मध्य प्रदेश के बाढ़ प्रभावितों के उचित पुनर्वास को लेकर मेधा पाटकर ने सत्याग्रह शुरू किया

नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के छोटा बड़दा गांव में यह अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू किया है. पाटकर ने कहा कि पुनर्वास का मतलब प्रभावित परिवार को सिर्फ मुआवज़ा देना नहीं बल्कि उन्हें आजीविका भी दी जानी चाहिए.

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Medha Patkar PTI
मेधा पाटकर. (फोटो: पीटीआई)

नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के छोटा बड़दा गांव में यह अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू किया है. पाटकर ने कहा कि पुनर्वास का मतलब प्रभावित परिवार को सिर्फ मुआवज़ा देना नहीं बल्कि उन्हें आजीविका भी दी जानी चाहिए.

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मेधा पाटकर. (फोटो: पीटीआई)

बड़वानी: नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की संस्थापक मेधा पाटकर ने बाढ़ प्रभावितों के उचित पुनर्वास और गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध (एसएसडी) के गेट खोलने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के छोटा बड़दा गांव में अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया है.

इस महीने की शुरुआत में भारी बारिश से बांध का बैकवॉटर लेवल बढ़ने से बड़वानी जिले के कुछ हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं. जिले के राजघाट और छोटा बड़दा गांव के तकरीबन 100 लोग, जो निचले इलाकों में रह रहे थे, उन्हें बाढ़ की वजह से तब सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था.

पाटकर ने रविवार को बड़वानी से लगभग 25 किलोमीटर दूर छोटा बड़दा गांव में पांच महिलाओं के साथ अनिश्चितकालीन ‘नर्मदा चुनौती सत्याग्रह’ शुरू कर दिया. यह गांव एसएसडी के बैकवॉटर के जलमग्न क्षेत्र में पड़ता है.

प्रदर्शन स्थल पर संवाददाताओं से बातचीत में पाटकर ने कहा, ‘हमने राज्य सरकार को अपने मुद्दों से अवगत करा दिया है. डूब क्षेत्र के विभिन्न गांवों में पुनर्वास शिविरों को लगाया जाना चाहिए. इस बांध के विस्थापितों का अब तक ठीक से पुनर्वास नहीं किया गया है.’

उन्होंने कहा कि पुनर्वास का मतलब प्रभावित परिवार को पांच लाख रुपये देना नहीं है. उन्हें आजीविका भी प्रदान की जानी चाहिए.

एनबीए नेता ने कहा कि छोटा बड़दा गांव के कम से कम 1,000 लोग अब भी उचित पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘यहां के लोग (छोटा बड़दा) अब भी सरकार द्वारा अपनी जमीन के अधिग्रहण का इंतजार कर रहे हैं.’

इस बीच, एनबीए ने कहा है कि सरदार सरोवर बांध का जलभराव 133 मीटर के स्तर से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि गुजरात में बारिश की कोई कमी नहीं है और वहां के सभी जलाशय भर गए हैं. इसके साथ ही मध्य प्रदेश के बांध और जलाशय भी भर गए हैं.

एनबीए ने कहा कि चूंकि बांध विस्थापितों का पुनर्वास अभी तक पूरा नहीं हुआ है, इसलिए एसएसडी के गेट खोल पानी की निकासी होनी चाहिए ताकि मध्य प्रदेश की बस्तियों को बचाया जा सके.

मालूम हो कि सरदार सरोवर बांध के बैकवॉटर के बढ़ते स्तर से मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे स्थित रिहायशी इलाके भी डूब रहे हैं.

डूब क्षेत्र में आने के कारण इस इलाके के सबसे बड़े निसरपुर गांव के सैकड़ों लोगों के लिए पलायन कर दूसरी जगहों पर बसना पड़ रहा है.

मध्य प्रदेश के धार ज़िले में स्थित करीब 10,000 की आबादी वाले इस गांव का इतिहास दो सदी पुराना बताया जाता है. इस गांव की पुरानी बसाहट का प्रमुख बाजार, मंदिर, मस्जिद, श्मशान, कब्रिस्तान आदि भी डूब चुके हैं. गांव के कई मकान-दुकानों में ताले जड़े दिखायी देते हैं.

बीते दिनों मध्य प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के एक अधिकारी ने बताया था कि नर्मदा तट से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित निसरपुर में सरदार सरोवर बांध का बैकवॉटर रविवार को 133 मीटर का स्तर पार कर गया जो खतरे के निशान के मुकाबले करीब 6.5 मीटर ज्यादा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)