क्यों बंद हो गया दिल्ली की पहचान रहा संडे बुक मार्केट

नई दिल्ली स्थित दरियागंज के चर्चित संडे बुक मार्केट को ट्रैफिक पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद बंद कर दिया गया है. इस फैसले के बाद यहां किताब की दुकान लगाने वाले व्यापारियों के सामने रोज़गार का संकट पैदा हो गया है.

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नई दिल्ली स्थित दरियागंज के चर्चित संडे बुक मार्केट को ट्रैफिक पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद बंद कर दिया गया है. इस फैसले के बाद यहां किताब की दुकान लगाने वाले व्यापारियों के सामने रोज़गार का संकट पैदा हो गया है.

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दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद दरियगांज के नेताजी सुभाष मार्ग पर प्रदर्शन करते पुस्तक विक्रेता. (फोटोः द वायर)

नई दिल्लीः बीते 24 अगस्त को हरियाणा के हिसार से किताबें खरीदने दरियागंज के संडे बुक मार्केट पहुंचे अजीत निराश हैं क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था कि दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद इस बाजार को बंद कर दिया गया है. अजीत की तरह न जाने कितने लोग हैं, जो संडे बुक मार्केट बंद होने से अनजान हैं और यहां पहुंचने के बाद मायूसी के साथ घर लौट रहे हैं.

पिछले 50 सालों से पुरानी दिल्ली के दरियागंज स्थित नेताजी सुभाष मार्ग पर गोलचा से लेकर डिलाइट सिनेमा तक लगने वाला यह बाजार विश्व के उन बेहतरीन पटरी पुस्तक बाजारों में से एक है, जहां न सिर्फ सस्ती बल्कि दुर्लभ किताबें भी मिलती रही हैं, यही वजह रही कि यहां बड़े-बड़े साहित्यकारों से लेकर नेता और सरकारी अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता था.

इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने 26 जुलाई को दरियागंज की वीकली संडे बुक मार्केट को बंद करने का आदेश दिया, दरअसल यह फैसला दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की उस रिपोर्ट के बाद दिया गया, जिसमें कहा गया था कि पटरी पर लगने वाले इस मार्केट से ट्रैफिक संबंधी कई तरह की दिक्कतों से लोगों को जूझना पड़ रहा है.

इस बाजार के बंद होने से लगभग 272 पुस्तक विक्रेताओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. इनमें से कई पुस्तक विक्रेता कई पीढ़ियों से इसी पटरी पर बैठकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे थे.

कई पीढ़ियों से दरियागंज की पटरी पर किताबें बेच रहे लोग

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पुस्तक विक्रेता सुभाष चंद अग्रवाल. (फोटोः द वायर)

सुभाष चंद अग्रवाल नाम के किताब विक्रेता का कहना है, ‘कोर्ट के इस आदेश से हम टूट गए हैं. मैं 72 साल का हूं. दिल का दौरा पड़ने से मेरे बेटे की मौत हो गई. मेरा पोता 19 साल का है. पूरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई है. इस उम्र में मैं किस तरह से अपने परिवार का पेट पाल पाऊंगा. कोर्ट को बाजार बंद करने से पहले हमारी तकलीफों के बारे में सोचना चाहिए था.’

एक और पुस्तक विक्रेता बिल्ला कहते हैं, ‘हमारे बाजार से किसी को कोई दिक्कत नहीं है. एक तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है कि बाजार की वजह से ट्रैफिक की समस्या हो रही थी. इस बाजार से किताबें खरीदकर पढ़ने से न जाने कितने लोग आईएएस, आईपीएस अधिकारी बने हैं. हमारे पास से बड़े-बड़े अधिकारी किताब लेने आने थे. सोनिया गांधी तक यहां आकर किताब लेकर गई हैं. यह एक तरह का रिकॉर्ड है कि हर संडे सुबह छह बजे से लेकर रात के आठ बजे तक एक लाख लोग यहां आते थे.’

