जम्मू कश्मीर: शेहला राशिद का सेना द्वारा अत्याचार का आरोप, सेना का इनकार

शेहला राशिद के सेना द्वारा पूरे क्षेत्र में डर का माहौल बना देने के आरोपों को सेना ने ख़ारिज करते हुए आधारहीन बताया. शेहला का कहना है कि अगर सेना इनकी निष्पक्ष जांच करना चाहे, तो वे ऐसी घटनाओं की जानकारी दे सकती हैं.

An Indian police officer stands behind the concertina wire during restrictions on Eid-al-Adha after the scrapping of the special constitutional status for Kashmir by the Indian government, in Srinagar, August 12, 2019. REUTERS/Danish Ismail

शेहला राशिद के सेना द्वारा पूरे क्षेत्र में डर का माहौल बना देने के आरोपों को सेना ने ख़ारिज करते हुए आधारहीन बताया. शेहला का कहना है कि अगर सेना इनकी निष्पक्ष जांच करना चाहे, तो वे ऐसी घटनाओं की जानकारी दे सकती हैं.

FILE PHOTO: An Indian police officer stands behind the concertina wire during restrictions on Eid-al-Adha after the scrapping of the special constitutional status for Kashmir by the Indian government, in Srinagar, August 12, 2019. REUTERS/Danish Ismail
श्रीनगर में तैनात सुरक्षा कर्मी (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: रविवार को जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की नेता शेहला राशिद द्वारा ट्वीट्स की एक सीरीज़ साझा की गई, जहां उन्होंने कश्मीर से आ रहे लोगों के हवाले से घाटी में पेश आ रहे विभिन्न मुद्दों के बारे में लिखा.

https://twitter.com/Shehla_Rashid/status/1162974916250988545

शहर में गैस, पेट्रोल, डीज़ल आदि की आपूर्ति के अलावा इन ट्वीट्स में शेहला ने एक जगह यह कहा कि कुछ इलाकों में  सुरक्षा बलों के लोग घरों में घुसकर तोड़फोड़ कर रहे हैं, लड़कों को उठा रहे हैं और जानबूझकर घरों का राशन बर्बाद कर रहे हैं.

उन्होंने यह भी लिखा कि शोपियां में चार लोगों को सेना के कैंप में बुलाया गया और पूछताछ के नाम पर उनको प्रताड़ित किया गया. शेहला ने कहा कि उन लोगों के पास एक माइक रखा गया जैसे कि पूरा इलाका उनकी चीखें सुने और डर जाए. इससे पूरे क्षेत्र में खौफ का माहौल पैदा हो गया है.

https://twitter.com/Shehla_Rashid/status/1162974932898205696

शेहला के इन आरोपों के बाद भारतीय सेना का पक्ष सामने आया, जहां उसने कहा कि ये आरोप आधारहीन हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार भारतीय सेना की ओर से कहा गया, ‘शेहला राशिद द्वारा लगाए गए आरोप आधारहीन हैं और हम इन्हें अस्वीकार करते हैं. ऐसी असत्यापित और फर्जी खबरें असामाजिक तत्वों और संगठनों द्वारा आम लोगों को भड़काने के लिए फैलाई जाती हैं.

इस बीच शेहला ने द वायर  से बात करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों से घाटी के हालात के बारे में लंबी बातचीत की है और जिन घटनाओं के बारे में उन्होंने ट्वीट में लिखा है, उसके बारे में अगर सेना निष्पक्ष जांच करे, तो वे उनसे जानकारी साझा करने को तैयार हैं.

राशिद ने कहा, ‘भारतीय सेना को निष्पक्ष जांच करने दीजिए. मुझे उनके साथ ये जानकारियां साझा करने में कोई परेशानी नहीं है. मैंने ट्विटर थ्रेड में जो लिखा, वह संतुलित है. मैंने प्रशासन के द्वारा किए सकारात्मक कामों की भी बात की है. सभी 10 बिंदु लोगों से की गई बातचीत पर आधारित हैं.’

गौरतलब है कि सेना या सरकार की ओर से उनके बाकी ट्वीट्स को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया गया है.

शेहला ने आगे कहा, ‘इंटरनेट, फोन और अखबारों सहित किसी मीडिया के न होने की स्थिति में कश्मीर में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो रहा है, जिससे बाकी दुनिया अनजान है. एएफपी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 4,000-6,000 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. साफ तौर पर ये कोई स्वैच्छिक गिरफ्तारियां तो नहीं हैं. लोगों को घरों से निकाला जा रहा है, प्रताड़ित किया जा रहा है, गिरफ्तार किया जा रहा है. अगर सरकार के पास दुनिया से छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो संचार माध्यमों पर रोक क्यों है?’

5 अगस्त को केंद्र सरकार के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के निर्णय के बाद से भारतीय मीडिया के एक बड़े तबके द्वारा यह कहा जा रहा है कि कश्मीर में माहौल शांत है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया से आ रही रिपोर्ट इसकी उलट तस्वीर पेश कर रही हैं.

इसके अलावा जम्मू कश्मीर से लौटे सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने भी कहा कि पूरे कश्मीर में केंद्र सरकार के फैसले को लेकर गुस्सा है क्योंकि अवाम को लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ज्यां द्रेज, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला और विमल भाई ने बीते हफ्ते जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया था कि युवा लड़कों को बिना किसी गलती के उठाया जा रहा है. लोग सरकार, सेना या पुलिस द्वारा होने वाली प्रताड़ना के डर के साये में रह रहे हैं. अनौपचारिक बातचीत में तो वे अपना गुस्सा जाहिर करते हैं, लेकिन कोई कैमरा पर बोलने को तैयार नहीं है.

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