दलित उत्पीड़न के ख़िलाफ़ रविवार को भीम सेना ने राजधानी दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया, जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए.
भीम आर्मी की अगुवाई में रविवार को हजारों दलित अधिकार कार्यकर्ता यहां जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जाति आधारित हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की.
दिल्ली पुलिस की ओर से इजाज़त नहीं दिए जाने के बाद भी करीब 5,000 लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि नौ मई को दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा करने वालों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया जाए. उन्होंने यह मांग भी की कि प्रभावित परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएं.
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर भी इस मौके पर मौजूद थे. उन पर सोशल मीडिया में एक आपत्तिजनक वीडियो साझा करने और सहारनपुर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप है.
कार्यकर्ताओं ने मांग की कि चंद्रशेखर और अन्य दलित कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकियां रद्द की जाएं और सहारनपुर में हुई झड़पों की न्यायिक जांच कराई जाए. इस बीच, पुलिस ने प्रदर्शन स्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी है. पुलिस ने बताया कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से हुआ.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, प्रदर्शनकारियों ने शुरू में कहा था कि करीब 50,000 लोग प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे, इसलिए अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था.
सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में पांच मई को उस वक़्त झड़पें शुरू हो गई थीं जब गांव के कुछ दलित निवासियों ने ठाकुरों (अगड़ी जाति के लोगों) की ओर से राजपूत राजा महाराणा प्रताप की जयंती पर एक जुलूस निकालने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया था.
इसके बाद दलित समुदाय के लोगों ने शहर के गांधी उद्यान में नौ मई को एक महापंचायत करने की कोशिश की, ताकि पांच मई की झड़पों में प्रभावित हुए लोगों के लिए मुआवजे और राहत की मांग की जा सके, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें महापंचायत आयोजित करने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण दलित समुदाय सड़कों पर उतर गया.
इसके बाद हुई हिंसा में दलित प्रदर्शनकारियों ने शहर में कथित तौर पर एक पुलिस चौकी और एक दर्जन से ज़्यादा बाइकों को आग के हवाले कर दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)