वे कहते हैं, ‘एक बार लेखक खुशवंत सिंह यहां आए थे, उन्होंने कहा था कि मैंने पूरा देश छान मारा लेकिन जो किताब मुझे चाहिए थी वो मुझे कहीं नहीं मिली, सिर्फ यहीं दरियागंज में मिली. उन्होंने इस बाजार को ‘सोने की चिड़िया’ के बाजार का नाम दिया था.’

इस बाजार में ऐसे कई पुस्तक विक्रेता हैं, जिनकी कई पीढ़ियां यहां किताबें बेचती आई हैं, इन्हीं में से एक हैं रोशन लाल.

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पुस्तक विक्रेता आरिफ अली. (फोटोः द वायर)

रोशन लाल कहते हैं, ‘मेरे पिताजी और उनसे पहले दादा भी यहीं पर किताबें बेचते आए हैं. हमारी तीसरी पीढ़ी यहां पर किताब बेच रही है. इन 50 सालों में कभी अदालत या प्रशासन को नहीं लगा कि बाजार लगने से ट्रैफिक की समस्या हो रही है? अचानक ट्रैफिक की दिक्कत लगने लगी.’

वे कहते हैं, ‘हमारा तो रोजगार छीन गया है. हम न तो अब किताब खरीदने लायक रह गए हैं और न ही बेचने लायक.’

40 साल के आरिफ अली कहते हैं कि वह 20 साल की उम्र से यहां किताबें बेच रहे हैं. वह कहते हैं, ‘मैं कोई और काम नहीं करता हूं. इसी से घर चलता है. इस फैसले से हम 272 लोगों की रोजी रोटी खत्म हो गई है. समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या करूंगा.’

पुस्तक बाजार शिफ्ट करने के तीन विकल्प

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद से दरियागंज में नेताजी सुभाष मार्ग पर संडे बुक मार्केट लगनी बंद हो गई है लेकिन अदालत ने इस बाजार को कहीं और शिफ्ट करने का आदेश भी उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) को दिया है, जिसके बाद एनडीएमसी ने इन पुस्तक विक्रेताओं को तीन विकल्प दिए.

पुस्तक विक्रेताओं को दिल्ली के रामलीला मैदान, माता सुंदरी रोड पर हनुमान मंदिर के पास जमुना बाजार और चांदनी चौक के कच्चा बाग क्षेत्र में से किसी एक जगह संडे बुक मार्केट लगाने को कहा है लेकिन पुस्तक विक्रेताओं ने दरियागंज की जगह किसी और जगह बाजार लगाने से साफ इनकार कर दिया है.

Delhi Sunday Book Market
दरियागंज पटरी संडे बुक बाजार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमर सईद. (फोटो: द वायर)

इसे लेकर इनकी अपनी आशंकाएं हैं. दरियागंज पटरी संडे बुक बाजार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमर सईद कहते हैं, ‘रामलीला मैदान एक ऐतिहासिक मैदान है, जहां आए दिन रैलियां और जनसभाएं होती हैं, जो ज्यादातर रविवार के दिन ही होती हैं. ऐसे में वहां बाजार लगाना संभव ही नहीं है. रामलीला मैदान में बारिश के समय पानी भरा रहता है. वहां जलभराव की समस्या रहती है तो ऐसे में वहां बाजार कैसे चल सकता है.’

पिछले 10 सालों से दरियागंज में किताबें बेच रहे सुमित अग्रवाल कहते हैं, ‘चांदनी चौक के कच्चा बाग क्षेत्र में एक सामुदायिक भवन की चारदीवारी की पटरी पर हमें किताब बाजार लगाने को कहा जा रहा है, हमने वहां का मुआयना किया और  पाया कि वह बहुत छोटी जगह है, जहां बाजार नहीं लग सकता है. वह जगह भी एक कोने में है, जहां ग्राहक ही पहुंच नहीं पाएंगे, ऐसे में बाजार लगाने का क्या फायदा?’

पुस्तक विक्रेता सुभाष चंद अग्रवाल कहते हैं, ‘रामलीला मैदान में नशा करने वाले लोग भी बैठे रहते हैं, इसलिए वह जगह सुरक्षित भी नहीं है.’

