कश्मीर मसले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाएगा पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि सभी क़ानूनी पहलुओं पर विचार किए जाने के बाद सैद्धांतिक रूप से कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाने का फैसला किया गया है जहां मानवाधिकार उल्लंघन को केंद्र में रखकर उठाया जाएगा.

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि सभी क़ानूनी पहलुओं पर विचार किए जाने के बाद सैद्धांतिक रूप से कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाने का फैसला किया गया है जहां मानवाधिकार उल्लंघन को केंद्र में रखकर उठाया जाएगा.

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (फोटोः रॉयटर्स)

इस्लामाबादः भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान का कहना है कि वह कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में ले जाएगा.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ‘सैद्धांतिक रूप से कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाने का फैसला किया गया है.’

उन्होंने कहा कि सभी कानूनी पहलुओं पर विचार किए जाने के बाद यह फैसला किया गया है. प्रधानमंत्री की विशेष सहायक (सूचना) फिरदौस आशिक अवान ने संवाददाताओं को बताया कि कैबिनेट ने सैद्धांतिक रूप से कश्मीर मुद्दे को आईसीजे में ले जाने को मंजूरी दे दी है.

उन्होंने कहा कि इस मामले को वहां मानवाधिकार उल्लंघन को केंद्र में रखकर उठाया जाएगा.

यह फैसला कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अनौपचारिक बैठक के चार दिन बाद हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया से कहा कि भारत का रुख यही था और है कि संविधान के अनुच्छेद 370 संबंधी मामला पूर्णतया भारत का आतंरिक मामला है और इसका कोई बाह्य असर नहीं है.

भारत ने कहा कि जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाना एक आंतरिक मामला था और इसका कोई बाहरी प्रभाव नहीं पड़ा है. इससे पहले महीने की शुरुआत में इमरान खान ने पाकिस्तानी संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित हर मंच पर कश्मीर मुद्दे को उठाएंगे और साथ में मामले को आईसीजे लेकर जाएंगे.

गौरतलब है कि पांच अगस्त को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया गया था.

वहीं पाकिस्तान ने इन फैसलों का विरोध करते हुए भारत के साथ राजनयिक संबंधों का स्तर घटा दिया था और इसके साथ ही दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस और थार एक्सप्रेस रेल सेवाओं को बंद करने का ऐलान किया था. इसके साथ ही पाकिस्तान ने भारत से व्यापारिक संबंध भी तोड़ दिए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)