठ नेता ने आरोप अभी तक खारिज नहीं किये हैं.
इससे पहले अयोग्य ठहराये गए जेडीएस विधायक एएच विश्वनाथ ने इस सप्ताह के शुरू में आरोप लगाया था कि कई नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों के फोन टैप किये गए. उन्होंने गुरुवार को संकेत दिया कि फोन टैपिंग तत्कालीन मुख्यमंत्री के बिना जाने नहीं हो सकती.
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार सहित भाजपा के कई नेताओं ने फोन टैपिंग मामले में कुमारस्वामी पर आरोप लगाया है और जांच की मांग की है.
शिवकुमार ने कहा, ‘फोन टैपिंग नहीं हुई है. मैंने भी पता लगाया है और इसके बारे में लोगों से पूछा है. यह सब झूठ है और ऐसी चीजों के लिए कोई जगह नहीं है.’
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमारी कांग्रेस-जेडीएस सरकार ऐसी चीजों में लिप्त नहीं हुई थी. येदियुरप्पा जांच करा सकते हैं, उन्हें जांच कराने दीजिये. हम इसके खिलाफ नहीं हैं.’ कुमारस्वामी अपने कार्यकाल के दौरान फोन टैपिंग के आरोपों से इनकार कर चुके हैं.
सिद्धरमैया ने गुरुवार को यह कहते हुए जांच की मांग की कि फोन टैपिंग एक गंभीर अपराध है. मुद्दे की जांच हो और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई हो.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)