जमुना बाजार में पुस्तक बाजार नहीं लगाने की वजह बताते हुए वे कहते हैं, ‘बाजार ऐसी जगह पर लगता है, जहां तक पहुंचना लोगों के लिए आसान हो. रामलीला मैदान को छोड़कर बाकी जो दो विकल्प दिए गए हैं, वहां तक लोगों की पहुंच नहीं है, वे इलाके के एक कोने में है, जो सुरक्षा के नजरिये से भी सही नहीं है. रामलीला मैदान की दिक्कत अलग तरह की है, वहां मैदान के एक छोटे से कोने में हमें बाजार लगाने को कहा जा रहा है, जो सही नहीं है.’

दरियागंज संडे बुक मार्केट पर लंदन की सोआस यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहीं कनुप्रिया कहती हैं, ‘मुझे इन लोगों के साथ बातचीत करते हुए एक महीना हो गया है. कुछ नीतियां और बातें टालने के चलते यह कन्फ्यूज बनी हुई है.’

लंदन की सोआस यूनिवर्सिटी से दरियागंज संडे बुक मार्केट पर पीएचडी कर रहीं छात्रा कनुप्रिया. (फोटो: द वायर)
लंदन की सोआस यूनिवर्सिटी से दरियागंज संडे बुक मार्केट पर पीएचडी कर रहीं छात्रा कनुप्रिया. (फोटो: द वायर)

वे कहती हैं, ‘दरअसल 2007 में  सुप्रीम कोर्ट ने दरियागंज संडे बुक मार्केट को हेरिटेज मार्केट घोषित किया था, जिसके तहत अगर यह क्षेत्र नॉन स्क्वैटिंग (किसी जगह पर गैरकानूनी तरीके से कब्ज़ा) और गैर व्यावसायिक क्षेत्र भी है तो इन पुस्तक विक्रेताओं को यहां वेंडिंग की मंजूरी होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इन पुस्तक विक्रेताओं की कमाई साप्ताहिक है, ये पूरी तरह से इसी बाजार पर निर्भर है तो इनकी बातें सुननी चाहिए.’

पुस्तक विक्रेता पंकज अग्रवाल कहते हैं, ‘हमारी प्रशासन से गुजारिश है कि जब तक टाउन वेंडिंग कमेटी (टीवीसी) नहीं बनती है तब तक हमें यहीं पर बैठने दिया जाए. हमने 45 साल से कोई गुनाह नहीं किया है. हम तो अपने रद्दी-कागज भी बाजार बंद हो जाने के बाद उठाकर ले जाते हैं.’

वे कहते हैं, ‘बाजार की वजह से ट्रैफिक होने का जो आरोप लगता है, वह हमारी आड़ में सड़क पर कपड़ा बाजार लगाने वालों की वजह से लगता है. ट्रैफिक कबाड़ बाजार की वजह से लगता है.’

पंकज कहते हैं, ‘इस पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आया था कि कबाड़ बाजार को हटा दिया जाए लेकिन एनएमसीडी ने नेताजी सुभाष मार्ग का बहाना लगाकर किताब बाजार को भी हटा दिया. हमारा अभी कोई फैसला नहीं आया है.’

स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम का उल्लंघन

पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि यह आदेश स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग रेगुलेशन) अधिनियम 2004 का उल्लंघन है. यह अधिनियम नेचुरल मार्केट को हेरिटेज मार्केट का दर्जा देता है. नेचुरल मार्केट उन बाजारों को कहा जाता है, जो लगभग 50 सालों से अस्तित्व में हों. इस तरह दरियागंज संडे बुक मार्केट एक नेचुरल और हेरिटेज बुक मार्केट है.

दरियागंज में लगने वाला संडे पुस्तक बाजार. (फाइल फोटो साभार: फेसबुक/अक्षय हिंदुस्तानी)
दरियागंज में लगने वाला संडे पुस्तक बाजार. (फाइल फोटो साभार: फेसबुक/अक्षय हिंदुस्तानी)

दरियागंज पटरी संडे बुक बाजार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमर सईद का कहना है कि नेताजी सुभाष मार्ग को ‘नो हॉकिंग एरिया’ कहकर बुक मार्केट को बंद किया गया है जबकि सुप्रीम कोर्ट इस बाजार को हेरिटेज मार्केट का दर्जा दे चुका है, ऐसे में इसे हटाया नहीं जा सकता.

