एक छात्र के परिजन ने मीडिया को बताया, ‘कभी बच्चों को खाने में नमक और रोटी दी जाती है, तो कभी नमक और चावल. दूध कभी-कभार ही आता है, अधिकतर समय बांटा ही नहीं जाता. केले कभी नहीं दिए जाते. पिछले एक साल से ऐसा ही है.’
मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में रोटी नमक खिलाने का मामला सामने आया है. बच्चों को नमक और रोटी बांटे जाने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है.
एनडीटीवी के मुताबिक एक सरकारी स्कूल में कक्षा एक से 8वीं तक की पढ़ाई करने वाले लगभग 100 छात्रों को मिड-डे मील के तौर पर रोटी और नमक बांटा गया. वीडियो में बच्चे स्कूल के बरामदे में फर्श पर बैठे हैं और वे नमक के साथ रोटियां खाते हुए दिखाई दे रहे हैं.
#Mirzapur के एक स्कूल में बच्चों को मिड-डे-मील में नमक रोटी दी जा रही है।
ये उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार की व्यवस्था का असल हाल है।
जहाँ सरकारी सुविधाओं की दिन-ब-दिन दुर्गति की जा रही है। बच्चों के साथ हुआ ये व्यवहार बेहद निंदनीय है। pic.twitter.com/FMD5cYE5Jn— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 23, 2019
एक छात्र के परिजन ने मीडिया को बताया, ‘यहां बहुत बुरे हालात हैं. कई बार वह बच्चों को खाने में नमक और रोटियां देते हैं, कई बार नमक और चावल. यहां कभी-कभार दूध आता है, अधिकत्तर समय वह बांटा ही नहीं जाता. केले कभी नहीं दिए गए. पिछले एक साल से ऐसा ही है.’
मिर्जापुर में शीर्ष सरकारी अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, ‘मैंने जांच करवाई और यह घटना सही पाई गई. शुरुआती तौर पर यह स्कूल के शिक्षक प्रभारी और ग्राम पंचायत के सुपरवाइजर की गलती लग रही है. दोनों को निलंबित कर दिया गया है.’
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि वह दिसंबर 2018 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य भर में 1.5 लाख से अधिक प्राइमरी और मिडल स्कूलों में मिड-डे मील मुहैया करवा रही है. इस स्कीम के तहत एक करोड़ से अधिक बच्चों को योजना का लाभ दिया जाना है.
उत्तर प्रदेश मिड-डे मील अथॉरिटी पूरे राज्य में इसकी देखरेख का काम करती है, उसकी वेबसाइट पर मिड-डे मील का मेन्यू दिया गया है. मेन्यू में दाल चावल, रोटी और सब्जी शामिल हैं. मील चार्ट के मुताबिक खास दिनों पर फल और दूध भी दिया जाना चाहिए.
मालूम हो कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवार के बच्चों को उचित पोषण और आहर देने के लिए केंद्र सरकार ने मिड-डे मील योजना शुरू की थी.
केंद्र सरकार के मुताबिक मिड-डे मील योजना को प्रति बच्चे को प्रति दिन न्यूनतम 450 कैलोरी प्रदान करने के हिसाब से डिजाइन किया गया था, इसमें प्रति दिन कम से कम 12 ग्राम प्रोटीन भी शामिल होना चाहिए. यह भोजन प्रत्येक बच्चे को वर्ष में कम से कम 200 दिन परोसा जाना चाहिए.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक कांग्रेस के स्थानीय नेता और पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी ने मिड-डे मील योजना में इस लापरवाही के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि जिले के स्कूलों में काफी समय मिड-डे मील योजना में धांधली चल रही है. कई बार शिकायत के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
उन्होंने मांग की कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाए और मासूमों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.
यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी रात दो बजे फेसबुक पर वायरल हुए एक वीडियो से मिली थी.
इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए रसोइयां, मिड-डे मिल के इंचार्ज शिक्षक और एनपीआरसी के एक प्रभारी शिक्षक को सस्पेंड किया गया है. इसके अलावा खंड शिक्षा अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है.