तहलका पत्रिका के संस्थापक तरुण तेजपाल ने अपने ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न मामले में तय आरोपों को रद्द करने की मांग की थी, जिसे ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी किए जाने का आदेश दिया है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने तहलका पत्रिका के संस्थापक तरुण तेजपाल की वह याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में तय आरोपों को रद्द करने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने तरुण तेजपाल की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी की जाए.
Sexual assault case against journalist Tarun Tejpal: Supreme Court says the trial in the case is to be concluded in a period of six months https://t.co/LXVDiHhlNP
— ANI (@ANI) August 19, 2019
नवंबर 2013 में तेजपाल पर उनकी एक महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. यह मामला गोवा की अदालत में चल रहा है.
जस्टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली एक पीठ ने गोवा की निचली अदालत को तेजपाल के खिलाफ दर्ज मामले में सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर छह महीने के भीतर पूरी करने का आदेश भी दिया.
इससे पहले हुई सुनवाई में अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान अदालत ने तरुण तेजपाल के वकील से पूछा था कि यदि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप झूठे हैं तो उन्होंने अपनी सहकर्मी से पत्र लिखकर माफी क्यों मांगी?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर और नैतिक रूप से वीभत्स अपराध है.
तेजपाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल पर लगे आरोप मनगढंत हैं और कथित घटना के बाद शिकायतकर्ता के व्यवहार का उल्लेख किया.
तेजपाल के वकील चाहते थे कि अदालत होटल लॉबी में लगे सीसीटीवी की फुटेज देखे, जिसमें महिला को उस लिफ्ट से बाहर आते देखा जा सकता है, जिसमें उसके साथ कथित रूप से उत्पीड़न हुआ.
विकास सिंह ने कहा, ‘महिला के बयान उसके व्यवहार से मेल नहीं खाते जिसमें कहा गया कि वह भागते हुए लिफ्ट से बाहर आई थी. सीसीटीवी फुटेज में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा. कोई भी इस तरह के आरोप लगाकर आसानी से बच सकता है.’
इस पर पीठ ने कहा, ‘महिला पर विश्वास क्यों न किया जाए और यह मंच इन सब बातों पर विचार करने के लिए नहीं है.’
गोवा पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सिंह की बातों का विरोध करते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान असंतोष उठाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ईमेल के रूप में पर्याप्त सामग्री है.
गौरतलब है कि तेजपाल पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में गोवा के एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट के अंदर महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न किया था.
सितंबर 2017 को उत्तरी गोवा में मापुसा टाउन की एक अदालत ने तेजपाल के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोप तय किए थे.
तेजपाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 दुष्कर्म के लिए सजा, 354ए यौन उत्पीड़न, 341 और 342 अवैध कैद आदि के तहत आरोप तय किए गए थे.
हालांकि, तहलका पत्रिका के संस्थापक ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है. अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद तेजपाल को अपराध शाखा ने 30 नवंबर 2013 को गिरफ्तार किया था. वह मई 2014 से जमानत पर बाहर हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)