वे कहते हैं, ‘एनएमसीडी ने 2011 में इस बाजार को कानूनी घोषित किया था और 15 रुपये की पर्ची काटनी शुरू की थी. एनएमसीडी की 2004 की स्टेट वेंडर्स पॉलिसी में इस बाजार को नेचुरल बाजार का दर्जा दिया गया है. ऐसे में अगर बाजार को हटाया भी जाता है तो नियमों के तहत इसके लिए तीन नोटिस देने होने होते हैं लेकिन ऐसा नहीं किया गया.’

कनुप्रिया कहती हैं, ‘इस तरह के नेचुरल और हेरिटेज मार्केट को आधिकारिक प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर नहीं हटाया जा सकता. मसलन इस बाजार को हटाने के लिए 30 दिनों का नोटिस देना होता है, जो इन्हें नहीं दिया गया है.’

एनडीएमसी पर बलि का बकरा बनाने का आरोप

पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि एनडीएमसी ने नेताजी सुभाष मार्ग पर लगने वाले कबाड़ बाजार की आड़ में संडे बुक मार्केट को बलि का बकरा बनाया है.

पुस्तक विक्रेता पंकज अग्रवाल कहते हैं, ‘एनडीएमसी ने कबाड़ बाजार और कपड़ा बाजार की आड़ में हमें निशाने पर लिया है. दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला मूल रूप से कबाड़ बाजार के लिए था. हमारा फैसला तो 25 सितंबर को आने वाला है.’

पुस्तक विक्रेता सुमित वर्मा. (फोटो: द वायर)
पुस्तक विक्रेता सुमित वर्मा. (फोटो: द वायर)

पुस्तक विक्रेता सुमित वर्मा कहते हैं, ‘नेताजी सुभाष मार्च पर पूरा ढाई किलोमीटर का स्ट्रैच है, जिसमें लगभग दो किलोमीटर में कबाड़ी बाजार चलता था और 500 मीटर में संडे बुक मार्केट लगता था. हमें तो हटा दिया गया लेकिन गोलचा सिनेमा से लेकर लोहे के पुल तक कबाड़ी बाजार लगा हुआ है, पूरी सड़क पर अतिक्रमण है लेकिन अब कोई पूछने वाला नहीं है.’

वे कहते हैं, ‘इन्हें बस किताब बाजार से दिक्कत थी. हमने एनडीएमसी से शिकायत की थी लेकिन गोलचा सिनेमा से लेकर लोहे के पुल के बीच हमें तो हटा दिया गया था लेकिन उसके बाद भी वहां पर कपड़े वाले और दूसरे विक्रेता बैठ रहे थे, हमने सबूत के साथ प्रशासन के समक्ष इसकी शिकायत की थी लेकिन प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए हमारी बलि चढ़ा रहा है.’

मामले से कन्नी काट रहा प्रशासन

इस पूरे मामले पर एनएमडीसी के कमर्शियल अधिकारी एसके भारद्वाज का कहना है, ‘हाल ही में दरियागंज पटरी संडे बुक बाजार वेलफेयर एसोसिएशन के एक  प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी. हम इन लोगों के संपर्क में हैं. इनकी समस्याएं सुलझाने में लगे हुए हैं. टाउन वेंडिंग कमेटी (टीवीसी) इसका सर्वे करेगी और जो बन पड़ेगा, हम करेंगे.’

हालांकि, इसके साथ ही भारद्वाज ने यह भी कहा, ‘आप हर किसी को संतुष्ट नहीं कर सकते. प्रशासन अपने तरीके से काम करता है. यह अदालत का फैसला है.’

वहीं, एनडीएमसी की कमिश्नर वर्षा जोशी ने इस पूरे मामले पर बात करने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि अभी मामला अदालत में विचाराधीन है तो ऐसे में वह इस पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करना चाहेंगी.